वायव्य कोण बंद, खुशियों में विलंब पं. गोपाल शर्मा (बी.ई.) पिछले कुछ दिन पूर्व पंडित जी बल्लभगढ़, फरीदाबाद के एक उद्योगपति के यहां वास्तु परीक्षण करने गए। वहां बताया गया कि उन्होंने लगभग पांच साल पहले अपना घर शुरुआत से ही 550 गज के खाली प्लाट पर किसी प्रसिद्ध वास्तुकार की सलाह से बनाया था पर फिर भी यहां आने के बाद से कुछ न कुछ समस्याएं निरंतर बनी रहती हैं। काफी कुछ अच्छा भी हुआ है, परंतु मिश्रित परिणाम ही मिले हैं। आर्थिक समस्याएं बनी रहती है। पैसा टूट-टूट के आता है। बेटी की शादी आराम से हो गई परंतु बेटे की शादी होने में काफी विलंब होता जा रहा है। फैक्ट्री में योजनाएं समय पर कार्यान्वित नहीं हो पाती तथा घर में तनाव बना रहता है। वास्तु परीक्षण करने पर पाए गए वास्तु दोष: प्लाट का मुख्य द्वार दक्षिण-पूर्व, पूर्व में बना था जिससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। पुत्र को कष्ट व आपसी सामंजस्य की कमी रहती है। बिल्डिंग का दक्षिण-पूर्व का कोना कटा हुआ था जो कि घर में उत्साह, जोश एवं स्फूर्ति का अभाव लाता है। आर्थिक समस्याएं एवं वरिष्ठ महिलाओं का स्वास्थ्य हानि का कारण होता है। उत्तर-पश्चिम का कोना बंद था जो योजनाओं को कार्यान्वित होने में विलंब तथा मानसिक तनाव का कारण होता है। उत्तर-पश्चिम में नौकरों का कमरा होने से नौकर घर में टिकते नहीं है। उत्तर में सीढ़ियां बनी थीं जो कि पैसों के टूट-टूट कर आने का मुख्य कारण है तथा जितनी व्यापारिक तरक्की होनी चाहिए उतनी नहीं हो पाती है। सुझाव: मुख्य द्वार के नीचे चांदी की पत्ती तथा 9 पीतल के पिरामिड दबाने की सलाह दी गई तथा द्वार पर स्पीड ब्रेकर की तरह दहलीज बनाने को कहा गया जिससे गाड़ी अन्दर आन े मं े मुश्किल न हो। दहलीज पर पीला पेंट भी करने को कहा गया। उत्तर पश्चिम के कोने को खोलने को कहा गया तथा नौकरों का कमरा पश्चिम की दीवार के साथ बनाने को कहा गया। उत्तर-पश्चिम में बने शौचालय की सीध में बिल्डिंग को लकड़ी का परगोला बनाकर आयताकार करने को कहा गया। उत्तर में बनी सीढ़ियों को रसोई के साथ दक्षिणपूर्व की ओर या पश्चिम में बनाने की सलाह दी गई। उनके घर में उत्तर-पूर्व में बोरिंग, भूमिगत जल स्रोत तथा छोटा द्वार होना उनकी समृद्धि के कारण रहे, परंतु उपरोक्त सुझावों को कार्यान्वित करने के बाद जीवन में खुशियां सुख व समृद्धि सभी कुछ होगा। ऐसा पंडित जी ने उन्हें आश्वासन दिया।