हस्त सामुद्रिक शास्त्र हमारे पूर्वजों की महान तथा वैज्ञानिक उपलब्धि है और यह बात ढृढ़तापूर्वक कही जा सकती है कि इस शास्त्र द्वारा भावी एवं भविष्य की घटनाओं का वर्णन सोलह आने सही किया जा सकता है। आवश्यकता है इसकी परीक्षा एकाग्रचित्त हो कर करने की। हथेली पर पाये जाने वाले सभी चिह्नों का महत्वपूर्ण स्थान है। यद्यपि भविष्य कथन की दृष्टि से हथेली पर बनने वाली रेखाएं, पर्वत, अंगुलियां, अंगुष्ठ और हाथ की त्वचा का रंग तथा हाथ की त्वचा का कोमल या कठोर होना आदि भी कम महत्वपूर्ण नहीं हैं, पर सूक्ष्म रेखाओं द्वारा निर्मित ये चिह्न भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। भारतीय हस्त सामुद्रिक शास्त्र की पद्धति के अनुसार हाथ की हथेली पर अनेक सूक्ष्म चिह्न बनते हं।
अतः इनकी परीक्षा अत्यंत सावधानी से तथा एकाग्रचित्त हो कर करने से फल कथन में प्रामाणिकता और पूर्णता आ जाएगी। यह एक श्रमसाध्य कार्य तो है, परंतु असंभव नहीं। क्रास ;ग्द्ध जब दो सूक्ष्म रेखाएं आपस में एक दूसरे को काटें, तो क्राॅस का चिह्न बनता है। यह गणित के गुणा चिह्न की तरह होता है। यह चिह्न मुख्य रेखाओं के काटने से नहीं बनता, बल्कि दो अलग-अलग सूक्ष्म रेखाओं के काटने से बनता है। क्राॅस के चिह्न को हस्त रेखा शास्त्र में अशुभ चिह्न माना जाता है।
यह चिह्न पर्वत, या क्षेत्र, अथवा रेखा पर बनेगा, तो उसके गुणों को न्यूनतम विपरीत गुण वाला बना देगा। यदि यह क्रास का चिह्न बुध पर्वत पर होगा, तो जातक बुद्धिमान तो होगा, पर अपनी बुद्धि का उपयोग लोगों को ठगने में करेगा। यदि बुध क्षेत्र पर क्रास के साथ-साथ बुध की अंगुली टेढ़ी भी हो तो जातक पक्का ठग एवं चोर तथा टुच्चा तथा दूसरों के धन पर निगाह रखने वाला होता है।
यदि क्रास का यह चिह्न सूर्य पर्वत पर हो तो व्यक्ति सट्टेबाज होगा तथा सट्टे अथवा जुए में नुकसान उठाता है जिस कारण घर में क्लेश भी होता रहता है। यदि क्रास का चिह्न शनि क्षेत्र पर होता है तो यह जातक के अस्वस्थ रहने का संकेत है तथा जातक तंत्र-मंत्र, जादू और टोने की साधना करने के प्रति रुचि रखता है तथा कभी-कभी साधना करते हुए मृत्यु को प्राप्त होता है। यह चिह्न गुरु पर्वत पर कुछ शुभ होता है। जातक मनचाही शादी करने में सफल होता है। यदि कोई रेखा जीवन रेखा से आकर इस गुरु पर्वत के क्राॅस को काटे, या काट कर आगे निकल जाए तो जिस आयु में यह रेखा जीवन रेखा से बाहर निकलेगी, उस आयु में जातक धनहीन एवं पदहीन हो जाएगा।
मंगल के दो पर्वत होते हैं। एक जीवन रेखा के अंदर अंगूठे के नीचे एवं शुक्र पर्वत के ऊपर होता है जिसे निम्न मंगल पर्वत कहते हैं। दूसरा बुध पर्वत के नीचे तथा चंद्र पर्वत के ऊपर, हृदय तथा मस्तिष्क रेखा के बीच में होता है, जिसे उच्च का मंगल कहा जाता है। ऊच्च के मंगल पर क्राॅस का चिह्न होने से जातक से लड़ाई-झगड़े में शत्रु मारा जाता है। चंद्र के पर्वत पर क्राॅस पानी में डूबने से मृत्युभय का चिह्न है तथा जातक आत्महत्या तक कर सकता है। शुक्र पर क्रास व्यभिचारी तथा स्त्रियों के कारण बदनाम होने का संकेत है।
