दैनिक जीवन में तंत्र
दैनिक जीवन में तंत्र

दैनिक जीवन में तंत्र  

व्यूस : 14946 | अकतूबर 2012
दैनिक जीवन में तंत्र पं. महेश नंद शर्मा संसार में किसी भी विद्या की महत्ता उसकी तात्कालिक उपयोगिता और लाभ के आधार पर आंकी जाती है। तंत्र के महत्व को भी लोग इसी आधार पर स्वीकार करते हैं कि उससे कई तरीके से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है और दैनिक जीवन की रूप-रेखा में मनोवांछित परिवर्तन किये जा सकते हैं। गंगाजल व गौमूत्र को बराबर मात्रा में मिलाकर किसी शुभ मुहूर्त में आक के पत्ते से घर में ग्यारह दिन लगातार छिडकने से घर में सुख शांति आती है। अगर परिवार के किसी सदस्य की कुंडली में शुक्र की किसी अन्य ग्रह के साथ युति हो तो प्रतिदिन संध्या के समय तेल का दीपक जलाना चाहिये। शमी, बेल, आक के फूल, फल, पत्ते, जड़, छाल आदि से लक्ष्मी उपासना करते हुए आहुति देने से लक्ष्मी कृपा बनी रहती है। कई बार व्यक्ति जिस स्थान पर कार्य कर रहा होता है वहां से किसी कारणवश अपना स्थान परिवर्तन नहीं चाहता है। ऐसे व्यक्ति सेव खाकर उसके बीज सफेद वस्त्र में रखकर हमेशा अपने पास रखें। स्थान परिवर्तन की संभावना कम हो जाती है। घर में क्लेश होते हो या अपनी मेहनत के अनुसार लाभ नहीं मिल रहा हो तो शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से प्रति शुक्रवार इक्कीस बार आप चावल बनाये, उन्हें परात में खाली कर शक्कर एवं देशी घी मिलाकर सफेद गाय को जो बैठी हो, उसे दे परंतु चावल पकाने से पहले स्नान कर सफेद वस्त्र पहन लेने चाहिये। इससे घर का प्रत्येक व्यक्ति प्रगति के मार्ग पर अग्रसर होगा। दूध पीता बच्चा दिनभर पालने में ही सोया रहता है। उस को नजर नही लगे, इस हेतु एक सफेद नये वस्त्र का टुकड़ा लें। उस पर हनुमान जी के सिर का सिंदूर, थोड़े उड़द के दाने, एक लाल मिर्च, एक लोहे की कील, काले धागे से पालने के ऊपर बांध दे। बालक पर नजर या टोक कर असर नहीं होगा। छोटे बच्चों को नजर दोष से बचाने हेतु काले धागे में कौड़ी पिरोकर गले में पहनायें। यदि पुत्र से संबंध खराब रहते हो तो सात शनिवार पीपल के पेड़ के नीचे काले-तिल, उड़द, शक्कर (तीनों चीजें एक-एक चम्मच) पीपल के पेड़ की जड़ में चढ़ायें व इसके पश्चात् पीपल को सींच कर सरसो के तेल का दीपक जलायें। बहन या बुआ से संबंध खराब हो तो पांच बुधवार सवा 5 किलो ग्राम हरा चारा गाय को खिलाये। भाई से संबंध खराब रहते हो तो शुक्ल पक्ष के मंगलवार को हनुमान जी का श्रृंगार करायें व चार मंगलवार उसी मंदिर में प्रसाद चढ़ायें। घर में नकारात्मक दृष्टि या शक्तियों का आगमन न हो इसके लिए प्रतिदिन शाम को लोबान या गुग्गल की धूप जलायें। बहेड़ा का बांदा (कभी-कभी वृक्षो की दो शाखाओं के जोड़ में किसी दूसरी प्रजाति का वृक्ष बिना बीज बोए स्वतः ही उग आता है। कभी-कभी उसी प्रजाति का नया वृक्ष भी उग आता है) उसी को बांदा कहते हैं। सोमवार के दिन आश्लेषा नक्षत्र में लाकर पूजने से धन वृद्धि होती है। दूर्वा का बांदा पूर्वाषाढा नक्षत्र में लाकर पूजा करें। फिर दुकान या कार्यस्थल पर रखे तो व्यवसाय में वृद्धि होती है। पति-पत्नी में प्रेम न हो, आपस में लड़ाई-झगड़ा, मनमुटाव हो तो उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में आम का बांदा लाकर दांई भुजा पर बांधने से जीवन सुखी रहता है। बेरा का बांदा स्वाति नक्षत्र में लाकर पूजा के बाद घर के लाकर में रखने से सांसारिक सुखों में वृद्धि होती हैं। लहसुन व हींग की धूनी से प्रेत बाधा दूर होती है। पीली सरसो, नीम के पत्ते व सांप की केंचुली की धूनी से प्रेत-बाधा दूर होती है। बच्चे के स्वयं टूटे दांत को संतान की इच्छुक स्त्री अगर अपने शयन कक्ष में रख ले तो शीघ्र संतान-सुख प्राप्त होता है। जिस घर के उत्तर की ओर अशोक वृक्ष लगा होता है उस घर में हमेशा सुख-शांति, खुशी रहती है। सत्यनारायण भगवान के पूजन में कदली पत्र रखने से विशेष शुभत्व की प्राप्ति होती है। रवि पुष्य योग में निकाली गई सफेद आंकड़े की जड़ को जो व्यक्ति अपनी दाहिनी भुजा में