अंक ज्योतिष और स्वास्थ्य
अंक ज्योतिष और स्वास्थ्य

अंक ज्योतिष और स्वास्थ्य  

अशोक भाटिया
व्यूस : 5090 | जून 2006

भारतीय चिकित्सा शास्त्र के अनुसार आयुर्वेद, जो अथर्ववेद का उपांग है, ब्रह्मा द्वारा अश्विनी कुमारों को सिखाया गया, उन्होंने यह ज्ञान इन्द्र को दिया और इन्द्र ने धन्वन्तरि को सिखाया। धन्वन्तरि ने मुनियों को यह ज्ञान दिया। भारतीय चिकित्सा पद्धति में आयुर्वेद के अनुसार किसी भी व्यक्ति का स्वभाव या शरीर की संरचना वात, पित्त व कफ पर निर्भर करती है।

रासायनिक प्रक्रिया शरीर की भौतिक व मानसिक क्रियाओं पर नियंत्रण रखती है। चरक संहिता के अनुसार त्रिदोषों की शरीर में स्थिति इस प्रकार है: कमर, जांघों, पैरों, हड्डियों व बड़ी आंत पर वात का, रक्त, पसीना, रस, लसीका व छोटी आंत पर पित्त का, छाती, सिर, गर्दन, जोड़ों व आंतों के ऊपरी हिस्से व वसा पर कफ का प्रभाव रहता है। व्यक्ति के शरीर में वात, पित्त और कफ में किसकी अधिकता होगी यह उस व्यक्ति के ग्रहों के अंक पर निर्भर करता है। जब तीनों में से किसी भी एक में बढोतरी होती है तो स्वास्थ्य पर उसका असर अवश्य पड़ता है। ज्योतिष में तनु भाव से जातक का स्वास्थ्य देखा जाता है। अंक विद्या में मूलांक तनु भाव का प्रतिनिधित्व करता है। अंक ज्योतिष में स्वास्थ्य का अध्ययन तीन आधारों पर किया जाता है। - जन्म तिथि में ‘मूलांक’ आधार - जन्म माह में ‘सूर्य संक्रांति’ आधार -. ‘नाम अंक’ आधार जन्म तिथि में ‘मूलांक’ आधार मूलांकों का स्वामी ग्रह त्रिदोषों को शरीर में किस प्रकार दर्शाता है इसे तालिका 1 से देखें:

मूलांक 1 (पित्त) रोग: मूलांक 1 वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य मूलतः पित्त के घटने-बढ़ने पर निर्भर करता है। उसे हृदय रोग, सिर दर्द, दांत संबंधी रोग, नेत्र रोग, मूत्र रोग आदि हो सकते हैं।

उपाय - नमक का प्रयोग कम करें। - श्रम वाला कार्य करें। - मुक्ता पिष्टी का प्रयोग करें। - रात का खाना देर से न खाएं।

मूलांक 2 (कफ) रोग: इस मूलांक के लोगों को उदर विकार, गैस के रोग, आंतों में सूजन, ट्यूमर, मानसिक दुर्बलता, फेफड़ों संबंधी रोग आदि हो सकते हैं।

उपाय - खाने में खीरा, शलजम, तरबूज, सरसों का साग, बंदगोभी व केले प्रयोग करें। - चिंता निवारण हेतु सोते समय पलंग के सिरहाने किसी बर्तन में जल रखकर सोएं और प्रातः वह जल पौधों में डाल दें। - रात में दूध नहीं पीना चाहिए। - सुबह काली मिर्च व शहद मिला कर खाएं। - काॅफी व तंबाकू का प्रयोग न करें। - छाछ या लस्सी पीकर पेट साफ रखें। - नींबू पानी पीएं।

मूलांक 3 (कफ) रोग: इन्हें तंत्रिका (स्नायु) संस्थान के रोग, पीठ तथा पैरों में दर्द, साइटिका तथा चर्म रोग, गैस, हड्डियों में दर्द, गले का रोग और लकवा होने का भय रहता है।

उपाय - मुख्यतः सेब, चेरी, अनार, अनन्नास, अंगूर, अंजीर, केसर, लौंग तथा बादाम का सेवन अधिक करें। - फरवरी, जून, सितंबर व दिसंबर में स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। - लहसुन व अदरक का प्रयोग कम करें। - गाजर का रस पीएं, गुलकंद खाएं।

मुलांक 4 (वात) रोग: श्वास रोग, हृदय रोग, रक्तचाप, टांगों में चोट, अनिद्रा, रक्त की कमी, सिरदर्द, पीठ दर्द, नेत्र रोग आदि।

