मां सरस्वती को विद्या, शिक्षा, ज्ञान, कला, संगीत की देवी के रूप में मान्यता प्राप्त है तथा अनेक वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि मां सरस्वती की कृपा के बिना किसी भी प्रकार की कला अथवा विद्या की प्राप्ति नहीं हो सकती। ज्ञान को संसार में सभी चीजों से श्रेष्ठ कहा गया है। इस आधार पर देवी सरस्वती सभी से श्रेष्ठ हैं। सरस्वती जी की उपासना से ही इंद्र शब्द शास्त्र और उसका अर्थ समझ पाए अतः ज्ञान प्राप्ति हेतु देवी की उपासना, पूजा ही श्रेयस्कर है। सरस्वती के प्रसाद से ही शुक्राचार्य सभी दैत्यों के पूज्यनीय गुरु हो गए। सरस्वती कृपा से ही भगवान वेद व्यास चारों वेदों को विभक्त कर संपूर्ण पुराणों की रचना कर पाए। वद्या मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास के लिए है। जिस प्रकार शारीरिक विकास के लिए भोजन की आवश्यकता होती है, उसी तरह मस्तिष्क के विकास के लिए विद्या की आवश्यकता होती है। भगवती सरस्वती परम सुखदायी हंै। इनकी पूजा के प्रभाव से मूर्ख भी पंडित बन जाता है।
सरस्वती वाणी एवं ज्ञान की देवी हैं। विद्या की देवी सरस्वती की आराधना एवं कृपा दृष्टि प्राप्ति के लिए सरस्वती यंत्र धारण करना लाभप्रद रहता है। बृहस्पति देव भी विद्या एवं बुद्धि के देवता हैं। इसलिए बृहस्पति एवं सरस्वती यंत्र एक दूसरे के पर्याय ही माने जाते हैं। इसी कारण वैदिक ज्योतिष हजारों सालों से भी सरस्वती यंत्र का प्रयोग मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए तथा अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त करने के लिए करता रहा है तथा आज भी श्री सरस्वती यंत्र के विधिवत प्रयोग से अनेक प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण की जा सकती हैं। श्री सरस्वती यंत्र के साथ की जाने वाली मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ श्री सरस्वती यंत्र का प्रयोग करना विशेष लाभकारी रहता है। सरस्वती यंत्र के माध्यम से मां सरस्वती के साथ प्रगाढ़ संबंध स्थापित करके उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है।
श्री सरस्वती यंत्र के विधिवत प्रयोग के साथ कुछ अन्य विशेष प्रकार के उपाय करने से अनेक प्रकार के दोषों एवं कष्टों का निवारण हो सकता है तथा उन्हें अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक प्रकार के शुभ फल तथा लाभ प्राप्त हो सकते हैं। श्री सरस्वती यंत्र का नित्य पूजन शिक्षा से संबंधित शुभ फल प्राप्त करने के लिए, ज्ञान, विद्या, कला, संगीत, गायन, वाणी कौशल तथा अन्य बहुत सी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष रूप से किया जाता है तथा इस यंत्र को विधितवत स्थापित कर पूजा करने से जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। श्री सरस्वती यंत्र को स्थापित करने से प्राप्त होने वाले लाभ किसी जातक को पूर्ण रूप से तभी प्राप्त हो सकते हैं जब श्री सरस्वती यंत्र शुद्धि करण, प्राण प्रतिष्ठा तथा ऊर्जा संग्रह की प्रक्रियाओं के माध्यम से विधिवत बनाया गया हो, तभी वह अपने पूर्ण फल देने में सक्षम होता है। विधिवत नहीं बनाए गए श्री सरस्वती यंत्र को स्थापित करना कोई विशेष लाभ प्रदान करने में सक्षम नहीं होता।
शुद्धिकरण के पश्चात श्री सरस्वती यंत्र को श्री सरस्वती मंत्रां की सहायता से एक विशेष विधि के माध्यम से ऊर्जा प्रदान की जाती ह जो मां सरस्वती की शुभ ऊर्जा के रूप में इस यंत्र में संग्रहित हो जाती है। जितने अधिक मंत्रों की शक्ति के साथ किसी भी सरस्वती यंत्र को ऊर्जा प्रदान की जाती है, उतना ही अधिक शक्तिशाली वह सरस्वती यंत्र हो जाता है। श्री सरस्वती यंत्र की स्थापना के दिन नहाने के पश्चात अपने यंत्र को सामने रखकर 11 या 21 बार श्री सरस्वती मंत्र का जाप करें तथा तत्पश्चात अपने श्री सरस्वती यंत्र पर थोड़े से गंगाजल अथवा कच्चे दूध के छींटे दें, मां सरस्वती से इस यंत्र के माध्यम से अधिक से अधिक शुभ फल प्रदान करने की प्रार्थना करें तथा तत्पश्चात इस यंत्र को इसके लिए निश्चित किये गये स्थान पर स्थापित कर दें। श्री सरस्वती यंत्र स्थापित करने के बाद इस यंत्र से निरंतर शुभ फल प्राप्त करते रहने के लिए, यंत्र की नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए।
प्रतिदिन स्नान करने के पश्चात श्री सरस्वती यंत्र की स्थापना वाले स्थान पर जाएं तथा इस यंत्र को नमन करके 11 या 21 श्री सरस्वती बीज मंत्रों के उच्चारण के पश्चात अपनी ईच्छित मनोकामना का मन में स्मरण करके स्फटिक की माला से किसी भी सरस्वती मंत्र की शांत मन से एक माला फेरें। सरस्वती मंत्र या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ वस्त्रावृता। या वीणा वर दण्ड मंडित करा या श्वेत पद्मासना। या ब्रह्माच्युत्त शंकरः प्रभुतिर्भिदेवैः सदा वन्दिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्या पहा। -अर्थात्् जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुंद के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह श्वेत वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दंड शोभायमान हैं, जिन्होंने श्वेत कमलों पर अपना आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली ऐसी मां सरस्वती आप हमारी रक्षा करें।