- सुबह कुल्ला किये बिना पानी अथवा चाय का सेवन न करें, न ही जूठे मुंह मंदिर जायें, न ही अग्नि प्रज्ज्वलित करंे।
- घर में रोज सुबह पूजा-पाठ करें भले ही कम समय के लिए ही क्यों न करें। धूप-दीप इत्यादि जलाकर पूर्व या उत्तर की ओर मुख कर पूर्ण श्रद्धा से अपने ईष्ट की आराधना करें।
- पूजन उपरांत घर के बड़ों व माता-पिता का चरण स्पर्श कर अशीर्वाद लें, इससे न केवल उनको खुशी का अनुभव होगा बल्कि उनके आशीर्वाद से घर में भी खुशी का माहौल बनेगा।
-घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगायें व उसे रोज सींचें। ऐसा करने से घर में लक्ष्मी का आगमन रहता है।
- रोज पूजन के समय एक तांबे के लोटे में पानी भर कर उसमें थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर पूजा स्थान पर रखें व पूजन उपरांत जल के छींटे पूरे घर में लगायें व घर में सुख व शांति की कामना करें।
-रोज सुबह सूर्य को जल अवश्य दें व जल देते समय 9 बार ऊँ आदित्य नमः का जप करें।
- घर में देवी देवताओं पर चढ़ाये गये फूल या हार सूख जाने के बाद घर में न रखें, उन्हें जल प्रवाह कर दें।
-जब भी खाना बनायें तो पहली चपाती गाय के लिए व अंतिम चपाती कुत्ते के लिए अवश्य निकालें।
-भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके ही करें। अगर संभव हो तो जूत चप्पल उतार कर ही करें।
- खाना हमेशा रसोई घर में या डायनिंग रूम में ही खायें। बेड पर खाना न खायें। रसोई घर में खाना खाने से राहु शांत रहता है और बेड पर खाना खाने से घर में झगड़े होते हैं।
- घर में प्राकृतिक सुंदरता के चित्र व हरियाली बनाने के लिए छोटे-छोटे पौधे अवश्य लगायें परंतु पौधे कांटे वाले न हों।
- रोज सायं गाय के देशी घी का दीपक जलायें व हनुमान चालीसा का जप करें।