2014 के सौभाग्यशाली संतान योग
2014 के सौभाग्यशाली संतान योग

2014 के सौभाग्यशाली संतान योग  

आभा बंसल
व्यूस : 7339 | मई 2013

इस आलेख का मुख्य उद्देश्य यह है कि हम नवविवाहित दंपत्तियों को अपनी भावी संतान के भविष्य को समझने के लिए कुछ सूत्र दे सकें और वे अपनी संतान के सौभाग्य के लिए उन्हें उनके अनुकूल व श्रेष्ठ समय में संसार में ला सकें। आजकल ज्यादातर लोग बच्चे के जन्म के समय ज्योतिषी के पास जाकर पूछते हैं कि गर्भाधान के लिए श्रेष्ठ समय कौन सा होगा व आपरेशन द्वारा बच्चे के जन्म का श्रेष्ठ समय कौन सा है? इसमें हम सिर्फ लग्न निर्धारित कर सकते हैं। लेकिन यदि गर्भाधान के समय ही हमें आने वाले बच्चे के जन्म समय के ग्रहों की स्थिति का पता हो तो अपने बच्चे के जन्म का और अच्छा समय निर्धारित किया जा सकता हैं। 15 अक्तूबर 2013 से 15 जनवरी 2014 के बीच श्रेष्ठ गर्भाधान मुहूर्त माना जा सकता है क्योंकि इस समय गर्भ धारण किये जाने से शिशु का जन्म शनि और गुरु के उच्च होने के समय होगा जिस कारण बच्चा विशेष गुणी व भाग्यशाली होगा। 59 वर्षों बाद गुरु व शनि दोनों ग्रहों का उच्चराशि में गोचर हो रहा है। 19 जून 2014 को गुरु और शनि उच्च राशि में होंगे और 03 नवंबर 2014 तक उच्चराशि में ही रहेंगे जबकि 3 नवंबर से शनि वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे।


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इस शुभ योग का निर्माण 59 वर्षों के बाद हो रहा है। 15 अक्तूबर 2013 से 15 जनवरी 2014 के बीच श्रेष्ठ गर्भाधान मुहूर्त माना जा सकता है क्योंकि इस समय गर्भ धारण किये जाने से शिशु का जन्म शनि और गुरु के उच्च होने के समय होगा जिस कारण बच्चा विशेष गुणी व भाग्यशाली होगा। जन्मकुंडली के बल का विश्लेषण करने के लिए गुरु और शनि की भूमिका अति महत्वपूर्ण होती है। गुरु ग्रह से संभावनाओं तथा शनि से सफलता प्राप्ति के आपके जन्मजात गुणों का संकेत मिलता है। शनि जीवन में एक बहुत आवश्यक भूमिका अदा करता है क्योंकि यह हमें यथार्थवादी बनाता है और हम पर अंकुश लगाकर यथार्थ को पकड़े रखने की सलाह देता है। शनि यह चाहता है कि हम वस्तुस्थितियों को वास्तविकता, यथार्थवादिता और जिम्मेदाराना दृष्टिकोण से परखें व समझें। जीवन के हर क्षेत्र और समय पर अपना सर्वाधिक प्रभाव रखने वाले इन ग्रहों का संयुक्त प्रभाव जब कुंडली के किसी भाव विशेष पर पड़ता है तो उस समय शुभ दशा/ गोचर में इस भाव से संबंधित लाभदायक परिणाम प्राप्त होते हैं और यदि ये दोनों ग्रह गोचर में उच्च राशि के हों तो उस समय यह संयुक्त प्रभाव कितना प्रभावकारी हो सकता है इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