धारण करता है उसे हिंसक पशुओं का भय नहीं रहता। आक की जड़ का ताबीज बनाकर गले में पहनने से एकान्तर ज्वर नहीं आता है। जिन लोगों के कार्य में बहुत बाधायें आ रही हों जिसके कारण वे अत्यधिक मानसिक परेशान रहता हो तो शनिवार को छोड़कर किसी भी दिन एक पीपल का पत्ता तोड़ ले। उस पत्ते पर पूर्व की तरफ मुख करके ऊनी आसन पर बैठकर केसर की स्याही और अनार की कलम से ‘‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’’ ऐसा तीन बार लिखकर इस पत्ते को पूजा स्थल पर सुरक्षित रख कर इस पर नित्य अगरबत्ती की धूनी दंे। भगवान की कृपा से हर बाधा दूर होगी। किसी भी विप्र को जब कोई दान दे तब उसमें नारियल का समावेश अवश्य करे। ऐसा करने से दान का पुण्य कोटि-कोटि गुना प्राप्त होता है। हल्दी की गांठ की माला से तांत्रिक सिद्धियों को प्राप्त करने हेतु जप किया जाता है। काली हल्दी की दो गांठों को स्नान के जल में कुछ समय तक पड़ी रहने दें। तदुपरांत उन्हें निकालकर रख लें एवं उस जल से स्नान करें। बुध ग्रह की पीड़ा का रहण होता है। चतुर्दशी के दिन वट की जड़ में दूध चढ़ाने से देव-बाधा दूर होती है। चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर हनुमानजी का चोला हर मंगलवार को चढ़ाने से संकट दूर होते हैं। गूलर के आठ वृक्षों का रोपण करने वाला मृत्यु के उपरांत स्वर्गिक सुख भोगता है। प्रत्येक शुभ कार्यो में स्त्री-पुरुष के द्वारा हाथ-पैर में मेंहदी लगाना शुभत्व में वृद्धि करता है। अनिद्रा की स्थिति में मेहदी का फूल सिरहाने रखने से नींद आती है। शनिवार शाम को एक सूखे नारियल में आटे, शक्कर व देशी घी का मिश्रण भरकर पीपल के पेड़ के नीचे दबाने से शीघ्र विवाह होने की संभावना रहती है। यह क्रिया भी कम से कम पांच शनिवार करनी चाहिये। अगर बार-बार विवाह की बात टल जाती है तो कन्या गुरुवार तथा लड़का शुक्रवार को एक ताला लाकर बंद कर शनिवार सूर्योदय से पूर्व चाबी सहित चैराहे पर रख दे। विवाह में आ रही दिक्कत दूर हो जाती है। लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए अपने घर के पास कटहल का वृक्ष लगाएं एवं उसकी सेवा करें। धन संबंधी समस्याएं धीरे-धीरे समाप्त हो जायेगी। अगर राहु एवं केतु का प्रकोप जातक पर हो तो उसे प्रतिदिन चीटियों को आटा या चीनी खिलाना चाहिये। दुर्भाग्य को सौभाग्य में परिवर्तित करने हेतु किसी कुंए या बावड़ी के समीप पीपल का पौधा लगावें। पौधे के वृक्ष में बदलने तक उसको सींचे, पालन पोषण करे, ऐसा करने से दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलते देर नहीं लगती। हमेशा ऐसे वृक्ष के समक्ष संध्या के समय दीपक जलावें। शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित जातकों को पुराने कपड़े, जूतों का दान, अमावस्या को पवित्र नदी में स्नान एवं शनि कवच का पाठ करना चाहिये। ऐसा करने से शनि देव की कृपा से साढे साती में उन्नति के द्वार खुलते है, इसमें कोई संशय नहीं। मंगलवार के दिन हनुमान जी के पैरों का सिंदूर माथे पर लगाने से भी समान परिणाम प्राप्त होते हैं। सोने के कमरे में तिल के तेल का दीपक प्रज्जवलित करके सोने से बुरे सपने नहीं आते एवं गहरी नींद आती है। प्रातः, दोपहर तथा संध्या इन तीनों समय में गणेशजी के बारह नामों का स्मरण करने से साधक के बिगड़ते कार्य बनने लगते हैं एवं उसके संपर्क में आने वाले प्राणी वशीभूत होते हैं। घर के ईशान कोण में शौचालय, आग्नेय कोण में जल स्रोत, ब्रह्म स्थान में वजन, र्नैत्य कोण में खालीपन ये सभी दोष सदस्यों को अवनति की ओर ले जाते हैं। घर में बैठे हुए गणेशजी तथा कार्यस्थल पर खड़े गणपतिजी का चित्र लगाना चाहिये, किंतु यह ध्यान रखें कि खड़े गणेश जी के दोनों पैर जमीन का स्पर्श करते हुए हो। सुख-शांति, समृद्धि की चाह रखने वालों को सफेद रंग के विनायक की मूर्ति अथवा चित्र लगाना चाहिये। किसी भी विशेष कार्य से बाहर जाते वक्त गणेश जी को अर्पित किया हुआ पुष्प अपने साथ रखने से कार्य में विघ्न-बाधा नही आती।



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