उपाय - पालक का नियमित सेवन करें। - जनवरी, फरवरी, जुलाई, अगस्त व सितंबर में स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान दें। - फलों का रस पीएं पर दिन में फल न खाएं। फलों का प्रयोग सूर्यास्त के बाद करें। - हरी सब्जियां, अंकुरित मूंग आदि का सेवन करें।


Book Durga Saptashati Path with Samput


मूलांक 5 (वात) रोग: अपच (बदहजमी), मानसिक तनाव, सिरदर्द, जुकाम, कमजोर दृष्टि, हाथों में दर्द, कंधों में दर्द, लकवा जैसे रोग हो सकते हैं।

उपाय - गाजर का अधिक सेवन करें - जून, सितंबर एवं दिसंबर में स्वास्थ्य क्षीण होने की संभावना - गणेश जी की उपासना करें।

मूलांक 6 (कफ) रोग: गले, गुर्दे, छाती, मूत्र-विकार, हृदय रोग एवं गुप्तांगों के रोग, मधुमेह, पथरी, फेफड़ों के रोग आदि की संभावना रहती है।

उपाय: जनेऊ का प्रयोग करें। - मई, अक्तूबर, नवंबर में स्वास्थ्य क्षीण। - अंकुरित खाना खाएं। - दही का कम प्रयोग करें, मिठाई कम खाएं।

मूलांक 7 (कफ) रोग: अपच (बदहजमी), पेट के रोग, आंखों के नीचे काले धब्बे, सिरदर्द, रक्त विकार आदि की संभावना रहती है। फेफड़े संबंधी रोग, चर्म रोग, 45 वर्ष उपरांत स्मृति क्षीण होने की संभावना भी रहती है।

उपाय - सेब और फलों के रस का सेवन करें। - जनवरी, फरवरी, जुलाई, अगस्त में स्वास्थ्य क्षीण होने की संभावना रहती है अतः इन महीनों में स्वास्थ्य का ध्यान रखें। - खाना समय पर खाएं, काम के कारण खाना न छोड़ें। - विटामिन डी व ई का प्रयोग करें। - नियमित रूप से सैर पर जाएं।

मूलांक 8 (वात) रोग: लीवर रोग, श्वास रोग, वात रोग, रक्त विकार, मूत्र रोग आदि की संभावना है। इन्हें अवसाद (डिप्रेशन) की अधिक संभावना रहती है। लकवा हो सकता है तथा श्रवण शक्ति का कम होना संभव है।

उपाय - पालक, केले, खीरे, साग-सब्जियों व फलों का सेवन करें। - मांस के सेवन से बचें। - जनवरी, फरवरी, जुलाई, सितंबर व दिसंबर में स्वास्थ्य क्षीण होने की संभावना रहती है अतः इन महीनों में स्वास्थ्य का ध्यान रखें। - जनेऊ का प्रयोग करें। - विटामिन ए, डी, ई, कैल्सियम और आइरन लें।

मूलांक 9 (पित्त) रोग: इन्हें उदर-विकार, आग से जलने, मूत्र प्रणाली में विकार, ज्वर, सिरदर्द, दांत दर्द, पाइल्स, रक्त विकार, चर्म रोग की संभावना रहती है। देखने में शरीर स्वस्थ लगने पर भी कमजोरी हो सकती है।

उपाय

1. जनेऊ का प्रयोग करें।

2. छुहारे और दूध का सेवन करें।

3. सुबह सैर पर जाएं।

4. दिन में प्यास लगने पर फलों का रस पीएं।

5. विस्फोटक सामग्री तथा पटाखों से दूर रहें।

मिश्रित प्रभाव:

मूलांक 1 में दिनांक 28 को देखें तो उसमें तीन अंकों का प्रभाव रहेगा। अंक 2 कफ (चंद्र), अंक 8 वात (शनि) और 2$8 =10=मूलांक 1 पित्त। अर्थात दिनांक 1 वाले व्यक्ति पर पित्त का प्रभाव रहेगा पर दिनांक 28 वाले पर अंक 2, 8 एवं 1 का प्रभाव देखने को मिलेगा। जन्म माह में सूर्य संक्रांति आधार भारतीय मत के अनुसार निरयन पद्धति में सूर्य हर माह निश्चित दिनांक पर राशि बदलता है। जिस माह में जिस राशि में सूर्य प्रवेश करता है उस संक्रांति का नाम भी वही होता है।

सूर्य 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करता है तो 14 जनवरी से 13 फरवरी तक मकर संक्रांति का फल देखेंगे। मकर का माह अंक 8 है व उसका स्वामी शनि हैं अतः जातक को शनि ग्रह से संबंधित रोग हो सकते हैं तालिका 2 में हम सूर्य संक्रांति स्वास्थ्य अंक देख सकते हैं। सूर्य संक्रांति स्वास्थ्य राशि फल


