कवि कालिदास कृत उतर कालामृत के अनुसार शुक्र तथा शनि यदि दोनों उच्च, स्वक्षेत्री, वर्गोतम आदि में योगकारक बलवान होकर स्थित हों और एक-दूसरे की दशा तथा अंतर्दशा हो तो ऐसे समय में कोई कुबेर सामान राजा ही क्यों न हों, भिक्षा मांगकर जीव... और पढ़ें
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