घर का वास्तु दोष कुछ न कुछ समस्याएं उत्पन्न करता है। यदि कोई समस्या आपको बार-बार घेर लेती है तो संभव है कि आपके घर में कोई वास्तु दोष है। हर समस्या का संबंध किसी विषेष वास्तु दोष को दर्षाता है। समस्या द्वारा यह जाना जा सकता है कि आपके घर में कौन सा वास्तु दोष होने की संभावना है। यह समस्या आपकी जन्मपत्री में स्थित ग्रह व उनपर गोचर व आपकी दशा के बारे में भी इंगित करती है। यदि वास्तु या ज्योतिषीय उपाय कर दिये जाएं तो समस्या का निदान हो सकता है। आइए जानें कौन सी समस्या के पीछे कौन सा वास्तु या ज्योतिषीय दोष है और उसका क्या निदान है।-
मानसिक चिंता: आप किसी न किसी चिंता से ग्रस्त रहते हैं। एक के बाद एक समस्या आती है।
वास्तु दोष व उपाय: आपके घर की उत्तर-दिशा कटी है। वहां पर पिलर या कोई भारी वस्तु है। वहां पर शीशा लगाएं ताकि उत्तर-पूर्व दिशा अर्थात् ईशान कोण बढ़ा हुआ लगे। यदि उत्तर-पूर्व की जमीन का भाग कटा हुआ है तो पिरामिड का उपयोग इस प्रकार से करें कि या तो उत्तर-पूर्व का भाग पूरा हो जाए या पिरामिड अथवा काॅपर वायर के द्वारा उत्तर-पूर्व दिशा का जमीन के शेष भाग से विभाजन दिखाया जाए।
ज्योतिषीय कारण व निवारण: यदि आपकी कुंडली में लग्न, चतुर्थ, पंचम भाव व चंद्रमा क्रूर शनि या राहु के साथ है या पापकर्तरी योग से पीड़ित है तो ऊँ नमः शिवाय मंत्र का रूद्राक्ष की माला पर जप करने से समाधान हो जाता है।
धन की बरकत न होना: आपके यहां धन की बरकत नहीं है या पैसा आने पर तुरंत ही खर्च हो जाता है या पैसा आने में बाधाएं आती हैं या अनायास ही धन हानि हो जाती है, आप ऋणग्रस्त रहते हंै आमदनी अधिक नहीं हो पाती है।
वास्तुदोष व उपाय: आपके घर के ईशान कोण में टाॅयलेट या कोई अन्य गंदगी है अथवा नैर्ऋत्य कोण में कोई गड्ढा है या इस क्षेत्र का लेवल नीचा है, घर की ढलान उत्तर-पूर्व से ऊंची है व दक्षिण-पश्चिम की ओर नीची है, टाॅयलेट में एक नमक का कटोरा या पैकेट रख दें और हर महीने उसे बदलें। यदि ईशान में गंदगी हो तो उसे हटा दें। नैर्ऋत्य में यदि ढलान हो तो वहां पिरामिड लगाएं । गड्ढा हो तो उसे भर दें। घर की सीढ़ियां अगर वामवर्ती हैं तो उन्हें ठीक कर दें।
ज्योतिषीय कारण व निवारण: कुंडली में गुरु नीच राशिस्थ अथवा दुर्बल है अथवा लग्न व चंद्रमा से छठे, आठवें या 12वें भाव में स्थित है या द्वादश भाव में स्थित ग्रह की दशा/अन्तर्दशा चल रही हो अथवा गोचर में ग्रह 12वें भाव में जा रहे हों तो निवारण के लिए 12वें भाव में स्थित ग्रहों का दान करें।
पत्नी रोगी: आपकी पत्नी हमेशा रूग्ण रहती है और व्यर्थ का चिड़चिड़ापन रहता है।
वास्तु दोष व उपाय: रसोई आग्नेय कोण में होने की बजाय पूर्व या ईशान में बनी है, चूल्हा रसोई के प्रवेश द्वार के ठीक सामने है, खाना बनाने वाले का मुंह खाना बनाते समय पश्चिम दिशा की तरफ रहता है, यदि रसोई पूर्व या उत्तर-पूर्व में चली गई है तो चूल्हा रसोई के आग्नेय कोण में रखें व खाना बनाते समय मुंह पूर्व की तरफ रखें। घर का प्रवेश द्वार दक्षिण-पश्चिम में होने से भी रोग की समस्या बनी रहती है। इसे बंद करके उपयुक्त दिशा में प्रवेश द्वार बनाएं।
