सप्तशती ही क्यों?
सप्तशती ही क्यों?

सप्तशती ही क्यों?  

मनोहर शर्मा पुलस्त्य
व्यूस : 9487 | अकतूबर 2010

सप्तशती ही क्यों? पं. मनोहर शर्मा 'पुलस्त्य' दुर्गा के स्तोत्रों में सप्तशती ही क्यों पढ़ी जाती है? दुर्गा सप्तशती मार्कण्डेय पुराण के 63 वें अध्याय से 90वें अध्याय के अंतर्गत आती हैं। क्रोष्टुकि ऋषि ने मार्कण्डेय मुनि से स्थावर जंगम जगत् की उत्पत्ति एवं मनुओं के विषय में पूछा था।

मार्कण्डेय जी ने सात मनुओं के वर्णन करने के पश्चात् 8वें मनु का वर्णन करते हुए क्रौष्टुकि ऋषि को भगवती पराम्बा शक्ति की महिमा दुर्गा सप्तशती के रूप में की है। श्री दुर्गा के इतने बड़ें महात्म्य से प्रभावित एवं आकर्षित भक्तों व साधकों के हृदय में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि इस कल्याणमयी मां की स्तुति किस प्रकार की जाए। दुर्गा के हजारों स्तोत्र वैदिक, लौकिक, संस्कृत और देसी भाषाओं में वर्णित किए गए हैं। ऐसी दशा में भक्तों व साधकों के लिए और भी अधिक कठिन हो जाता है कि - ''वह कौन सा चुने। वैदिक देवी सूक्तादि वर्तमान समय में कम लाभ प्रद हैं क्योंकि वैदिक पद वेद प्राति शाखय (व्याकरण) शिक्षा स्वर प्रक्रियादि के बिना दुर्गम ही नहीं वरन् प्रत्यवाय जनक तक हैं। यही कारण है कि वैदिक मार्ग की अपेक्षा आगम मार्ग अर्थात् तांत्रिक मार्ग को प्रशस्त माना गया है।

स्थानीय भाषाओं के स्तोत्र उतने लाभकारी नहीं हो सकते जितने संस्कृत भाषा के क्योंकि देवगण संस्कृत बोलते हैं और वही उन्हें प्रिय है। इसलिए संस्कृत भाषा को देववाणी भी कहते हैं। संस्कृत में तीन प्रकार के स्तोत्र ऋषि मुनि प्रणीत, अन्य कवि निर्मित व स्वनिर्मित। इनमें से ऋषि-मुनि निर्मित वाणियों में उनका तपोबल सन्निविष्ट है इसलिए ऋषि-मुनि निर्मित स्तोत्र ही सर्वाधिक प्रभावी हैं और वह भी पराम्बा शक्ति की ''मार्कण्डेय पुराणोक्त सप्तशती'' ही भक्तों व साधकों के लिए कामधेनु के समान अभीष्ट फल देने वाली है। अतः भक्तों व साधकों हेतु दुर्गा सप्तशती ही सर्वश्रेष्ठ है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.