गृहस्थ जीवन दुखदायी होता है। यदि यह क्रास शुक्र पर्वत पर जीवन रेखा के निकट हो, तो संबंधियों से मुकद्दमा एवं झगड़ा होता है। मस्तिष्क रेखा पर सिर में चोट एवं दुर्घटना से मस्तिष्क शक्ति कमजोर हो जाती है। हृदय रेखा पर क्रास होने से किसी प्रिय संबंधी की मृत्यु होती है। भाग्य रेखा पर क्रास होने से जातक धनहीन होता है एवं बदनामी से उसकी मृत्यु होती है या वह आत्महत्या करता है। सूर्य रेखा पर क्रास से पद एवं प्रतिष्ठा की हानि होती है। विवाह रेखा पर क्रास हो तो पत्नी-पति मं झगड़ा होता रहता है और अंत में तलाक हो जाता है।
हृदय और मस्तिष्क रेखा के बीच के क्षेत्र में क्रास हो तो जातक भक्त आदमी और गुप्त विधाओं की जानकारी रखने वाला होता है। वृत्त सूर्य पर्वत को छोड़ कर अन्य पर्वतों पर वृत्त का चिह्न अशुभ ही होता है। सूर्य पर्वत पर वृत्त का चिह्न हो तो जातक सौभाग्यशाली एवं आसानी से सफलता पाने वाला होता है।
गुरु पर वृत्त का चिह्न होने से जातक घमंडी तथा तानाशाह होता है और अपने मिजाज के कारण सदा हानि उठाता है। बुध पर क्राॅस होने से जातक चालाक, झूठा एवं ठग होता है। पैसा कमाना उसका आदर्श होता है; चाहे भले कार्यों से कमाया जाए, या बुरे कार्यों से। साथ ही जब बुध की अंगुली टेढ़ी हो, तो यह गुण और भी बढ़ जाते हैं तथा जातक अपराधी तक बन जाता है। शनि क्षेत्र पर वृत्त चिह्न हो तो जातक जीवन भर दुःखी रहता है। संबंधी उसका साथ छोड़ जाते हैं तथा उसकी वृद्ध अवस्था कष्टदायक ही होती है। चंद्र पर वृत्त होने से पानी में डूब कर मृत्यु होती है। जातक को हमेशा गहरे जल से बच कर रहना चाहिए। शुक्र पर वृत्त होने से जातक भोगी, कामी और वासनारत जीवन बिताता है। उसे कई प्रकार के रति रोग हो जाते हैं। निम्न मंगल पर वृत्त जातक को डरपोक बनाता है, जबकि उच्च मंगल पर वृत्त जातक को क्रोधी बनाता है। अपने क्रोध पर उसका नियंत्रण न होने से जातक हत्या जैसा अपराध तक कर बैठता है। यदि वृत्त भाग्य रेखा पर हो तो जातक उस उम्र तक भाग्यहीन होगा, जब तक यह भाग्य रेखा पर दिखाई देगा।
कमाई के रास्ते में सदा बाधाएं आएंगी तथा जातक कुछ धन भी नहीं बचा पाएगा। उसे सदा धन की हानि होती रहेगी। सूर्य रेखा पर वृत्त होने से जातक बदनाम होता है तथा प्रतिष्ठा की हानि होती है। यदि हृदय रेखा पर वृत्त का चिह्न नजर आए, तो हृदय की कमजोरी एवं दिल के दौरे की भविष्यवाणी करनी चाहिए। जीवन रेखा पर वृत्त हो, तो जातक तब तक रोगी रहेगा, जब तक यह वृत्त का चिह्न रहेगा। स्वास्थ्य रेखा पर होने से भी उसे यही फल मिलता है। मस्तिष्क रेखा पर वृत्त हो तो यह मस्तिष्क के विकारों का द्योतक है।
जातक पागलों जैसा व्यवहार करने लग जाता है। यदि इस वृत्त के बाद मस्तिष्क रेखा पुष्ट हो तो जातक कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाएगा। यदि वृत्त के बाद वह रेखा और भी कमजोर नजर आए तो जातक रोगी ही रहता है। त्रिकोण तीन रेखाओं के आपस में मिलने से बनी आकृति को त्रिकोण या त्रिभुज कहते हैं। यह मुख्य रेखाओं के काटने या मिलने से नहीं बनता, अपितु सूक्ष्म रेखाओं द्वारा इसका निर्माण होता है। यह चिह्न हथेली में जितना साफ एवं निर्दोष बना होगा, उतना ही शुभ माना जाएगा। गुरु पर्वत पर त्रिकोण होने से जातक सदैव उन्नति की ओर अग्रसर होता है; शनि पर एकांतवासी, तंत्र-मंत्र साधक होता है। सूर्य पर्वत पर त्रिकोण होने से जातक कलाकार होता है एवं उच्च पद प्राप्त करता है तथा हर कार्य में सफल हो जाता है।
