ज्योतिष व अंक ज्योतिष के द्वारा भविष्य कथन जातक के जनम होते ही आरंभ होता है। मगर आज विज्ञान के युग में मनुष्य प्रकृत्ति पर विजय प्राप्त करने का प्रयत्न निरंतर कर रहा है। राम चरित मानस के कथन ”जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए“ में आज के मनुष्य का विश्वास समाप्त हो गया है। चिकित्सा शास्त्र के अनुसार शल्य क्रिया अब जटिल नहीं रह गई है अतः व्याकुल मन विज्ञान का सहारा लेकर गर्भित अवस्था में ही आने वाली जीवात्मा को लेकर चिंतित हो उठता है।
इन्हीं सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर इस लेख की रचना की गई है। संतान लड़का हो या लड़की उसके व्यवसाय की चिंता स्वाभाविक है। आनेवाली संतान डाॅक्टर, जज, वकील, इंजीनियर, संगीतकार या नेता बनेगी व किस व्यवसाय में जायेगी, उसके मस्तिष्क का विकास कैसा होगा? इसे हम अंक ज्योतिष से सुनिश्चित कर सकते हैं। वैज्ञानिक शोध के उपरांत यह सिद्ध हो चुका है कि व्यक्ति की सोच और विचारधारा पर मस्तिष्क के विशेष भागों का प्रभाव और नियंत्रण होता है। हमारा मस्तिष्क नीचे दिये चित्र के अनुसार दो भागों में विभक्त होता है।
मस्तिष्क के संपूर्ण विकास के लिए यह आवश्यक है कि उसके दोनों हिस्से समान रूप से विकसित होने चाहिए पर सामान्य मनुष्य के जीवन के दोनों भाग विकसित होने के बाद भी एक भाग विशेष रूप से प्रभावी रहता है। दाये गोलार्द्ध के प्रभावी व्यक्ति बहिर्मुखी होते हैं व बायें गोलार्द्ध के प्रभावी व्यक्ति अंतर्मुखी होते हैं। प्रकृति की इस देन का विश्लेषण किया गया और पाया कि मूलांक 1, 3, 4, 5 व 9 वाले व्यक्तियों का बायें की तुलना में दायां गोलार्द्ध अधिक सक्रिय होता है। ये लोग (मूलांक 1, 3, 4, 5, 9) किसी भी काम को स्वयं ही करने में विश्वास रखते हैं।
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कार्यों को टालते नहीं है। इसी कारण यह आसानी से सफलता प्राप्त कर लेते हैं। पैसा कमाने की अद्भुत क्षमता के कारण ही ये समाज में प्रतिष्ठित हो जाते हैं। मूलांक 2,6,7,8 वाले व्यक्तियों का दायें की तुलना में मस्तिष्क का बायां भाग अधिक सक्रिय रहता है। इन मूलांकों वाले व्यक्ति अंतर्मुखी होते हैं। इनकी दृष्टि में यह संसार मात्र धनार्जन के लिए ही नहीं अपितु ज्ञानार्जन के लिए भी है। अतः प्रेरणा इनके लिए महत्वपूर्ण होती है। ये हमेशा हृदय की सुनकर उसके अनुसार व्यवहार करते हें। भौतिक दृष्टि से ये विफल हो सकते हैं, पर मानसिक दृष्टि से ये जीवन का आनंद उठाते हैं। मूलांक के अंतिरिक्त, व्यक्ति का व्यवहार भी मस्तिष्क विकास में सहायक होता है। उदाहरण के लिए एक व्यक्ति का मूलांक 7 है और वह अपने अधिक कार्य बायें हाथ से करता है
तो ऐसा व्यक्ति मानसिक के साथ-साथ धनार्जन में भी अधिक विश्वास करता है। बायें हाथ का अधिक प्रयोग करने से उसके मस्तिष्क का दांया भाग भी विकसित हो जाता है। जीवन में ऊंचाईयों को पाने के लिए मस्तिष्क का पूर्ण विकास अधिक महत्व रखता है। जिस दिनांक को व्यक्ति का जन्म होता है, उस मूलांक के अनुसार भाग्य प्राप्ति हो ही गई है, व्यवहार अर्थात कर्मों में सक्रियता लाकर संपूर्ण विकास किया जा सकता है। कोई भी जातक अपनी संतान के लिए मूलांक व भाग्यांक के अनुसार व्यवसाय का चयन करता है तो उसकी संतान को जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