इनके उच्च होने पर यह संयुक्त प्रभाव कर्क राशि पर होगा जिसके कारण यह कहा जा सकता है कि लोगों के लिए यह समय होगा आत्मचिंतन का, मन की कोमल भावनाओं व संवेदनाओं को समझने का, मानवता के खोए मूल्यों के पुनस्र्थापन का व मां और मातृभूमि के गौरव में श्रद्धा उत्पन्न करने का। गुरु व शनि इन्हीं दो ग्रहों की जन्मकुंडली में स्थिति, दशा व गोचर सभी को अत्यधिक प्रभावित करता है। गुरु ग्रह को गुणों की खान माना जाता है। यह ज्ञान और भाग्य का प्राकृतिक ग्रह है। ज्योतिष में इसे धन और संतान का कारक भी माना जाता है। गुरु को सतोगुण प्रधान शुभ ग्रह माना जाता है और श्रेष्ठ भाव स्थित बली बृहस्पति के प्रभाव से जातक विशेष भाग्यशाली होते हैं। गुरु की सोलह वर्ष की दशा होती है इसलिए एक राशि में लगभग तेरह महीनों का गोचर होता है। गुरु की स्थिति से जातक के विचार, धन, योग्यता, गुण व धार्मिक महत्वाकांक्षाओं के बारे में अच्छा अनुमान लगाया जा सकता है और शनि की स्थिति, उन्नीस वर्ष की दशा व एक राशि पर ढाई वर्ष के गोचर, साढ़ेसाती आदि से गुरु जनित संभावनाओं की पूर्ति व यथार्थ में सफलता मिलने की पुष्टि की जा सकती है। गुरु और शनि की जन्मकालीन स्थिति यदि शुभ है और उनकी दशा व गोचर सही है तो बच्चे के जन्म के समय ही उसके जीवन की सफलता के बारे में बिल्कुल सही आकलन किया जा सकता है। दोनों ग्रहों की अपनी उच्च राशि में स्थिति और उनके साथ बुध, मंगल, राहु आदि भी शुभ भावों में हों तो सोने पर सुहागा वाली स्थिति हो जाती है।

अब हम उन व्यक्तियों की जन्मपत्रियों पर नजर डालेंगे जिनका जन्म 59 वर्ष पूर्व या फिर 118 वर्ष पूर्व हुआ था जब गुरु और शनि अपनी उच्च राशि में थे और देखेंगे कि उन्होंने अपने जीवन में क्या उपलब्धियां हासिल कीं।

मोरारजी देसाई जाने माने स्वतंत्रता सेनानी व भारत के चैथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की जन्मकुंडली संख्या 1 में शनि, गुरु व मंगल उच्च राशिस्थ हैं और चंद्रमा भी पूर्ण बली है। शनि भाग्येश होकर नवम से नवम यानी पंचम भाव में उच्च के होकर स्थित हैं। पंचम भाव के कारक गुरु भी उच्च राशिस्थ हैं। ऐसा ग्रह योग पूर्व जन्मार्जित पुण्य का संकेत देता है। गुरु और शनि द्वारा निर्मित सौभाग्यशाली योगों के फलस्वरूप ही मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हो सके।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश उच्च न्यायालय के इस न्यायाधीश की कुंडली नं. 2 में कन्या लग्न है। दशमेश व लग्नेश बुध की न्याय के कारक उच्च राशिस्थ शनि से युति तथा उच्च के बृहस्पति की पंचम भाव व पूर्णिमा के चंद्र पर पूर्ण दृष्टि के कारण यह सफल न्यायाधीश बने। शनि की गुरु पर दृष्टि भी न्यायाधीश के लिए शुभ होती है।

वी. पी. गर्ग कुंडली नं. 3 हमारे मित्र डा. वी.पीगर्ग की है जो पेशे से एम.डी. डाक्टर हैं। आप अत्यंत मृदु भाषी, सुसंस्कृत एवं उच्च विचारां के व्यक्ति हैं। डाक्टर होने के साथ-साथ आपकी आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा आदि में भी गहन रुचि है, आपकी पत्नी भी डाॅक्टर हैं। इनकी कुंडली के लाभ स्थान में उच्च बृहस्पति तथा स्वगृही चंद्रमा होने से इनकी अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में गहन रुचि बनी, उच्च शनि तथा लग्नेश बुध के लग्न में ही होने से यह मृदु भाषी न्याय प्रिय ईमानदार प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं तथा इनके जीवन में धन, मान-सम्मान आदि शुभ गुणों का समावेश है।