ज्योतिषीय कारण व निवारण: शुक्र, सप्तम भाव व सप्तमेश के पीड़ित होने से पत्नी रूग्ण रहती है। निवारणार्थ महामृत्यंुजय का पाठ व रुद्राभिषेक करें। नित्यप्रति दुर्गापूजा करें।
संतान संबंधी समस्या: आपकी संतान कहना नहीं मानती, नियंत्रण से बाहर है, संतान प्राप्ति में बाधा है, बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता।
वास्तुदोष व उपाय: घर में उत्तर व उत्तर-पूर्व का भाग बंद है, रोशनी कम है, सामने गड्ढा है तथा इस भाग में टाॅयलेट, सीढ़ियां, लिफ्ट अथवा ओवरहैड टैंक बना है, दक्षिण-पश्चिम भाग बढ़ा हुआ है या बच्चा घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में सोता है। उत्तर व उत्तर-पूर्व से टाॅयलेट, सीढ़ियां, लिफ्ट अथवा ओवरहैड टैंक हटाना संभव न हो तो पिरामिड द्वारा उपाय करें। रोशनी की व्यवस्था करें। गंदगी हटाएं। गड्ढे को भर दें। ईशान कोण में शिव की मूर्ति या शिवलिंग स्थापित करें। वहां पीला बल्ब जलता रहे। दक्षिण-पश्चिम भाग बढ़ा हो तो काॅपर वायर या पिरामिड से उसे शेष भाग से अलग कर दें। बच्चों को उŸार या पूर्व दिशा के कमरे में सुलाएं।
ज्योतिषीय कारण व निवारण: कुंडली में सूर्य व पंचम भाव कारक गुरु की खराब स्थिति से भी संतान संबंधी समस्याएं होती हैं। पुखराज धारण करें, सात्विक भोजन करें। निम्नांकित मंत्र का नित्यप्रति जप करें- ऊं ह्रीं घृणि सूर्य आदित्य श्रीं।
स्वयं का घर न होना: किराए के घर में रहते हैं। अपना घर नहीं है।
वास्तु दोष व उपाय: घर पश्चिममुखी हो अथवा पश्चिम या आग्नेय कोण में कोई दोष है। किराये का पश्चिममुखी मकान न लें। पश्चिम दिशा व आग्नेय कोण के दोष दूर करें।
ज्योतिषीय कारण एवं निवारण: आपकी कुंडली में चतुर्थ भाव, चतुर्थेश व शनि कमजोर है। प्रतिदिन शनि के निम्नांकित मंत्र का 108 बार जप करें - ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
मुकद्दमेबाजी: आपके ऊपर कोर्ट केस चलते रहते हैं।
वास्तुदोष व उपाय: घर के पूर्व दिशा में दोष है, पूर्व दिशा कटी है, वहां टाॅयलेट है अथवा बंद है। पूर्व में खंभा, पेड़, ट्रांसफाॅर्मर, मंदिर, श्मशान घाट अथवा अन्य सार्वजनिक स्थल है। पश्चिम दिशा बढ़ी हो या वीथिशूल हो तो भी कोर्ट केस चलते हैं। पूर्व, पश्चिम व दक्षिण दिशा के दोष दूर करें व घर में वास्तुदोष निवारण यंत्र व काली यंत्र स्थापित करें।
ज्योतिषीय कारण व निवारण: लग्नेश व सूर्य, मंगल व शनि के अशुभ भाव में स्थित होने व पीड़ित होने से भी यह दोष होता है। उपाय के रूप में बगलामुखी मंत्र का नित्यप्रति जप करें।
शत्रु भय: शत्रु हावी रहते हैं। भय रहता है।
वास्तुदोष व उपाय: घर के दक्षिण दिशा में वास्तुदोष है। उन्हें सुधारने हेतु हनुमान यंत्र स्थापित करें।
ज्योतिषीय कारण व निवारण: लग्न व पराक्रम भाव के स्वामी कमजोर हैं। हनुमान चालीसा का नित्यप्रति पाठ करें।
