मूली
मूली

मूली  

अविनाश सिंह
व्यूस : 5226 | सितम्बर 2010

मूली, गाजर की तरह, पौधे की जड़ के रूप में पैदा होती है। इसके पौधे में न कोई तना होता है और न कोई शाखा होती है। इसका स्वाद चरचरापन लिए रहता है। मूली की कई किस्में होती हैं। हरेक किस्म रंग और आकार में भिन्न होती हैं। आम तौर से मूलियां दो प्रकार की होती हैं: सफेद और लाल। लेकिन सफेद मूूली ही अधिक प्रचलित है। खाने की साग-सब्जियों में मूली विशेष स्थान रखती है। सलाद में इसका उपयोग अधिक होता है। मूली में सबसे अधिक कैल्शियम पाया जाता है। इसमें विटामिन ‘सी’ की मात्रा भी काफी होती है तथा फाॅस्फोरस और अल्प मात्रा में लोहा भी होता है।

आयुर्वेद के अनुसार मूली कई रोगों को दूर करती है। यह चरमरी, हल्की, गरम, रुचिकर, पाचक, हृदय के लिए लाभकारी, मूत्र दोष, बवासीर, क्षय, नेत्र रोग, श्वास, कान, वात, कफ, कुष्ठ आदि अनेक रोगों में लाभकारी होती है।

विभिन्न रोगों में मूली का उपयोगः

बवासीर: मूली के पत्तों का रस पेट की पीड़ा, अफरा और बवासीर में लाभ करता है। मूली के 10 ग्राम रस में 25 ग्राम गाय की घी मिला कर सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।

कान दर्द: मूली के 30 ग्राम रस में 10 ग्राम तिल का तेल सिद्ध कर के कान में डालने से कान की पीड़ा शांत होती है।

त्वचा: मूली के बीजों को नींबू के रस में पीस कर लगाने से दाद में लाभ होता है। मूली के बीजों को सिरके में पीस कर सफेद दागों पर लगाने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।

पथरी: मूली के बीजों का चूर्ण, प्रतिदिन प्रातः और सायं काल, जल के साथ लेने से पथरी में लाभ होता है। मूली के बीजों को पानी में तब तक उबालें, जब तक पानी आधा न रह जाए। तत्पश्चात, ठंडा कर पीने से पथरी गल कर बाहर निकल जाती है।

पीलिया: मूली की जड़ और पत्तों को खाने से पीलिया रोग में लाभ होता है। मूली के रस में थोड़ी चीनी डाल कर पीने से पीलिया में आराम मिलता है।

मधुमेह: मधुमेह रोग में मूली खाना लाभकारी है। मूली, सलाद के रूप में, हल्का नमक लगा कर खाने से मधुमेह में विशेष लाभ होता है।

हिचकी: सूखी मूली के टुकड़ों को पानी में उबाल कर काढ़ा पीने से हिचकी और श्वास रोग में लाभ होता है। मूली का भोजन विशेष उपयोगी होता है।

इसका अचार, मुरब्बा, सलाद, साग और चटपटे व्यंजनों के रूप में उपयोग किया जाता है। विटामिन ए, बी, सी की कमी के कारण जो रोग होते हैं, जैसे निमोनिया, मूत्राश्मि, रतौंधी, बेरी-बेरी मस्तिष्क वात, हृदय दौर्बल्य, श्वासीय रोग आदि, मूली के पत्ते इन रोगों को नष्ट करने में सहायक होते हैं। इसका कारण यह है कि मूली में विटामिन सी अधिक मात्रा में होता है। सावधानियां: अल्सर के रोगियों को मूली का सेवन मना है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.