सफलता के स्वर्णिम सूत्र रूचि थापर सर्वप्रथम अपने मुखय द्वार पर ध्यान दें। द्वार के सामने कोई अवरोध, कूड़े का ढेर, बहुत पानी, मंदिर की छाया, किसी प्रकार का कोई नुकीला द्वार या कोई वस्तु नहीं होनी चाहिए। ऐसा होने पर घर में नकारात्मक ऊर्जा का अधिक प्रवेश होता है। यदि आपके द्वार के सामने ऐसा कुछ है, तो मुखय द्वार पर स्वास्तिक पिरामिड लगाएं।
मुखय द्वारा चाहे कैसा भी हो, मुखय द्वार के अंदर व बाहर की तरफ गणेश जी की प्रतिमा लगाएं, तो नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होने के साथ मां लक्ष्मी के प्रवेश का मार्ग भी प्रशस्त होता है। निवास या कार्यालय के ईशान कोण में देवी-देवताओं की तस्वीर लगाकर नित्य पूजा-अर्चना करें। साथ-साथ नियमित सफाई भी करवाते रहें क्योंकि मां लक्ष्मी का स्थाई वास वहीं होता है जहां नियमित साफ-सफाई के साथ पूजा अर्चना होती है।
पूजा स्थल में अभिमंत्रित 'श्री यंत्र' कुबेर यंत्र' अवश्य रखें। मां लक्ष्मी का वचन है कि जिस स्थान पर अभिमंत्रित 'श्री यंत्र' की नियमित पूजा होगी, वहां उन्हें रूकना ही होगा। उत्तर दिशा में मछली घर (एक्वेरियम) या जल का फव्वारा होने से घर तथा कार्यालय में मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। ईशान कोण में श्वेतार्क गणपति या अभिमंत्रित 'श्रीयंत्र' को दबाने से भी मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
निवास के पूर्व दिशा में वट वृक्ष, पश्चिम में पीपल दक्षिण में गूलर व उत्तर दिशा में पलाश के वृक्ष शुभ होते हैं। निवास की चारदिवारी के बाहर श्वेतार्क वृक्ष लगाने से शत्रु हानि नहीं कर पाते। साथ-साथ अचानक होने वाली हानि-चोरी, अग्नि कांड या अन्य किसी कार्य से होने वाली हानि से भी बचा जा सकता है। आग्नेय कोण में विद्युत मीटर, रसोई घर या कोई अन्य अग्नि संबंधी कार्य करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
यदि इस क्षेत्र में लाल रंग का बल्ब सदैव जलता रहे तो बहुत शुभ होता है। पुनर्वसु नक्षत्र में गृह निर्माण शुभ होता है तथा अभिजित व श्रवण नक्षत्र में प्रवेश शुभ होता है। यदि कुंडली में पुत्र-सुख का योग नहीं है, तो गृह-निर्माण का आरंभ तब करें जब बुध हस्त, उत्तराफाल्गुनी, चित्रा, अश्विनी या मृगशिरा नक्षत्र में हो। इससे पुत्र - सुख का योग बनेगा।
पूर्व दिशा में जितना अधिक खाली स्थान होगा, उतनी ही अधिक मां लक्ष्मी की कृपा होगी तथा संतान भी आज्ञाकारी होगी। किसी भी कमरे के ईशान कोण में सफाई रखने के अलावा वहां पर कोई नुकीली वस्तु तथा झाडू आदि भी नहीं रखना चाहिए। निवास या कार्यालय में नगदी या आभूषण आदि सदैव उत्तर दिशा में रखना चाहिए।
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