बुध क्षेत्र पर त्रिकोण जातक को सफल व्यापारी, धनी एवं प्रतिष्ठावान बनाता है। उच्च के मंगल पर्वत पर त्रिकोण होने से युद्ध में शौर्य द्वारा सम्मान प्राप्त होता है तथा निम्न मंगल पर आत्मरक्षा करने वाला लड़ाकू होता है। शुक्र पर्वत पर त्रिकोण हो तो जातक श्रेष्ठ कलाकार परंतु धन का लोभी होता है। चंद्र पर्वत पर त्रिकोण होने से जातक गुप्त विद्या का जानकार तथा मारण आदि प्रयोगों को जानने एवं करने वाला होता है। स्पष्ट त्रिकोण या त्रिभुज शुभ फलदायी होते हैं तथा अस्पष्ट त्रिकोण अशुभ फलदायी होता है। यदि हथेली पर अस्पष्ट और टूटा हुआ त्रिकोण बना दिखाई दे, तो उपर्युक्त गुणों में कमी तथा उपर्युक्त गुणों का उल्टा फल होता है। द्वीप यह अभागा चिह्न है तथा जिस पर्वत अथवा रेखा पर यह पाया जाता है उसके गुणों को प्रभावित करता है।
हृदय रेखा पर द्वीप होने से हृदय रोग होने की संभावना होती है तथा जातक हृदय रोगों से पीड़ित रहता है। मस्तिष्क रेखा पर द्वीप हो तो मस्तिष्क की कमजोरी एवं पागलपन दिखाता है। भाग्य रेखा पर द्वीप हो तो यह एक अभागे तथा दुर्भाग्यपूर्ण भाग्य का सूचक है। जातक असफल तथा व्यवसाय में हानि उठाता है। सूर्य रेखा पर चिह्न होने से जातक कुल को कलंक लगाने वाले कार्य करते हैं। जीवन रेखा पर यह चिह्न हो तो जातक को रोगों से ग्रस्त रहना पडे़गा। जब यह चिह्न बृहस्पति के पर्वत पर होगा तो जातक घमंडी, झगड़ालू एवं फिजूल बोलने वाला होगा। शनि पर द्वीप का चिह्न दुर्भाग्य का सूचक है तथा जातक की वृद्धावस्था दुखमयी रहती है। सभी संबंधी एक-एक कर के, अंत में उसका साथ छोड़ देते हैं। सूर्य पर्वत पर यह चिह्न दुर्भाग्य का सूचक है। सूर्य पर्वत पर यह चिह्न बदनामी का कारण एवं प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचाने वाला माना जाता है। बुध क्षेत्र पर यह बुरे गुणों में वृद्धि का द्योतक है तथा जातक अशुभ पापी कार्य करता है।
शुक्र पर यह चिह्न परस्त्रीगामी तथा स्त्री के हाथों अंत का संकेत है। इस कारण जातक का गार्हस्थ्य जीवन क्लेशपूर्ण ही रहता है। मंगल के दोनों पर्वतों पर यह युद्ध में मृत्यु तथा चंद्र पर यह जल द्वारा मौत का सूचक है। बिंदु हथेली में बिंदु प्रायः काले रंग के पाये जाते हैं। बिंदु के बारे में विचार प्रकट किया जाता है कि मुट्ठी बंद करने पर जो बिंदु या तिल हथेली के अंदर मुट्ठी में आ जाए, वह प्रायः अशुभ प्रभाव नहीं करता अन्यथा सदा इन बिंदुओं का प्रभाव अशुभ ही होता है। यह चिह्न जिस किसी भी पर्वत पर या जिस रेखा पर नजर आएगा, उसके गुणों को एकदम विपरीत कर देगा। स्वास्थ्य रेखा अथवा जीवन रेखा पर यह जातक के रुग्ण रहने का सूचक है। भाग्य रेखा पर यह अमंगलकारी भाग्य की सूचना देता है। सूर्य रेखा पर यह चिह्न पद एवं प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचाने वाला तथा कलंक लगवाने वाला एक अशुभ चिह्न माना गया है।
