बिना तोड़-फोड़ के वास्तु सुधार डॉ. निर्मल कोठारी वास्तु दोषों के निराकरण हेतु तोड़-फोड़ से भवन के स्वामी को आर्थिक हानि तो होती ही है, साथ ही कीमती समय भी जाया होता है। इस तरह का निराकरण गृह स्वामी को कष्ट देने वाला होता है तथा व्यक्ति मानसिक रूप से टूट जाता है। इस आलेख में भवन को नुकसान पहुंचाए बिना वास्तु दोषों का निवारण करने के सरल उपायों का वर्णन किया गया है।
पूर्व दिशा में बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोषों का निवारण:
दोष : भवन की पूर्व दिशा का भाग अन्य दिशाओं की अपेक्षा ऊंचा होना।
उपाय : उपरोक्त दोष निवारण के लिए भवन में टी.वी. का ऐन्टीना नैत्य कोण में लगा लें, जिसकी ऊंचाई भवन के पूर्वी एवं उत्तरी भाग की दीवारों से अधिक हो, ऐन्टीना के स्थान पर लोहे का एक पाइप या झंडा भी लगाया जा सकता है। भवन के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में ठोस वस्तुएं एवं उत्तरी-पूर्वी भाग में पोली वस्तुएं रख देनी चाहिए।
दोष : भवन में यदि पूर्वी-उत्तरी भाग में बिना कोई रिक्त स्थान छोड़े घर का निर्माण हो गया है तो-
उपाय : दूसरी मंजिल का निर्माण कराते समय उत्तरी एवं पूर्वी भाग को खाली छोड़ दें और जब तक निर्माण कार्य नहीं होता, तब तक के लिए पूर्वी एवं उत्तरी भाग का हिस्सा बिना सामान के खाली छोड़ दें।
दोष : मुखय द्वार यदि आग्नेय में हो तो-
उपाय : मुखय दरबाजे पर गहरे लाल रंग का पेन्ट करने तथा दरबाजे पर लाल रंग के पर्दे लगाने से इस दोष का निवारण हो जाता है। दरवाजे पर बाहर की ओर सूर्य का चित्र लगा दें। पूर्व आग्नेय कोण में स्थित दरवाजे को बंद रखें।
ईशान कोण में मुखय वास्तु दोष एवं बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोषों के निवारण के उपाय :
दोष : र्इ्रशानोन्मुख भूखंड की उत्तरी दिशा में ऊंची इमारत या भवन हो तो-
उपाय : उपरोक्त वास्तु दोष को दूर करने के लिए उत्तर-दिशा वाली ऊंची इमारत और भवन के बीच एक मार्ग बना देना चाहिए अर्थात् मार्ग के लिए खाली जगह छोड़ दें। इससे ऊंची इमारत के कारण जो वेध उत्पन्न हो रहा है, उसके एवं भूखंड के बीच मार्ग बन जाने से वास्तु दोष या वेध दोष का निवारण स्वतः ही हो जाएगा।
दोष : ईशानोन्मुख भूखंड पर पूर्व व उत्तर दिशा की चार दीवारी से सटाकर एवं पश्चिम व दक्षिण दीवार से हटकर भवन होने से-
उपाय : इस स्थिति में पूर्व या उत्तर दिशा के लिए निर्माण का कम से कम प्रयोग करें और इस भाग को हमेशा साफ एवं शुद्ध रखें। इसके साथ ही भूखंड के नैत्य कोण में अनुपयोगी एवं भारी वस्तुओं का ढेर बनाकर रखें।
दोष : ईशान कोण में कूड़ा-कचरा आदि का ढेर हो तो-
उपाय : इसका सबसे सरल उपाय है कि ईशान कोण पर लगे ढेर को साफ करवाकर उस स्थान को स्वच्छ एवं पवित्र रखें।
दोष : ईशान कोण में रसोई घर होना-
उपाय : इस स्थिति में रसोई घर के अंदर गैस चूल्हे को आग्नेय कोण में रख दें और रसोई के ईशान कोण में जल भरकर रखें।
दोष : ईशान कोण में शौचालय हो तो-
उपाय : इस स्थिति में शौचालय का प्रयोग बंद कर दें अथवा शौचालय की बाहरी दीवार पर एक बड़ा आदमकद शीशा लगा दें। शौचालय की दीवार पर शिकार करता हुआ शेर का चित्र भी लगाया जा सकता है या फिर शौचालय के बाहर ऐसे मिट्टी के पात्र जिन पर कटावदार आलेखन आदि निर्मित हों, को रखा जा सकता है। क्योंकि ईशान कोण में शौचालय होना अत्यंत अशुभ फलदायक है।
