दर्द का रिश्ता
दर्द का रिश्ता

दर्द का रिश्ता  

आभा बंसल
व्यूस : 4954 | दिसम्बर 2010

संसार में जब बच्चा जन्म लेता है तो अपने माता-पिता से खून का शाश्वत रिश्ता लेकर आता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है नये रिश्ते जुड़ते जाते हैं कभी दोस्ती का रिश्ता तो कभी प्यार का । दुष्मनी का रिष्ता होने में भी देर नहीं लगती। बहुत से दूर के रिष्ते भी होते हैं जिन्हें हम न जानते हुए या न चाहते हुए भी निभाते रहते हैं और उनसे किसी न किसी रूप में जुड़ जाते हैं और उनके सुख दुख को अपने जीवन से जोड़ने लगते हैं।

कुछ लोग अपने खून के रिश्तों को ही नकार देते हैं लेकिन कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिनको हम कोई नाम नहीं दे सकते। जिनके बारे में हम कुछ भी नहीं जानते पर उनको देख कर, उनकी आप बीती सुनकर हम उनसे एक ऐसे अनोखे रिश्ते में बंध जाते हैं कि वे हमें अपने सगे से लगने लगते हैं और जबकि कितनी ही दफा अपने सगे, सगे होते हुए भी पराए से लगने लगते हैं।

क्योंकि उन्हें एक-दूसरे के जीवन की घटनाओं से कोई सरोकार नहीं होता। कुछ दिन पहले मेरी मुलाकात इग्लैंड से आए पुष्कर से हुई। पुष्कर का जन्म भारत में ही हुआ था। जब वह बहुत छोटा था तो उसे पोलियो हो गया। उसके मां बाप ने उसका बहुत इलाज कराया और उसे बेहतर इलाज के उद्देश्य से इग्लैंड ले गये और वहीं पर बस गये।

पुष्कर ने वहीं पर उच्च शिक्षा प्राप्त की और डाक्यूमेन्टरी फिल्म निर्माण के कार्य में जुट गया। अपनी फिल्म के छायांकन के लिए ही उसने भारत का दौरा किया था। पुष्कर के साथ कुछ समय बिताने पर पता चला कि वह यहां पोलियो से ग्रसित व्यक्तियों की दिनचर्या व उनके जीवन पर फिल्म बना रहा है।

यही सब बतियाते हुए हम अपनी कार में जा रहे थे और हमारी गाड़ी लाल बŸाी के चैक पर रुकी थी तभी एक पोलियो ग्रसित व्यक्ति अपनी छोटी सी रेड़ी पर बैठा हुआ आकर भीख मांगने लगा तो पुष्कर उसको देखता ही रह गया।


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मैं उसको बहुत ध्यान से देख रही थी। पुष्कर ने ड्राईवर को गाड़ी किनारे लगाने को कहा और खुद उतरकर उस भिखारी से बात करने लगा उसने तुरंत उसे बहुत से पैसे निकाल कर दिये और उसे सहारा देकर उठाकर अपनी व्हील चेयर में बिठा दिया और फिर खुद उसकी छोटी रेड़ी में बैठकर घिसट-घिसट कर चलने लगा और उसकी तरह भीख मांगने लगा। उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे और मैं खामोश सी उसे देखे जा रही थी। यही हाल उस भिखारी का था जो कार में बैठकर इस दृश्य को देख रहा था।

एक सूटेड- बूटेड व्यक्ति को भिखारी की तरह भीख मांगते देख वहां पर भीड़ जुड़ गई। पुष्कर जब अधिक भावुक हो गया तो मैं फौरन उसे उठाकर उसकी चेयर तक लाई ओर उसको ढाढस बंधाया। पुष्कर यही सोचकर बहुत भावुक हो रहा था कि अगर उसके माता-पिता ने उसका साथ न दिया होता और उसका जन्म एक सम्पन्न घर में न हुआ होता तो शायद उसकी भी यही दशा होती।

पु को अपनी पूर्ववत दशा में आने में काफी समय लगा। उसने उस भिखारी का नाम पूछा और उसकी पूरी कहानी सुनी। फिर हम सभी उस भिखारी को लेकर एक होटल में खाना खाने गये। पुष्कर ने उसको काफी पैसे दिये और उसको आश्वासन दिया कि वह उसे इग्लैंड बुलाकर उसका पूरा इलाज कराएगा और साथ ही अपनी फिल्म में भी काम करने का करार दे दिया। इस अन्जान भिखारी से ऐसा दर्द का रिश्ता कायम हो गया था

जिसे वह जिंदा रखना चाहता था और उससे जुड़े रहने से शायद उसकी आत्मा को एक सुकून मिल रहा था कि वह उनके लिए कुछ कर के शायद अपने दर्द के रिश्ते को निभा रहा है और उनके दर्द को बांट रहा है। आइये देखें पुष्कर के बचपन में उसके साथ यह दुर्घटना क्यों हुई क्या यह उसके प्रारब्ध का परिणाम था। पुष्कर की कुंडली में लग्नेश बुध रोग स्थान में वृश्चिक राशि अर्थात् शत्रु राशि मंगल के घर में स्थित है और मंगल अस्त है।