कुछ व्यवसाय इस प्रकार के होते हैं जिसमें व्यक्ति को अपने मूलांक के अनुसार अपना व्यवसाय चयन करना होता है, जैसे कि ज्योतिषी, शिक्षक या चिकित्सक का कार्य। अगर जन्म तिथि का पता न हो तो नामांक द्वारा भी व्यवसाय का चयन कर सकते हैं।
अंक 1: इनके लिए हुकूमत, प्रशासक, नेतृत्व, अधिकारी, आभूषण, जौहरी का कार्य, स्वर्णकारिता, विद्युत की वस्तुएं, चिकित्सा, मेडीकल स्टोर, ज्योतिष, अन्न का व्यवसाय, भूप्रबंध, मुख्यावास या उच्च स्थान प्राप्ति, मकानों की ठेकेदारी, राजनीतिक कार्य, शतरंज के खेल, अग्नि सेवा कार्य, सैन्य विभाग, राजदूत, प्रधान पद, जलप्रदाय विभाग, श्रमशील कार्य आदि के क्षेत्र में रोजगार-व्यापार करना लाभप्रद रहेगा।
अंक 2: इनके लिए रोजगार-व्यापार हेतु ये क्षेत्र अनुकूल रहेंगे, जैसे द्रव्य पदार्थ, तेलीय कार्य, समुद्र यात्रा, मुख्यावास या उच्च स्थान प्राप्ति, पशु व्यवसाय, चीनी मिल, अन्न का व्यवसाय, तैराकी, रसपूर्ण पदार्थ, दूध, दही, घृत, कागज, जल, कृषि एवं चीनी के व्यवसाय एवं औषधि विक्रेता, भ्रमण कार्य, एजेंट, प्रतिनिधित्व, संपादन, लेखन, संगीत, अभिनय, नृत्य, भूप्रबंध, मकानों की ठेकेदारी, चिकित्सा, मोती, हार, मणि, माणिक्य, रत्न इत्यादि का क्रय-विक्रय, पत्थर तथा भूगर्भ इत्यादि के कार्य।
अंक 3: इनके लिए वस्त्र उद्योग, ढाबे, रेस्टोरेंट, होटल, पान की दुकान, अध्यापन, उपदेशक, व्याख्याता, प्राध्यापक, राजदूत, मंत्री, कानून के सलाहकार, वकील, न्यायाधीश, सचिव, दूत कार्य, क्लर्क, चिकित्सा कार्य, बैंकिंग के कार्य, दलाल, आढ़त, विज्ञापनकर्ता, अभिनेता, सेल्समैन, टाइपिस्ट, स्टेनो, जल जहाज में कार्यकर्ता, पुलिस विभाग, दर्शनशास्त्री, ज्योतिष, प्रबंधक एवं जलीय व्यापार आदि के क्षेत्र में रोजगार, व्यापार करना हितकर रहेगा।
अंक 4: इनके लिए दारु, स्पिरिट, तेल, मिट्टी का तेल, अर्क, इत्र, रेल विभाग, वायुसेना, जलदाय विभाग, कुलीगिरी, तकनीशियन, रंगसाज, अभियांत्रिकी, नक्शानवीस, दर्जी, बढ़ई का कार्य, डिजाइन के छापे का कार्य, बाबू, टेलीफोन आॅपरेटर, स्टेनो, टाइपिस्ट, शिल्पकार, पत्रकार, संग्रहकर्ता, विद्युत कार्य, वक्ता, उपदेशक, राज्य कर्मचारी, खनिज मजदूर, ठेकेदार, मोटर चालक आदि के क्षेत्र में रोजगार-व्यापार करना हितकर रहेगा।
अंक 5: इनके लिए तार और टेलीफोन विभाग, ज्योतिष, सेल्समैन, डाकघर, पोस्टमैन, बीमा विभाग, बैंकिंग, बजट निर्माण, रेलवे इंजीनियरंी, संपादक, तंबाकू व्यवसाय, रेडियो व्यवसाय, लेखक, पत्रकार, अनुवादक, राजनीति संबंधी कार्य, मुद्रणालय, संचार व्यवस्था, प77ुस्तक विक्रेता, पुस्तकालय, लाइब्रेरियन, यातायात संबंधी कार्य, इतिहास, खोज एवं पुरातत्व विभाग, आविष्कारक, मुनीम, पर्यटक एवं बुद्धि बल के समस्त कार्य आदि के क्षेत्र में रोजगार-व्यापार करना अधिक लाभप्रद रहेगा।
