चमत्कार का अंक-9
चमत्कार का अंक-9

चमत्कार का अंक-9  

अनंत शर्मा
व्यूस : 22458 | अप्रैल 2010

आचार्य मनीषी बेकन ने कहा कि संसार सार में मनुष्य अद्भुत प्राणी है और उससे भी अनूठा है उसका मस्तिष्क-ज्योतिष ग्रह सभी कुछ क्रम, संतुलन नियम एवं लयबद्ध कार्य कलाप से संचालित होते हैं। फलदायक गणना का क्रम भी निश्चित सिद्धांत और गुणा से अपना कार्य करता है। अंक शास्त्री भी अपना कार्य करता है। अंक शास्त्री भी अपना कार्य कुछ नियम से ही करता है नौ के अंक के स्वामी मंगल है। संसार सागर वसुंधरा पृथ्वी का पर्यायवाची है।

चराचर पृथ्वी मां पर आधार लेकर अपनी गति निर्धारित करते हैं। शब्द ही ब्रह्मा है प्रत्येक शब्द या अंक अपना-अपना प्रभाव डालते हैं। नौ का अंक चमत्कार का अंक माना जाता है यह पूर्णांक है वेदांक भी है यथा 9, 18, 27, 36, 54, 63, 72, 81, 90 आदि। मुख्य ग्रह नौ होते हैं शुभ नवरात्रि, संपूर्ण मंत्र वाममार्गीय दक्षिण पंथी 108 के अंकों को आधार मानकर अपना कार्य करते हैं तथा साधना आराधना भी करते हैं।

महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला 18 अक्षौहिणी सेना को संचालित करते रहे। गीता 18 अध्याय पर आधारित है। राम-रावण युद्ध 9 दिन तक चला। ¬ - अ - म के क्रमशः 3ग्3=9 ऋचा है शब्द ब्रह्म को संगीतवद्ध करता है भारतीय संस्कृति नौ के अंक की अत्यंत शुभ मानती है। महात्मा तुलसीदास जी ने भी राम शलाका का निर्माण नौ अंकों के आधार पर ही किया। श्रीराम ने परशुराम जी को कहा देव एक गुण धनुष हमारे नवगुण पर परम पुनीत तुम्हारे। सीता राम स्वयं बीजाक्षर है यथा सं. 32, ई=4, व= 6, आ=2, योग= 54 इसी प्रकार के र=27 आ=2 म=25=योग 54=9 कुल 109=9, आदि संदर्भ भारतीय वर्ण क्रम आगे--आंग्ल--क्रम। तुलसी अपने राम को रीझ भजे या खीज-- विवाह के समय श्री राम जी की उम्र = 27 = 9 थी जबकि सीता जी भी 18 = 9 वर्ष की राधे श्याम राधे कृष्ण का मूलांक = 9 है। महिलाओं की पुरानी अंतर्राष्ट्रीय संस्था है।


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उसका नाम = 99 है। दुर्गण को त्यागने हेतु गांधी जी ने 9 को आधार माना और कहा कि 9, 8, 7, 6, 5, 4, 3, 2, 1 के क्रमशः से ही दुर्गण को कीजिजए सफलता मिलेगी। मनुष्य भी 14 जन्म जात प्रवृŸिा से संचलित है। 9 प्रवृŸिायां मानसिकता (भौतिक) प्रधान होती है। ज्योतिष शास्त्र में 9 वां स्थान बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिष सीखने के लिए नौ का पहाड़ा बड़ा महत्वपूर्ण माना जता है। 1$8=9 मेष$वृश्चिक 2$7 वृषभ-तुला 3$6=मिथुन-कन्या, पुरुष प्रधान राशि स्वामी सूर्य=5 एवं कन्या प्रधान राशि चंद्र=4= 9 योन 12 राशियों के मूल आधार सर्यू चंद्र = पुरुष-कन्या आदि, मार्गी अतिचारी वक्री प्रणाली से शनि गुरु महत्व-पूर्ण योग प्रदान करते हैं

धनु-मीन (गुरु) 9$12=3, 3ग्3=9 मकर-कुंभ 10$11=21 =3ग्3=9 मंगल का तो 9 से प्रभाव रहता है। छाया मंदी ग्रहों राहू महादशा भी 18 वर्ष की है वह भी 9 से प्रभावित है। तारा द्वारा भविष्य भी नौ पर आधारित है। माया-एक्का=11 बेगम=12 बादशा=13 कुल अंक 36 = 9, 1 से लेकर 9 अंक भी अपना योग 45 = 9 रखते हैं। दहला 10 = का अंक ईश्वर परक हैं। जगन्नाथपुरी की पूजा अर्चना प्रक्रिया क्रिया नौ दिनों तक चलती है।

कहा जाता है कि श्री राम की भौतिक आयु 306 वर्ष पूर्ण करके पूरी हुई इसी प्रकार योगीराज कृष्ण की आयु भी 207 वर्ष संत तुलसी जी की भी भौतिक आयु=126 वर्ष यानि नौ से पूर्ण होकर पूरी हुई । 27 नक्षत्र के बिना हमारा कोई काम पूरा नहीं होता जबकि विवाह राशि मिलाप में भी 36 का अंक अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है। ये सभी कुछ नौ अंकों के प्रमाण से संचालित होते हैं। 1 2 3 4 5 6 7 8 9 A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z 0 I 9 2 I 9 I S I T A R A M


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