किसी भी ज्योतिषी का ज्ञान बिना उपाय के उसी प्रकार अधूरा माना जाता है जिस प्रकार कोई डाॅक्टर रोगी के रोग के बारे में तो जान जाये परंतु उसके लिये कोई दवाई न बता पाये। वैसे भी ज्योतिष मनुष्य को जीने का सही मार्ग बताने का ही तो विज्ञान है, परंतु राह में यदि कोई रूकावट या परेशानी आ जाए तो उसको दूर करने के लिये ज्योतिष के उपायों का ही सहारा लेना पड़ता है। यूं तो ज्योतिष में किसी भी ग्रह से संबंधित उपाय करने के लिए ढेर सारे विकल्प हैं, परंतु कौन सा उपाय कुंडली के आधार पर किया जाना चाहिए, यह एक विद्वान और अनुभवी ज्योतिष ही बता सकता है।
किसी भी जातक को उसकी समस्या और कुंडली के आधार पर सही व सटीक उपाय बताना आसान नहीं होता है। कई बार जल्दबाजी या गंभीरतापूर्वक कुंडली का अध्ययन न कर पाने के कारण उपाय बताने में चूक हो जाने पर बजाय लाभ होने के जातक को हानि भी हो सकती है। अतः उपाय का निर्णय विद्वानों को बड़ी सूझ-बूझ के उपरांत ही लेना होता है।
ज्योतिष में यदि हम उपाय की बात करें तो कई प्रकार के उपाय सुझाये जा सकते हैं, जैसे किसी अमुक ग्रह का रत्न धारण करना, ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करना, संबंधित वस्तु या पदार्थ का जल प्रवाह करना, ग्रह से संबंधित देवी-देवता या इष्टदेव का पूजन करना, मंत्र जाप करना, उपवास रखना, औषधि स्नान करना, औषधि (जड़ी-बूटी) धारण करना, रुद्राक्ष धारण करना, पूजा एवं अनुष्ठान करना आदि। सभी विद्वान ज्योतिषीगण अपने जातकों को अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर उपाय बताते आये हैं।
कई बार विद्वानों के मतांतर व विचारधारा के बदल जाने पर उपाय भी भिन्न-भिन्न हो जाया करते हैं। जैसे कि रत्न धारण करने के बारे में कुछ लोगों का मत है कि हमें रत्न उसी ग्रह से संबंधित धारण करना चाहिए जो ग्रह कुंडली में लग्नेश हो, योगकारक हो या केंद्र त्रिकोण का स्वामी हो, परंतु इसके विपरीत कुछ लोगों का मत होता है कि जो ग्रह हमारे पक्ष में हैं उनको धारण करने का कोई लाभ नहीं है, हमें तो उन रत्नों को धारण करना चाहिए जिनसे संबंधित ग्रह कुंडली में प्रतिकूल हों।
उनका मानना ये होता है कि रत्न को धारण करके ग्रहों को प्रतिकूल से अनुकूल बनाया जा सकता है। मत कोई भी हो, ज्योतिषी के लिए यह महत्वपूर्ण कार्य हो जाता है कि कौन सा ग्रह अनुकूल है और कौन सा ग्रह प्रतिकूल? साथ ही यह भी आवश्यक हो जाता है कि कौन सा ग्रह बली है और कौन सा निर्बल, कौन सा ग्रह शुभ फलदायक हो सकता है और कौन सा ग्रह अशुभ फलदायी और किस ग्रह के बल को बढ़ाना चाहिए और किस के बल को कम करना चाहिए? उपाय विचार का निर्णय इन्हीं सब बातों पर निर्भर करता है।
कुल मिलाकर यह काफी संशयपूर्ण और भ्रमात्मक स्थिति हो जाने के कारण कभी-कभी उपायों का निर्णय करने में असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है। इन्हीं सब बातों का ध्यान रखते हुए ‘लियो पाम’ में उपाय-विचार को विस्तृत रूप से दिया गया है। ‘लियो पाम’ में उपाय विचार देखने के लिये सर्वप्रथम आपको स्क्रीन के निचले हिस्से में बायीं ओर बने ‘मेन्यू’ में से ज्योतिष का चुनाव करना होगा। इसके पश्चात् स्क्रीन के ऊपरी भाग में बने काॅम्बो बाक्स से ‘उपाय’ का चुनाव करना होगा।
