शारीरिक एवं मानसिक विकलांगता, लकवा तथा दर्दनाक मौत का कारण बनने वाला मस्तिष्क रक्तस्राव ‘ब्रेन हैमरेज’ के प्रकोप में आजकल तेजी से वृद्धि हो रही है। कभी इसका शिकार अधिक आयु वाले होते थे लेकिन अब कम आयु वाले भी इसका शिकार बन रहे हैं। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: मस्तिष्क रक्तस्राव के मुख्य कारण उच्च रक्तचाप, एन्यूरिज्म और आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन है। मस्तिष्क विशेषज्ञों का मानना है कि एन्युरिज्म के विभाग में खून की नलियों के अंदर एक प्रकार का गुब्बारा इस रोग के होने पर फट जाता है तो रोगी को ‘‘ब्रेन हैमरेज’’ हो जाता है और मरीज बेहोश हो जाता है जबकि आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन में दिमाग में खून की नसों का एक असामान्य गुच्छा बन जाता है।
ऐसा माना जाता है कि यह गुच्छा पैदाइशी होता है और व्यक्ति की उम्र के साथ-साथ बढ़ता रहता है और एक समय ऐसा आता है कि मस्तिष्क का अधिक से अधिक रक्त इस आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन से होकर जाने लगता है जिस कारण मस्तिष्क के दूसरे भाग में, रक्त की आपूर्ति कम करके, अधिकांश रक्त को अपने अंदर इकट्ठा कर लेता है जिसकी वजह से वह फट जाता है। एन्युरिज्म के रोगी का इलाज यदि गुब्बारा फटने के चार घंटे के अंदर शुरू हो जाए, तो रोग का पता लगाया जा सकता है परंतु शल्य चिकित्सा द्वारा फटे हुए गुब्बारे को सील कर दिया जाता है।
एन्युरिज्म का इलाज जल्द न होने से इसके दोबारा फटने की आशंका बहुत होती है। अगर पहले ब्रेन हैमरेज से रोगी बच भी जाए तो दूसरी या तीसरी बार नस फटने पर रोगी को जीवित रहना असंभव हो जाता है। इसी प्रकार आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन में भी रोगी का जल्द इलाज होना आवश्यक है।
एन्युरिज्म या आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन के कारण होने वाले ब्रेन हैमरेज युवा एवं मध्यम वर्ग के लोगों में अधिक पाया जाता है जबकि रक्तचाप और मधुमेह के कारण होने वाला ब्रेन हैमरेज बुजुर्ग लोगों में अधिक होता है। जिन परिवारों में रक्तचाप या मधुमेह की समस्या नहीं होती और किसी को ब्रेन हैमरेज हो जाता है तो इसका कारण मधुमेह या रक्तचाप नहीं बल्कि 45 प्रतिशत एन्युरिज्म या अर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन होता है और इनकी आयु 20 से 40 वर्ष तक होती है।
इन्हीं लोगों पर पारिवारिक एवं सामाजिक जिम्मेदारियां अधिक होती हैं। इसलिए कुछ विशेषज्ञों का मानना हैं कि एन्युरिज्म और आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन का रोग पुरूषों और महिलाओं में समान रूप से पाया जाता है
लेकिन उच्च रक्तचाप के कारण ‘‘ब्रेन हैमरेज’’ ज्यादातर पुरूषों में अधिक पाया जाता है क्योंकि इन्हीं पर पारिवारिक, सामाजिक और व्यावसायिक जिम्मेदारियां अधिक होती हंै जबकि एन्युरिज्म और आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन का तनाव से कोई संबंध नहीं होता। रोग के लक्षण: जब किसी को सिर दर्द या गर्दन में तेज दर्द हो और आंखों के सामने अंधेरा छा जाता हो तो इसे मामूली नहीं समझना चाहिये। इसका तुरंत उपचार करवाना चाहिए क्योंकि ये ब्रेन हैमरेज के ही लक्षण हंै।