मेधा पाटकर कुंडली नं. 4 की जातक एक प्रसिद्ध पर्यावरणविद हैं, इन्होंने नदियों पर बनने वाले बड़े बांधों से पर्यावरण की रक्षा के लिए बड़ी निष्ठा से आंदोलन किया, इसके लिए इन्होंने कई बार अनशन किया। ज्योतिषीय दृष्टि से कर्मस्थान में स्वगृही शुक्र के साथ उच्च शनि की युति ने इन्हें दृढ़ निश्चयी व परोकार के कार्यों के प्रति पे्ररित किया, उच्च गुरु तथा चंद्रमा एक-दूसरे से केंद्र में होने से विशेष सामाजिक मान-प्रतिष्ठा भी दिलाई।

रेखा कुंडली नं. 5 प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री रेखा की है, इन्होंने फिल्म जगत् में अपने सुंदर अभिनय के द्वारा लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, जिससे आज भी लोग इनके दीवाने बने हुए हैं। इनकी कुंडली में पराक्रम भाव का स्वामी शनि अपनी उच्च राशि में कर्मेश बुध के साथ एक शुभ युति बना रहा है। जिसके फलस्वरूप इनको अपने प्रयास से कार्यक्षेत्र में विशेष मान, प्रतिष्ठा, धन, यश की प्राप्ति हुई तथा लग्नेश उच्च बृहस्पति की लाभेश शुक्र पर पूर्ण दृष्टि होने से तथा भाग्येश सूर्य की नवमांश कुंडली में कर्क राशि में शुक्र के साथ युति होने से इन्हें फिल्म जगत में अभिनय के क्षेत्र में विशेष सफलता की प्राप्ति हुई।

प्रभा कुंडली नं. 6 की जातिका अमेरिका के न्यूयार्क शहर में रहती हैं और अत्यंत सुखी जीवन बिता रही हैं। पहले तो घर में गृहिणी के रूप में ही कार्य कर रही थीं परंतु गुरु की दशा में एक स्कूल में योग सिखाने का काम शुरु कर दिया और शनि की दशा लगते ही रियल एस्टेट के कार्य में आ गईं और इन्हें उसमें बहुत सफलता मिली इनकी कुंडली में चतुर्थेश बुध जो कुंडली में भूमि संप का प्रतिनिधि ग्रह है वह त्रिकोण भाव में भाग्येश उच्च बलवान् शनि ग्रह के साथ एक विशिष्ट शुभ युति लाभ योग बना रहा है, जिसके प्रभाव से इन्होंने जीवन में रियल एस्टेट व्यवसाय के क्षेत्र में बहुत बड़ी कामयाबी पाई। दशमेश बृहस्पति धन स्थान में अपनी उच्च राशि में होने से इन्हें अपने कार्य क्षेत्र के माध्यम से समाज में मान-प्रतिष्ठा, धन-यश की प्राप्ति हुई। उपरोक्त चर्चा से यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि इन दोनों ग्रहों का विशेष बली होना महत्वपूर्ण है।

19 जून 2014 से 3 नवंबर 2014 तक गुरु व शनि दोनों उच्च राशि में रहेंगे। इस शुभ योग का निर्माण 59 वर्षों के बाद हो रहा है। अतः इस शुभ समय पर जन्मे बच्चे विशेष भाग्यशाली होंगे। हमारे इस लेख का मुख्य उद्देश्य यह है कि हम नवविवाहित दंपत्तियों को अपनी भावी संतान के भविष्य को समझने के लिए कुछ सूत्र दे सकें और वे अपनी संतान के सौभाग्य के लिए उन्हें उनके अनुकूल व श्रेष्ठ समय में संसार में ला सकें। आजकल ज्यादातर लोग बच्चे के जन्म के समय ज्योतिषी के पास जाकर पूछते हैं कि गर्भाधान के लिए श्रेष्ठ समय कौन सा होगा व आपरेशन द्वारा बच्चे के जन्म का श्रेष्ठ समय कौन सा है? इसमें हम सिर्फ लग्न निर्धारित कर सकते हैं। लेकिन यदि गर्भाधान के समय ही हमें आने वाले बच्चे के जन्म समय के ग्रहों की स्थिति का पता हो तो अपने बच्चे के जन्म का अच्छा समय निर्धारित किया जा सकता है। 15 अक्तूबर 2013 से 15 जनवरी 2014 के बीच श्रेष्ठ गर्भाधान मुहूर्त माना जा सकता है क्योंकि इस समय गर्भ धारण किये जाने से शिशु का जन्म शनि और गुरु के उच्च होने के समय होगा जिस कारण बच्चा विशेष गुणी व भाग्यशाली होगा। इस शुभ ग्रह स्थिति में जन्मे बच्चों के जीवन पर इनका क्या शुभ प्रभाव होगा इसका विश्लेषण हम इस लेख के माध्यम से कर रहे हैं। 2014 में जून से अक्तूबर तक की गोचर में ग्रहों की स्थितियों का क्रम से वर्णन इस प्रकार है।

