हम सभी की अपनी बहुत आकांक्षायें होती हैं। इसमें से कुछ अपने बड़े सपनों को हासिल कर लेते हैं, और कुछ सफलता के क्षेत्र में पीछे रह जाते हैं। व्यापार के सपने, राजनीतिक महत्वाकांक्षा, व्यवसाय की उम्मीद, शैक्षिक आकांक्षायंे, वैज्ञानिक खोज, क्रीड़ा की प्यास आदि जैसे हमारे भीतर ही दबकर रह जाते हैं और हम साधारण व्यक्तियों की तरह रह जाते हैं, जिसकी सामाजिक क्षेत्र में कोई गणना नहीं होती।
क्या आपने कभी महसूस किया है कि कई बार प्रयास दोहराये जाने के बावजूद भी लोग सफलता हासिल नहीं कर पाते? क्या आप इस बात से अवगत हैं, कि रगांे की भूख ही हमारी विफलताओं का प्राथमिक कारण है? वास्तव में हम विफल होते हैं क्योंकि प्रकृति की कुछ रहस्यमय उत्पादन की प्रभावकारिता को नजर अंदाज कर देते हैं, हम अंधविश्वासी आस्तिक होने की आशंका जताते हैं, या कुछ मामलों में हमें छद्म विशेषज्ञों के हाथों असफलताओं का सामना करना पड़ा है और हमने विश्वास प्रणाली को खो दिया है।
रत्न की रहस्यमय शक्ति और बारहमासी रंग की आपूर्ति क्षमता अकल्पनीय है, ये वास्तव में कई लोगों को दरिद्र से धनवान बनाने में कामयाब हुआ है तथापि कई बार रत्न धारण किये रहने के बावजूद भी असफलता मिलती है। इसका कारण यह है कि कुछ व्यक्ति केवल सिद्धांतों के आधार पर ही रत्नों का चयन करते हैं। हमें यह ध्यान में रखना चाहिये कि ज्योतिष चार्ट, राशि कुंडली, तारों या नक्षत्रों के अपरिपक्व ज्ञान से प्राकृतिक रत्न के अंतर्दृष्टि के बारे में जाने बिना उसका चयन नहीं करना चाहिये।
रत्न की उपयुक्तता और इसका चयन राशि, नक्षत्र या जन्म कुंडली से ज्यादा व्यक्ति के रंग आवश्यकता पर निर्भर है। विश्व में प्रत्येक व्यक्ति जिसका जन्म निश्चित समय दिव्य प्रकाश की किरणों का तालमेल होने के कारण उसके पूर्व जन्म में किये गये कर्म भूत एवं संभावित भविष्य के कारण अद्वि तीय होता है। इसलिए एक व्यक्ति को मात्र कंप्यूटर या ज्योतिष के विशेषज्ञों द्वारा नहीं आंका जा सकता अपितु अंतप्र्रज्ञा चक्षु से युक्त केवल उन दुर्लभ लोगों द्वारा ही आंका जा सकता है
जो जातक की ग्रह पीड़ा कमियों और दोषों को बिना जन्मपत्री की सहायता से जान सकते हैं और उनका समाधान बता सकते हैं। जहां ज्योतिष की बात आती है वहां कई विश्ेाषज्ञ ज्योतिष कुंडली की जटिलताओं को चित्रित नहीं कर सकते, वहीं डाॅ. एन. राजगोपाल माइंडस्कोप की सहायता से केवल व्यक्ति के फोटो स्पर्श मात्र से प्रकाशित करते हैं। हालांकि दिव्य स्पर्श से माइंडस्कोप करने वाले डा. एन. राजगोपाल विभिन्न क्षेत्रों में उच्च शिक्षित हंै।
अतः इस बात को समझना और सराहना होगा कि माइंडस्कोप इतनी गहरी अंतर्दृष्टि रखता है कि इसमें जन्म दिनांक, समय और स्थान या राशि, नक्षत्र और कुंडली का कोई स्थान नहीं है। एक सच है जिसे मानना ही पड़ेगा कि सिद्धांत केवल किताब तक ही सीमित होता है जबकि बुद्धिमत्ता व्यक्ति को शिखर तक पहुंचा देता है। माइंडस्कोप ज्योतिष विशेषज्ञ डाॅ एन. राजगोपाल महावतार बाबाजी की दैविक कृपा से भरपूर कई व्यक्तियों को रत्न की सिफारिश किए हैं, व्यक्ति के फोटो को रखकर आप रत्न का चयन करते हैं