अंक 6: इनके लिए रेस्टोरेंट, होटल, ढाबे, भोजनालय, शिल्पकार, डिजायनर, महाजनी कार्य, संगीतज्ञ, उपन्यासकार, नाट्यकार, कहानीकार, बागवानी, वस्त्र व्यवसायी, अभिनेता, इत्र, तेल और अन्य तेलीय पदार्थो के विक्रेता, पुष्प विक्रेता, वस्त्राभूषण व्यवसाय, रेशम, टेरीलीन, टेरीन, ऊनी वस्त्रादि के विक्रेता, मिष्ठान व्यवसाय, घड़ीसाजी, नृत्याभिनय और काव्य तथा साहित्योपार्जन, ज्योतिष, सार्वजनिक कार्य, समाज सेवा, दास वृत्ति, यातायात, मुद्रणालय, खाद्य विभाग संबंधी समस्त कार्य आदि के क्षेत्र में रोजगार व्यापार करना अधिक लाभप्रद रहेगा।
अंक 7: इनके लिए तैराकी, अभिनय, फिल्म व्यवसाय, वायु सेवा, पर्यटन, ड्राइवर का कार्य, बाबूगिरी, जल जहाज के कार्य, पत्रकारिता, संपादन कार्य, रबर, टायर, ट्यूब, प्लास्टिक वर्क, ललित कला संबंधी कार्य, राज्याधिकारी, जासूसी, तरल पदार्थों का क्रय-विक्रय, जादू के कार्य, ज्योतिष, कूटनीतिक कार्य, नियंत्रक, भूमिगत पदार्थों का व्यवसाय एवं ट्रांसमीटर, रेडियो, अनुवादक आदि के कार्य क्षेत्र में रोजगार-व्यापार करना हितकर रहेगा।
अंक 8: इनके लिए कसरत, खेल-कूद, कूद-फांद, पुलिस और सैन्य विभाग, ठेकेदारी, टीन चद्दर आदि का कार्य, कुलीगिरी, लद्यु उद्योग, वकालत, ज्योतिष कार्य, वैज्ञानिक कार्य, मुर्गी पालन, बागबानी, कोयला और लकड़ी का व्यवसाय, घड़ीसाज, न्याय वेत्ता, नेतृत्व, नीति निर्धारक, धर्म-कर्म, यज्ञादि कत्र्ता, अध्यापन, संगीतज्ञ आदि कार्य के क्षेत्र रोजगार-व्यापार हेतु अधिक उपयुक्त रहेंगे।
अंक 9: इनके लिए संगठन, संघ संचालक, नियंत्रक, चिकित्सा, ज्योतिष, धर्मोपदेशक, सैन्य विभाग, गोला-बारूद, आतिशबाजी का व्यवसाय, वकालत, औषधि विक्रेता, लौह तथा अन्य धातु संबंधी कार्य अथवा प्रभुता संबंधित कार्य करना अनुकूल रहेगा।
फलादेश के सामान्य नियम
1. जन्म दिनांक में आने वाले सभी अंक यथास्थान स्थापित करें।
2. शताब्दी के दो अंक वर्ग में कहीं भी नहीं दर्शाएं।
3. यदि अंक योग कुंडली में अधिकांश अंक आत्मिक व मानसिक हैं तो व्यक्ति डाॅक्टर, वकील, इंजीनियर, कलाकार, संगीतकार व नेता बन सकता है। व्यवसाय में सफल होता है। जातक अच्छी उन्नति करता है व सफल होता है।
4. यदि अंक योग कुंडली में अधिकांश अंक भौतिक व कम आत्मिक अंक हो तो जीवन संघर्षमय होता है। सरकारी सेवाओं में अड़चनें आती है। हानि की आशंकाएं रहती है। ये जातक मानव सेवा करने वाले, सन्यासी मन के होते हैं। इनकी बुरी आदतें इन्हें हानि पहुंचाती है। इससे गृहस्थ जीवन अशांत हो जाता है।
5. यदि अंक योग कुंडली में अधिक मानसिक अंक हो तो ऐसे व्यक्ति स्वार्थी होते हैं। ये व्यापार में ख्याति प्राप्त करते हैं। इनका गृहस्थ जीवन अशांत हो जाने की संभावना रहती है।
6. यदि अंक योग कुंडली में अधिकांश मानसिक अंक हो तथा कम आत्मिक अंक हो तो ऐसे व्यक्ति संपन्न होते हैं और उनका गृहस्थ जीवन सुखद होता है।
7. यदि अंक योग कुंडली में आने वाले सभी अंक बायें गोलार्द्ध के है तो जातक के मस्तिष्क का बायां भाग अधिक सक्रिय होगा। यदि सभी अंक दायें गोलार्द्ध के हैं तो जातक के मस्तिष्क का दायां भाग अधिक सक्रिय होगा। यदि कुछ अंक बायें व कुछ अंक दायें गोलार्द्ध के हैं तो जातक के मस्तिष्क का पूर्ण विकास होगा।