जीवन जितना कठिन है उतना ही सरल भी। जरुरत है तो सिर्फ अपनी और अपने आस-पास की ऊर्जाओं को अपने अनुकूल करने की। जीवन के हर पहलू में आदमी के आस-पास के माहौल का एवं सकारात्मक और नकारात्मक विचारों और ऊर्जाओं का उसके जीवन पर अटूट प्रभाव होता है । एक हैंडलूम की फैक्ट्री के मालिक जिनकी फैक्ट्री में कुल नौ मशीनें थीं और उसमें से सात विभिन्न प्रकार की तकनीकी या आर्थिक कारणों से बंद थीं।
सज्जन अपने हालात से बहुत परेशान थे और परेशानियां इतनी कि दिल्ली के एक बड़े अस्पताल से उनका मानसिक इलाज भी चल रहा था। वे चाहते थे कि उनका एक मकान जो हरियाणा के पानीपत शहर में है, बिक जाये ताकि मानसिक और आर्थिक रूप से उन्हें कुछ शान्ति मिले। कुछ ही दिन बाद उन सज्जन ने फैक्ट्री का वास्तु करवाया।
फैक्ट्री का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की ओर है जो कि शनि संबंधित लोहे की मशीनों के लिए बहुत ज्यादा उपयुक्त नहीं है। फैक्ट्री की मुख्य इमारत उत्तर दिशा में ऊँची बनी हुई है और मशीनरी दक्षिण भाग में है लेकिन दक्षिणी इमारत, उत्तर की इमारत से बहुत नीची और हल्की है। भवन के आग्नेय कोण में कारीगरों के लिए टाॅयलेट बना हुआ है।
नैर्ऋत्य कोण, ईशान कोण से बहुत नीचा है। फैक्ट्री का मुख्य कार्यालय फैक्ट्री के मुख्य ईशान कोण पर दक्षिण मुखी स्थित है। मालिक का अपनी गद्दी पर बैठने के बाद मुख की दिशा दक्षिण है जिस कारण से उनका और उनके सहभागी (उनके पिता) के बीच भी अनेक कारणों को लेकर वैचारिक मतभेद रहते हैं।
वास्तु की सभी त्रुटियाँ मानो फैक्ट्री के मालिक एवं उनके पिता के चेहरे पर, व्यापार पर और जीवन शैली पर ज्यों की त्यों छपी थीं। आखिर में अब समय था बदलाव का, नकारात्मक से सकारात्मक दिशा का, नुकसान से लाभ की ओर बढ़ने का। लेकिन नकारात्मक ऊर्जाओं से निकल कर सब कुछ सकारात्मक करना इतना आसान कहां था। सज्जन के पिता जी ने फैक्ट्री में किसी भी तरह की तोड़-फोड़ या बदलाव में असमर्थता जताई।
वास्तुविद् ने उन्हें पिरामिड वास्तु की जानकारी दी कि बहुत बार ऐसा संभव नहीं हो पाता कि व्यक्ति विशेष अपने स्थल पर किसी तरह के कंस्ट्रक्शनल बदलाव कराये या वहां कोई फिजिकल चेंज करे इसलिए वास्तु के आधुनिक रूप में कुछ पिरामिड्स का इस्तेमाल कर हम बिना किसी तोड़-फोड़ के स्थान को वास्तु के अनुकूल बना पाते हैं। परमपिता परमेश्वर जब आपका भला चाहते हैं तो रास्ता खुद ब खुद आपके सामने दिखने लगता है।
अगले ही शुभ समय के अनुसार उनके स्थल का ब्रह्मस्थान निर्देशित कर उसमें नौ पिरामिड लगाकर स्थल की भूमि को ऊर्जित कर सर्व दोषों से मुक्ति का उपाय किया गया। कार्यालय के दक्षिण द्वार पर प्रोटेक्शन पिरामिड, रिसेप्शन पर बिजनेस को, व्यापार को बढ़ाने वाला पिरामिड ‘‘बिजनेस डिस्क’’, बैठने की गद्दी पर सफलता दायक फाॅच्र्यून पिरामिड ‘‘फाॅच्र्यून सीट’’ आदि कुछ पिरामिड्स का उपयोग कर पूरे स्थल की ऊर्जा को वास्तु के अनुकूल किया गया।
रोजाना अपने ग्रह दोष और वास्तु दोष के निवारण के लिए ‘‘पायरा फायर’’ पिरामिड दिया गया जिससे कि भविष्य की तरक्की एवं सफलता के मार्ग प्रशस्त हों। आज चालीस मशीनें उसी स्थल पर सफलतापूर्वक उनको तरक्की एवं सफलता की राह पर अग्रसर कर रही हैं।
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