‘उपाय’ को क्लिक करने पर आपको उसके नीचे, दाहिनी और बायीं ओर दो और काॅम्बों बाॅक्स दिखायी देंगे। एक में ‘शुभ रत्न’ और दूसरे में ‘रत्न चयन’ लिखा हुआ दिखायी देता है। ‘शुभ रत्न’ को क्लिक करने पर आपको दशा के आधार पर रत्न का सुझाव दिया जाता है। इसमें जो भी आपकी विंशोत्तरी दशा चल रही होगी उस अंतराल के आधार पर आप ‘उपाय-दशा’ का चुनाव कर सकते हैं। ‘उपाय दशा’ को क्लिक करने पर आपको दशा की अवधि, रत्नों के नाम, व प्रत्येक सुझाये गये रत्नों का कितना प्रतिशत लाभ मिलेगा, इसकी जानकारी दी गयी होती है।
साथ ही रत्न धारण करने के लिए किस मंत्र का जप करना चाहिए, किस दिन धारण करना चाहिए, रत्न धारण करने के बाद किन वस्तुओं का दान करना चाहिए तथा संबंधित रत्न धारण करने से क्या लाभ प्राप्त होगा, आदि की पूरी जानकारी दी गयी है। इसी समय आप नीचे प्रदर्शित स्क्रीन पर अपने जीवन रत्न, भाग्य रत्न, कारक रत्न आदि की जानकारी तथा संबंधित रत्न से प्राप्त लाभों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं: इसी काम्बो बाक्स से आप निम्नलिखित अन्य जानकारियों का भी चयन कर सकते हंै।
रत्न चयन, रत्न धारण, साढ़ेसाती, योगकारक, मांगलिक विचार, कालसर्प योग, शुभाशुभ ज्ञानम्। ‘रत्न धारण’ का चयन करने पर आपको निम्न विकल्पों के चुनाव करने की सुविधा उपलब्ध होगी। धातु/अंगुली/वार, ग्रह/नक्षत्र, ग्रह मंत्र, निषेध रत्न, दान पदार्थ परिचय। इसमें आपको पता चलेगा कि कौन सा रत्न कितने रत्ती का किस धातु में, किस उंगली में, किस वार को, किस समय धारण करना चाहिए। ‘ग्रह/रत्न’ में आपको पता चलेगा कि कौन सा रत्न किस ग्रह और नक्षत्र के लिए पहनना चाहिए। सभी ग्रहों के संबंधित मंत्रों की जानकारी आपको ‘ग्रह/मंत्र’ के अंतर्गत प्राप्त होती है।
‘निषेध रत्न’ से आपको जानकारी होगी कि किस रत्न के साथ किस रत्न को नहीं पहनना चाहिए। ‘दान पदार्थ’ में आपको ग्रह से संबंधित दान पदार्थों की जानकारी प्राप्त होगी। ‘साढेसाती’ का चयन करने से आपको साढ़ेसाती प्रारंभ व समाप्ती की तिथियों की जानकारी प्राप्त होती है। साथ ही आपको यह भी पता चलता है कि प्रथम चक्र की साढ़ेसाती व ढैया की अवधि तथा अन्य चक्रों की साढ़ेसाती व ढैया की अवधि को भी दर्शाया गया है।
ध्यान दें, यहां पर शनि की वक्री और मार्गी गति के कारण साढ़ेसाती की अवधि प्रारंभ व समाप्ति का भी विचार किया गया है। इसी शीर्षक के अंतर्गत आपको ‘ढैया फल’ व ‘साढेसाती के उपायों’ की जानकारी भी दी गयी है। इसी प्रकार आप, जातक की कुंडली में योगकारक ग्रहों के बारे में, तथा उनके लिये उपाय व मांगलिक विचार व किये जाने वाले उपाय, कालसर्प योग की उपस्थिति है या नहीं, तथा कौन सा कालसर्प योग है, क्या उपाय करना चाहिए आदि की विस्तृत जानकारी दी गयी है।
अंत में ‘शुभाशुभ ज्ञान’ के अंतर्गत आपको जातक के मूलांक, भाग्यांक, मित्र अंक, शत्रु अंक, शुभ वर्ष, शुभ दिन, शुभ ग्रह, मित्र राशि, मित्र लग्न, अनुकूल देवता, भाग्य रत्न, शुभ रत्न, शुभ उप रत्न, शुभ धातु, शुभ रंग, शुभ दिशा, शुभ समय, दान पदार्थ, दान अन्न, दान द्रव्य आदि की विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकती है।
लियो पाम के अन्य आकर्षणों की जानकारी आपको फ्यूचर समाचार के अगले अंकों में लगातार प्राप्त होती रहेगी। विस्तृत जानकारी व अन्य जानकारी के आप हमारे फ्यूचर पाॅइंट कार्यालय से संपर्क करके प्राप्त कर सकते हैं।