चतुष्कोण यह एक मंगलदायक तथा शुभ चिह्न है। जीवन रेखा पर यह चिह्न बीमारियों से रक्षा करता है। मस्तिष्क रेखा पर यह चिह्न मस्तिष्क में होने वाले रोग, पागलपन और मस्तिष्क को दुर्घटना से होने वाली हानि या सिर में चोट लगने से बचाता है। यह भाग्य रेखा पर होने से बुरे समय से रक्षा करता है तथा सूर्य रेखा पर हो तो पद एवं प्रतिष्ठा को कोई हानि नहीं होने देता; भले ही उस चतुष्कोण के समय में सूर्य रेखा टूटी-फूटी क्यों न हो। चंद्र पर्वत पर यह जल यात्रा में अथवा पानी में डूबने से रक्षा करता है। मंगल पर्वत पर यह चिह्न शत्रु से रक्षा करता है एवं युद्ध में विजय दिलाता है। बृहस्पति पर्वत पर यह हर प्रकार के संकटों से रक्षा करता है। बुध के पर्वत पर यह चिह्न व्यापार में हानि होने से रक्षा करता है। शुक्र क्षेत्र पर यह जातक की काम वासना के कार्यों से होने वाली हानि से रक्षा करता है। शनि पर यदि यह चिह्न हो, तो जातक हर संकट से उबर कर बच जाता है। तारा यह एक महत्त्वपूर्ण चिह्न है।
इसके महत्व तथा गुणों को इसके पाये जाने वाले स्थान से आंका जाता है क्योंकि यह भिन्न-भिन्न जगह एवं क्षेत्रों पर भिन्न-भिन्न प्रभाव और फल देता है। गुरु पर्वत पर तारे का चिह्न होने से जातक सफल राजनेता एवं राजदूत होता है। जातक हर तरफ से कामयाब एवं सफल जीवन जीता है। शनि पर तारे का चिह्न थोड़ा अशुभ होता है। जातक की हत्या तक हो सकती है। ऐसा जातक तंत्र-मंत्र की सिद्धि करते हुए मौत को प्राप्त हो सकता है। सूर्य पर्वत पर तारे का चिह्न होना मान की प्राप्ति तथा उच्च लोगों से संपर्क होने का चिह्न है। जातक प्रतिष्ठा एवं पद को आसानी से प्राप्त कर लेता है। परंतु कई जातकांे के लिए आंखों में कमजोरी का चिह्न होने से वे अपनी सफलता से कभी भी संतुष्ट नहीं होते। पैसा कमाना एवं पैसे का पुजारी, ऐसा जातक अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए कत्ल जैसे अपराध तक कर देता है।
चंद्र पर तारे का चिह्न होने से जातक कविता तथा साहित्य में सफलता प्राप्त करता है तथा कवि होता है। परंतु जातक को सदैव गहरे जल से परे रहना चाहिए, क्योंकि यह तारा (चंद्र पर) जल में डूब कर मृत्यु होना भी बताता है। शुक्र के पर्वत पर तारे का चिह्न हो, तो जातक स्त्री के द्वारा दुःख भोगता है। यदि जीवन रेखा पर तारा दिखे, तो जातक कठिन रोगों का शिकार होता रहता है। हृदय रेखा पर तारा दिल के दौरे की सूचना देता है। मस्तक रेखा पर यदि तारा हो तो दुर्घटना से सिर में चोट लगती है। जाली यह चिह्न आड़ी- टेढ़ी रेखाओं के आपस में एक दूजे को काटने से बनता है। यह अशुभ, बुरा और अभागा चिह्न है सो इसका हाथ में न होना ही उत्तम होगा। गुरु पर्वत पर यह जातक को स्वार्थी एवं घमंडी बना देता है।
शनि पर जाली वाले जातक की मृत्यु जहर, कत्ल या हत्या द्वारा होती है। सूर्य पर्वत पर यदि जाली का चिह्न हो तो जातक पद एवं प्रतिष्ठा को खो देता है। बुध के पर्वत पर यह चिह्न जातक के ठग एवं चोर होने का सूचक है। मंगल पर्वत पर यह चिह्न होने से जातक झगड़े में तेज हथियार द्वारा मारा जाता है। शुक्र पर यह चिह्न जातक को कामी बना देता है तथा कभी-कभी वह स्त्री के हाथों मृत्यु का शिकार बन जाता है।