Get Detailed Kundli Predictions with Brihat Kundli Phal


अंक 9 मेष (13 अप्रैल से 12 मई) मस्तक में चोट लगने, सिर दर्द, ज्वर, गुर्दे, उदर (पेट) विकार एवं अधिक आयु में रक्तचाप होने की आशंका रहेगी।

अंक 6 वृष (13 मई से 14 जून) (कफ) उदर विकार, कभी-कभी फेफड़े के रोग, रक्तचाप, आंख व गले की बीमारी हो सकती है। नमी वाले स्थान पर न रहें।

अंक 5 मिथुन (15 जून से 15 जुलाई) (वात) इन्हें नाड़ी विकार, स्नायु विकार, रक्त विकार, श्वास प्रणाली के रोग, बदहजमी, खांसी, जुकाम, निमोनिया, अवसाद और चर्म रोग की संभावना रहती है।

अंक 2 कर्क (16 जुलाई से 16 अगस्त) (कफ) पेट तथा फेफड़े के विकार की संभावना रहती है। शस्त्राघात भी हो सकता है।

अंक 1 (सिंह) 17 अगस्त से 16 सितंबर (पित्त) मध्यमावस्था में कंठ, कलेजे तथा फेफड़े संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। रक्तचाप, निमोनिया, वातज रोग, तिल्ली तथा हृदय की बीमारियां हो सकती हैं।

अंक 5 (कन्या) 17 सितंबर से 16 अक्तूबर (वात) बदहजमी, खांसी, स्नायु संस्थान में विकार, आदि हो सकते हैं। कंधों तथा हाथ-बाहों में दर्द की आशंका रहती है। व्यक्ति को शराब की लत लग सकती है। अंक 6 (शुक्र) तुला 17 अक्तूबर से 13 नवंबर (कफ) मूत्र विकार, गुर्दे के रोग, पीठ दर्द, रक्त विकार, दुर्घटना और आंखों की ज्योति क्षीण होने की संभावना रहती है। अंक 9 (मंगल) वृश्चिक 14 नवंबर से 14 दिसंबर (पित्त) इन्हें पेट विकार, फेफड़े के रोग, गठिया, रक्त विकार, गुप्तांग विकार की संभावना रहती है। अंक 3 (गुरु) धनु 15 दिसंबर से 13 जनवरी (कफ) इन्हें श्वास, फेफड़े, रक्त एवं जिगर विकार, चर्म रोग, मूत्र विकार होने की संभावना रहती है। अंक 8 (शनि) मकर 14 जनवरी से 13 फरवरी (वात) बदहजमी, कमजोरी, निराशा, चिड़चिड़ापन, वात रोग, दृष्टि कमजोर, पाचन शक्ति में गड़बड़ी, स्नायु विकार और अंदरूनी चोटों का भय बना रहेगा।

अंक 8 (शनि) कुंभ 14 फरवरी से 13 मार्च (वात) कंठ रोग, पेट में दर्द, वायु, रक्त, हृदय एवं श्वास विकार की संभावना रहती है। साथ ही गुर्दे के रोग, पथरी, खून की कमी और गले के रोग होने की संभावना भी रहती है। अंक 3 (मीन) 14 मार्च से 12 अप्रैल (कफ) इन्हें तंत्रिका प्रणाली के रोग, हृदय रोग, गुप्तांग रोग, नेत्र विकार, अवसाद, अनिद्रा, आंतों के विकार, श्वास विकार, रक्त विकार और हाजमे की खराबी का सामना करना पड़ता है।

स्त्रियों को गर्भाशय संबंधी व पुरुषों को गुप्त अंगों में रोग का भय रहता है। ‘नाम अंक’ आधार अंक ज्योतिष का विशिष्ट मापदंड है नामांक। नाम के अक्षर भी आप के भविष्य और स्वास्थ्य पर असर डालते हैं। प्रसिद्ध अंक ज्योतिर्विद सेफेरियल द्वारा दिए गए अंग्रेजी अक्षरों के निश्चित अंक तालिका 3 के अनुसार हंै। नामांक से स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त करने के लिए संपूर्ण नाम का संयुक्तांक ज्ञात कर उसका फल देखना चाहिए। यदि संयुक्तांक 22 से अधिक हो तो उसमें से 22 घटाकर जो अंक प्राप्त हो उस अंक का फल देखना चाहिए।


Consult our astrologers for more details on compatibility marriage astrology




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.