स्वास्थ्य संबंधी समस्या: घर में किसी न किसी को हमेशा ही स्वास्थ्य संबंधी समस्या बनी रहती है। आपको प्रायः नजर लगती है। हाॅस्पिटल के खर्चे बढ़े रहते हैं।
वास्तुदोष व उपाय: आपके घर की पूर्व दिशा में वास्तु दोष है। घर के अंदर सूर्य की रोशनी आने व हवा प्रवाह में बाधा है, पूर्व दिशा का हिस्सा खुला रखने का प्रयास करें तथा सूर्य की रोशनी के आने की बाधाओं को हटायें। उत्तर-पूर्व में न सोएं। घर दक्षिणमुखी हो, घर का प्रवेश द्वार दक्षिण-पश्चिम दिशा में या वहां ढलान, गड्ढा या टाॅयलेट होने जैसे वास्तु दोषों का सुधार करने से रोग व नज़रदोष का निदान हो जायेगा।
ज्योतिषीय कारण व निवारण: कुंडली में सूर्य नीच राशिस्थ अथवा दुर्बल है तथा चंद्रमा छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित है अथवा राहु से युक्त व दृष्ट है। लग्न, चंद्रमा व शुक्र पर राहु का प्रभाव है। दुर्गापूजा करें, सूर्य व शिवलिंग को नित्य जल दें तथा ‘ऊं नमः शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
विवाह बाधा: आपके घर में कोई अविवाहित है।
वास्तुदोष व उपाय: घर के ईशान व आग्नेय कोण के वास्तुदोषों को दूर करें। कन्या अविवाहित है तो उत्तर-पश्चिम में और यदि लड़का अविवाहित है तो वह उत्तर-पूर्व में सोये।
ज्योतिषीय कारण व निवारण: आपकी कुंडली में गुरु व शुक्र दोनों शुभ ग्रहों की स्थिति अशुभ है। निवारण के लिए गुरुवार का व्रत करें। घर में सफाई, पवित्रता व शुद्धि का ध्यान रखें। सात्विक आहार करें। मांस मदिरा का सेवन न करें तथा नित्यप्रति श्रीसूक्त व लक्ष्मी सूक्त का पाठ करें।
घर में कलह रहना: घर में कलह रहती है।
वास्तुदोष व उपाय: ब्रह्म स्थान या आग्नेय कोण में वास्तु दोष हैं। ब्रह्म स्थान से भारी वस्तु, आग्नेय कोण से पानी की टंकी व ईशान कोण से इलेक्ट्रिक मीटर व रसोई हटाएं।
ज्योतिषीय कारण व निवारण: कुंडली में पीड़ित सूर्य व शुक्र का उपाय करें। प्रातः जल्दी उठकर सूर्य को अघ्र्य दें। प्रत्येक शुक्रवार कन्या पूजन करें व व्रत के दिन खट्टा न खाएं।
नौकर संबंधी समस्या: आपके घर में नौकर नहीं टिकते और आप हमेशा नौकरों से परेशान रहते हैं।
वास्तुदोष व उपाय: घर के पश्चिम दिशा में वीथिशूल है, पश्चिम दिशा बढ़ी हुई है, घर-पश्चिममुखी है या वहां कोई गड्ढा है। वास्तु दोष को ठीक करें व शनि यंत्र स्थापित करें।
ज्योतिषीय कारण व निवारण: आपकी कुंडली में शनि नीच अथवा पीड़ित है। शनि मंत्र का जप करें तथा शनिवार को गुड़ चने का प्रसाद सहित कुछ धन राशि नौकरों को उपहार स्वरूप दें।
उपरोक्त समस्याएं कई बार जन्मकुंडली में विशेष दशा या गोचर के कारण भी हो सकती हैं। अतः यह जान लेना भी आवश्यक है कि कहीं यह समस्या वास्तु दोष के कारण न होकर कुंडली के कारण तो नहीं है। ऐसा होने पर उपरोक्त समाधान कारगर नहीं होते। अतः यदि आपको लगता है कि वास्तु दोष ठीक करने पर भी समस्या का समाधान नहीं मिल रहा है तो आप अपनी और परिवार की कुंडली किसी विद्वान ज्योतिषी को दिखाएं और उपाय द्वारा समाधान करें।