भारतीय संस्कृति में संतान का विशेष कर पुत्र संतान का विशेष महत्व है। इस लोक और परलोक की सुख-शांति के लिए पुत्र की आवश्यकता बताई गई है। पुं नामक नरक से त्राण कराने वाला ही पुत्र है। जिन दंपतियों को पुत्र का अभाव होता है वे गोद लेकर अपनी ईच्छा की पूर्ति करते हैं। क्या जातक गोद जायेगा। इस प्रश्न का उत्तर जातक की कुंडली में निम्नलिखित योगों की उपस्थिति देखकर दिया जा सकता है:
1. कर्क या सिंह राशि में पाप ग्रह होने पर।
2. चंद्रमा अथवा सूर्य पाप ग्रहों के साथ हों या उनसे दृष्ट हों।
3. चतुर्थ एवं दशम भाव में पाप ग्रहों की उपस्थिति हो।
4. सूर्य या चंद्रमा शत्रु क्षेत्री ग्रहों से युत हांे।
5. अष्टमेश पाप ग्रह से युत होकर दशम भाव में गया हो।
6. नवम भाव या नवमेश चर या द्विस्वभाव राशिगत बलवान होने तथा शनि से युत अथवा दृष्ट होने पर - जातक अवश्य गोद जाता है।
कुंडली 1- 21.09.1947, 10.30, जोधपुर कर्क राशि में पाप ग्रह। पहला सूत्र लागू। चंद्रमा पाप ग्रह के साथ है, सूर्य पाप ग्रह से देखा जाता है नवम भाव में चर राशि है, नवमेश चर राशि में है, नवम भाव शनि से दृष्ट है। जातक अपने ताऊ के गोद गया, करोड़ों की सम्पत्ति का स्वामी बना।
कुंडली 2 - 12.06.1896, 09.00, लखनऊ जातक युवावस्था के बाद गोद गया। देखिये- सिंह राशि में पाप ग्रह केतु है। चंद्रमा पाप ग्रह मंगल से देखा जाता है। चतुर्थ स्थान में पाप ग्रह शनि है। नवमेश बृहस्पति चर राशि में है, बलवान है एवं शनि से दृष्ट है।
कुंडली 3- 11.12.1879, 2.13, अकोला जातक का जन्म साधारण परिवार में हुआ लेकिन गोद चले जाने के कारण बहुत धन संपत्ति प्राप्त हुई। जीवन में खूब दान-पुण्य मिला। सामाजिक संस्थाओं की स्थापना की, चंदा दिया। चंद्रमा पाप ग्रह मंगल से देखा जाता है। चतुर्थ एवं दशम भाव में पाप ग्रह राहु-केतु बैठे हैं। सूर्य पाप ग्रह के साथ तो नहीं है, पाप ग्रह मंगल से अवश्य देखा जा रहा है। नवमेश शुक्र चर राशि में है, बलवान है। नवमेश शनि से नहीं देखा जाता। नवम भाव पर शनि की अवश्य दृष्टि है।