जिससे व्यक्ति कई संघर्षों से उभरकर सफलता प्राप्त करता है। अब जानें श्री महावतार बाबाजी के बारे में उम्र कई हजारों साल किंतु अभी भी जवान दिखने वाले, मानवता के सेवक, सभी शक्तियों से युक्त, ध्यान की यात्रा, हवा की भांति प्रत्यक्ष होने वाले, हमेशा से जवान दिव्य शरीर ही यह सब जाहिर करता है। बाबाजी का जन्म तमिल महीने के कार्तिक में जब चंद्र कर्कट राशि में गमन किया, पुष्य नक्षत्र 140 48’ कडलूर तमिलनाडू के निकट परंगीपेटै ‘‘पोर्टेनोवा’’ नामक एक छोटे से ग्राम में 562 बी. सी. को हुआ।
बाबाजी के माता-पिता के द्वारा रखा गया नाम नागराज था, अर्थात् नागों के राजा। आपके पिता शिवमंदिर के पुजारी थे। बाबाजी के पिता श्री वेदारण्य और माता श्रीमती ज्ञानाम्बाल के 8वें पुत्र थे। इस जन्म विवरण का रहस्य बाबाजी ने डाॅ. एन. राजगोपाल को दिया। प्रसंगवश डाॅ. एन. राजगोपाल के पिता का नाम भी नागराज था। आपके पिता शिवमंदिर के पुजारी थे, उनके उच्च विचार सादगी और धार्मिकता उनकी जीवनशैली थी।
पहले पहल बाबाजी डाॅ.एनराजगोपाल को एक साधु के रूप में 1979 को बंेगलूर में दृष्टिगोचर हुए फिर 28 अप्रैल 1991 को मुंबई में। 5.5.2006 को बाबाजी ने डाॅराजगोपाल को सप्तमार्ग की दीक्षा दी वो उस मिनट हाई पावर कैप्सूल के समान थी जो अज्ञानता एवं स्वार्थ को मिटा कर जीवन के कई छवि या भावों को प्रकाशित किया। जो सप्तमार्ग के जरिये अपने पवित्र कार्यों को, अपने आप को समर्पित करता है, वो बाबाजी के संपर्क में आकर दर्शन का गुप्त खजाना प्राप्त कर अपनी अलग पहचान बना लेता है।
21 और 22 सितंबर 2008 को आध्यात्मिक यात्रा के दौरान डाॅ. एन. राजगोपाल कुछ समय के लिए जब हिमालय के ब्रद्रीनाथ में ठहरे हुए थे, तब बाबाजी ने अमृत क्रिया योग की दीक्षा दी एवं इतना ही नहीं कई समय पर, कई रूपों में बाबाजी डाॅ. एन. राजगोपाल सप्तमार्ग के जरिये अपने पवित्र कार्यों को, अपने आप को समर्पित करता है, वो बाबाजी के संपर्क में आकर दर्शन का गुप्त खजाना प्राप्त कर अपनी अलग पहचान बना लेता है।
21 और 22 सितंबर 2008 को आध्यात्मिक यात्रा के दौरान डाॅ. एन. राजगोपाल कुछ समय के लिए जब हिमालय के ब्रद्रीनाथ में ठहरे हुए थे, तब बाबाजी ने अमृत क्रिया योग की दीक्षा दी एवं इतना ही नहीं कई समय पर, कई रूपों में बाबाजी डाॅ. एन. राजगोपाल जी के माध्यम से मार्गदर्शन को समाज एवं व्यक्ति तक पहुंचाते हैं।
डाॅ. राजगोपाल ने बेंगलूर में श्री महावतार बाबाजी सन्नीधान सेवा ट्रस्ट की स्थापना की जो एक मेडीटेशन और योग केंद्र भी है। यहां पर बाबाजी हाॅलिस्टक हीलिंग केंद्र भी है जहां कई लंबी बीमारियांे और असाध्य रोगों का मुफ्त में इलाज किया जाता है। अपनी समृद्ध विशेषज्ञता और विभिन्न क्षेत्रों में अनुभव के साथ लोगों की समस्या का निवारण कर रहे हैं।