जून इस माह में 19 जून से गुरु और शनि अपनी उच्च राशि में रहेंगे तथा इसके अतिरिक्त शुक्र एवं बुध भी अपनी स्वराशियों पर होने से यह एक अति शुभ ग्रह स्थिति बनेगी इस शुभ ग्रह स्थिति के प्रभाव से इस माह में जन्मे बच्चे बुद्धिमान, धनवान व शुभ संस्कारों से युक्त होंगे। आजीविका व व्यवसाय की दृष्टि से भी कार्य क्षेत्र में निजी व्यवसाय में सफलता अथवा उच्चाधिकारी बनने की संभावना बनेगी। जुलाई जुलाई मास में गुरु शनि के उच्चस्थ होने के अलावा राहु ग्रह, अपनी स्वराशि (मूल त्रिकोण राशि) में गोचर करेंगे तथा स्वगृही बुध के साथ शुक्र बुध की युति भी शुभ योग प्रदान करेगी, ऐसे योगों में जन्मे शिशुओं के जीवन में धन, मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। इस माह के उत्तरार्द्ध में उच्च शनि के साथ मंगल की भी युति रहेगी। बृहस्पति के साथ सूर्य की युति भी बनेगी जिसके प्रभाव से इस माह में जन्मे बच्चों के जीवन में मिश्रित संस्कार रहेंगे। ऐसे बच्चे बड़े होकर राजनीति और धातु संबंधी व्यापार से जुड़ेंगे। अगस्त अगस्त माह में उच्च गुरु के साथ शुक्र ग्रह की युति तथा शनि के साथ मंगल की युति और उत्तरार्द्ध में स्वग्रही सूर्य के साथ बुध की युति होने से ऐसे योगों में जन्म लेने वाले बच्चे कला के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान बना सकते हैं।


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धार्मिक भावनाओं का समावेश रहेगा तथा सरकारी व उच्च राजकीय क्षेत्र, शिक्षा, राजनीति, व्यवसाय के क्षेत्र में उन्नति प्रदायक योग बनंगे। द्विग्रही योग विशेष शुभ रहेगा। सितंबर सितंबर माह के उत्तरार्द्ध में शनि के साथ बुध की युति, स्वराशि के मंगल, उच्च के गुरु तथा कन्या में सूर्य, शुक्र और राहु के होने से इस गोचरीय स्थिति मं जन्मे शिशुओं के लिए धन, आजीविका, व्यवसाय, मान प्रतिष्ठा आदि की दृष्टि से अत्यंत शुभ स्थिति रहेगी। राजनीति, स्वयं का व्यवसाय अथवा उच्च नौकरी की प्राप्ति सफलता के लिए ग्रह स्थिति शुभ रहेगी परंतु नीच राशिस्थ शुक्र के साथ राहु व सूर्य दो पाप ग्रहों की युति होने से आगामी भविष्य में वैवाहिक सुख सौभाग्य की दृष्टि से ग्रह स्थिति में न्यूनता रहेगी। अक्तूबर अक्तूबर माह में गुरु कर्क, मंगल वृश्चिक, राहु-बुध कन्या तथा शनि-सूर्य-शुक्र तुला राशि में गोचर करेंगे। इस माह में जन्मे बच्चों के लिए धन, पद, प्रतिष्ठा, आयु एवं आरोग्य की दृष्टि से अति शुभ रहेगा पर नीचस्थ सूर्य होने से प्रारंभ में कुछ संघर्ष के बाद जीवन में अच्छी उन्नति व लाभ के योग बनेंगे। उच्च शिक्षा, शोध एवं गैर सरकारी क्षेत्र में अच्छी सफलता मिलेगी।



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