उत्तरोन्मुखी भूखंड के वास्तु दोषों का निवारण :
दोष : इस भूखंड पर बनाए गये घर उत्तरी भाग उन्नत होना।
उपाय : इस दोष के निवारण हेतु दक्षिण भाग को ऊंचा करने के लिए टी.वी. का ऐन्टीना, झंडा या लोहे का रॉड उत्तरी भाग से ऊंचा लगा दें तथा साथ ही घर में भारी सामान दक्षिण दिशा में ही रखें। छत के ऊपर रखी जाने वाली पानी की टंकी को भी दक्षिण दिशा में ही रखें।
दोष : भूखंड की पूर्व दिशा में टीले अथवा ऊंचा मकान हो तो-
उपाय : उत्तर-दिशा में स्थित इन वेधों एवं भूखंड के बीच एक सार्वजनिक मार्ग बना दे।
वायव्योन्मुख भूखंड के वास्तु दोष एवं उनका निवारण :
दोष : यदि इस भूखंड पर बने घर में मुखय द्वार उत्तर दिशा में हो तथा दक्षिण और पश्चिम दिशा में दरवाजे हों तो-
उपाय : इस दशा में वायव्य कोण व आग्नेय कोण में विस्तार की भूमि को अनुपयोगी छोड़ दें तथा दक्षिण दरवाजे का प्रयोग तुरंत बंद कर दें।
दोष : वायव्य दिशा में रसोई घर हो तो-
उपाय : इस दशा में वायव्य कोण में स्थित रसोई के आग्नेय कोण में गैस चूल्हा रख देना चाहिए। इसके साथ ही घर में अन्नादि के डिब्बे वायव्य कोण में रख देना चाहिए।
पश्चिमोन्मुख भूखंड के वास्तु दोषों का निवारण :
दोष : इस भूखंड के पश्चिम दिशा के दरवाजे का मुख नैत्य कोण में होने पर-
उपाय : इस दरवाजे पर काले रंग का पेन्ट करवा दें तथा दरवाजे के समक्ष एक आदमकद आईना इस प्रकार लगवाएं कि प्रवेश करने वाले व्यक्ति को उसका प्रतिबिम्ब अवश्य दिखाई दे।
दोष : घर में प्रयोग किया गया जल अथवा वर्षा का पानी पश्चिम से बाहर निकलता हो तो-
नैत्योन्मुख भूखंड के मुखय वास्तु दोष एवं उनके निवारण के उपाय :
दोष : यदि इस भूखंड में बनाए गये भवन-कक्षों व बरामदों में ठोस भारी वस्तुएं नैत्य कोण का नीचा होना :
उपाय : इस दशा में इन कमरों के अंदर व बरामदों में ठोस भारी वस्तुएं रखे कक्षों को धोते समय जल को नैत्य से ईशान की ओर लाएं एवं पूर्व, उत्तर अथवा ईशान को स्थित दरबाजे से बाहर निकलें।
दोष : नैत्य कोण में खिड़की होना -
उपाय : इस दशा में खिड़की को बंद कर उसके ऊपर गहरे हरे रंग का पर्दा डाल देना चाहिए।
दक्षिणोन्मुख भूखंड के वास्तु दोष एवं उनका निवारण :
दोष : इस भूखंड के सम्मुख भाग में कुंआ हो तो-
उपाय : ऐसी स्थिति में कुएं को बंद कर देना चाहिए/अथवा कुएं पर मोटी एवं भारी स्लैब डालकर उसे ऊपर से पाट देना चाहिए।
आग्नेयोन्मुख भूखंड के वास्तु दोष एवं उनके निवारण के उपाय :
दोष : आग्नेय कोण में मुखय द्वार होने पर -
उपाय : इस दरबाजे को अधिकतर बंद ही रखना चाहिए। इसके साथ ही दरवाजे पर गहरे लाल रंग का पेन्ट करवा देने से वास्तु दोष समाप्त हो जाता है।
दोष : इस प्रकार के भूखंड में दक्षिणी आग्नेय में गेट होने पर -
उपाय : इस दरवाजे को अधिकतर बंदर रखें तथा दरवाजे पर काले रंग का पेन्ट करा देना चाहिए। बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोषों का शत-प्रतिशत नहीं तो 70 से 80 प्रतिशत तक सुधार किया जा सकता है तथा यह उपाय ज्यादा श्रम साध्य एवं महंगे भी नहीं हैं अतः कोई भी इसे आसानी से अमल में ला सकता है। आशा है आप इससे अपने वास्तु दोषों का निवारण कर सकेंगे और अपने जीवन को सुखमय एवं शांतिमय से गुजार सकेंगे।
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