रोग के उपाय: ब्रेन हैमरेज का एकमात्र उपाय शल्य चिकित्सा ही है। लक्षणों को देखते हुए जल्द विशेषज्ञों की देख-रेख में शल्य चिकित्सा द्वारा ब्रेन हैमरेज से बचा जा सकता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण: ज्योतिष के अनुसार ब्रेन हैमरेज प्रथम भाव, लग्नेश, सूर्य, बुध और मंगल के कुप्रभावों में रहने से होता है। कालपुरूष की कुंडली में प्रथम भाव सिर और मस्तिष्क का नेतृत्व करता है। सूर्य सिर/मस्तिष्क तथा शरीर ऊर्जा का ‘कारक’ है। मंगल भी ऊर्जा प्रदान करता है। बुध त्वचा और नसों का कारक है और रक्त नसों में बहता है। इसलिए संबंधित भाव, भाव के कारक एवं स्वामी जब दुष्प्रभावों में रहते हैं तो रोग होते हैं।
विभिन्न लग्नों में मस्तिष्क रक्तस्राव मेष लग्न: लग्नेश अष्टम भाव में, शनि षष्ठ भाव में, बुध लग्न में, सूर्य द्वितीय भाव में राहु-केतु से दृष्ट या युक्त हो तो ब्रेन हैमरेज जैसा रोग देता है।
वृष लग्न: लग्न में गुरु, मंगल दशम भाव में, शुक्र षष्ठ भाव में, बुध से युक्त और सूर्य सप्तम भाव में हो, चंद्र चतुर्थ या अष्टम भाव में राहु-केतु से दृष्ट या युक्त हो तो संबंधित रोग देता है।
मिथुन लग्न: मंगल लग्न में या लग्न पर दृष्टि दे, बुध षष्ठ या अष्टम भाव में हो, गुरु त्रिकोण भाव में हो और चंद्र मंगल की दृष्टि या युति हो तो ब्रेन हैमरेज रोग हो सकता है।
कर्क लग्न: मंगल और लग्नेश राहु या केतु से युक्त या दृष्ट हो और बुध लग्न में स्थित हो, सूर्य द्वितीय भाव में हो और शनि से दृष्ट हो तो जातक को ब्रेन हैमरेज देता है।
सिंह लग्न: लग्नेश सूर्य राहु-केतु से युक्त हो और बुध अस्त न होकर लग्न में रहे और शनि से दृष्ट हो, मंगल षष्ठ-सप्तम या दशम भाव में चंद्र से युक्त या दृष्ट हो तो जातक को ब्रेन हैमरेज देता है।
कन्या लग्न: लग्नेश अस्त हो, लग्न में गुरु-मंगल से युक्त हो, सूर्य षष्ठ, सप्तम या अष्टम भाव में हो और बुध अस्त हो और राहु-केतु से दृष्ट हो तो जातक को बे्रन हैमरेज देता है।
तुला लग्न: सूर्य बुध लग्न में और बुध अस्त हो, लग्नेश चंद्र तृतीय भाव में हो और राहु-केतु से दृष्ट हो, वक्री गुरु लग्न पर दृष्टि दे तो जातक को ब्रेन हैमरेज देता है।
वृश्चिक लग्न: लग्नेश नीच का और चंद्र से युक्त तथा राहु से दृष्ट हो, लग्न में बुध द्वादश भाव में सूर्य शनि से दृष्ट हो तो जातक को ब्रेन हैमरेज हो सकते हैं।
धनु लग्न: शुक्र और शनि लग्न भाव में और मंगल-शनि एक दूसरे पर दृष्टि रखे, लग्नेश गुरु त्रिक भावों में और बुध तृतीय में सूर्य से अस्त हो तो ब्रेन हैमरेज होता है।
मकर लग्न: मंगल लग्न में गुरु से दृष्ट हो, बुध पंचम भाव में गुरु से दृष्ट या युक्त हो, सूर्य-शनि चतुर्थ भाव में हो और शनि अस्त हो तो मस्तिष्क संबंधित रोग देता है।
कुंभ लग्न: शनि गुरु से युक्त होकर पंचम भाव में हो, मंगल लग्न पर दृष्टि रखे, सूर्य लग्न में हो और बुध अस्त हो, राहु-केतु पर मंगल की दृष्टि और राहु-केतु लग्न पर दृष्टि रखे, तो ब्रेन हैमरेज रोग देता है।
मीन लग्न: शुक्र लग्न में बुध से युक्त हो और बुध अस्त नहीं हो, सूर्य द्वादश भाव में राहु-केतु के प्रभाव में हो, लग्नेश शनि से युक्त सप्तम भाव अथवा त्रिक भावों में हो तो जातक को ब्रेन हैमरेज होता है।
उपरोक्त योग अपनी दशांतर्दशा और गोचर के विपरीत होने पर रोग देते हैं। उसके उपरांत रोग से राहत मिल जाती है यदि आयु योग प्रबल हो।