नवांश में बुध नीच राहू के साथ स्थित है और शनि मंगल से दृष्ट है और चलित में द्वितीयेश चंद्र और पंचमेश शुक्र बुध के साथ छठे भाव में स्थित है और द्वादश भाव को देख रहे हैं। स्वास्थ्य का कारक लग्नेश षष्ठस्थ है। षडबल में भी बुध अत्यंत कमजोर स्थिति में है। इसलिए पुष्कर की शारीरिक स्थिति की रक्षा नहीं कर पाया और वह पोलियो की बीमारी से पीड़ित हो गया। साथ ही आरोग्यता का कारक सूर्य ग्रह राहु व शनि अधिष्ठित राशि का स्वामी होकर राहु से दृष्ट व षष्ठेश मंगल से युक्त है।

मंगल षष्ठेश व षष्ठ से षष्ठ भाव का स्वामी होकर अस्त है व राहु से दृष्ट है, चंद्र लग्न से यह मंगल मारकेश है। लग्न राहु के नक्षत्र में है तथा शुक्र व चंद्र शनि से दृष्ट हैं और लग्न पर सूर्य व मंगल तथा उच्च के गुरु पर भी षष्ठेश व एकादशेश मंगल की दृष्टि है। इस प्रकार लग्न व सभी ग्रहों के पीड़ित होने तथा लग्नेश के कमजोर होने से जातक रोग ग्रस्त हुआ। जन्म के समय पुष्कर की गुरु की महादशा चल रही थी।


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गुरु सप्तमेश और दशमेश होकर केंद्राधिपति दोष से दोषी होकर द्वितीय स्थान में वक्र होकर उच्चराशि में स्थित है और रोग के स्वामी मंगल की अष्टम दृष्टि में है। गुरु की दशा सितंबर 1987 तक चली जिसमें शारीरिक कष्ट से पीड़ित रहा। उसके बाद शनि की दशा में माता-पिता के साथ विदेश चला गया और शनि की दशा ने अच्छे परिणाम दिए। शनि लग्न से तृतीय भाव में वक्र होकर अत्यंत बलवान स्थिति में बैठकर भाग्येश होकर भाग्य स्थान को देख रहे हैं।

इसलिए विदेश में शनि की दशा में पुष्कर के भाग्य ने उसका साथ दिया। उसने वहां पर उच्चतर शिक्षा प्राप्त की और विकलांग होते हुए भी आत्म विश्वास को नहीं खोया। शनि की दशा सितंबर 2006 तक चली उसके बाद बुध की महादशा आई। उस दशा में गुरु की बुध को दृष्टि के कारण उसका कर्म जीवन ठीक चल रहा है।

लंदन में पुष्कर डाक्यूमेन्टरी फिल्म बनाने का कार्य कर रहा है और उसमें वह विकलांग बच्चों के जीवन में उनके जीवन से जुड़े पहलुओं का मार्मिक चित्रण कर आर्थिक रूप से भी धनार्जन कर रहा हैै। वर्तमान समय में बुध की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा फरवरी 2010 से दिसंबर 2012 तक चलेगी। शुक्र इस कुंडली में पंचमेश व द्वादशेश होकर योगकारक है। चलित में शुक्र, बुध के षष्ठ भाव में होने से विदेश से धनार्जन हो रहा है

तथा शिक्षा भी विदेश में प्राप्त हुई इसके साथ-साथ वह विकलांग बच्चों को भिन्न प्रकार के खेलों में पारंगत करता है। यह कुंडली के तीसरे भाव में बैठे राहु और शनि का प्रभाव है। कुंडली में चंद्र, शुक्र की युति तथा चंद्र लग्नेश के स्वगृही होने एवम् उच्चराशिस्थ गुरु के दशमेश होकर दशमभाव पर दृष्टि के प्रभाव से पुष्कर धार्मिक भावनाओं व परोपकार की भावनाओं से ओत प्रोत होकर डाॅक्यूमेंटरी फिल्म के माध्यम से मानवता के लिए एक समाज सुधारक नेता की तरह कार्य कर रहा है

जिसमें तृतीयस्थ राहु व शनि सफलता दिलाने का अतिरिक्त कार्य कर रहे हैं। पुष्कर दुनिया को न केवल विकलांगों की हारी हुई मानसिकता, बेबसी व उनकी जिंदगी के अनदेखे पहलुओं से अवगत करा रहा है अपितु उन्हें भी कमाई का एक जरिया प्रदान कर रहा है क्योंकि वह खुद को उन सबके बहुत करीब समझता है और उनका दर्द बांटने में उसे बहुत सुकून मिलता है। ईश्वर उसे उसके लक्ष्य प्राप्ति में पूर्ण सक्षम बनाए और वह समाज में एक नई मिसाल पैदा कर सके। पुष्कर के लिए यही मेरी शुभकामना है।



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