रत्न एवं रत्नौषाधि द्वारा चिकित्सा
रत्न एवं रत्नौषाधि द्वारा चिकित्सा

रत्न एवं रत्नौषाधि द्वारा चिकित्सा  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 9352 | अकतूबर 2007

हमारे ऋषि महर्षियों ने रत्नों के प्रभाव का ज्ञान उपलब्ध करा कर मानव जगत का महती कल्याण किया है। उपयुक्त रत्न धारण करने और उनसे निर्मित औषधियों का सेवन करने से मन और शरीर स्वस्थ रहते हैं। रत्न खरीदते समय उनकी गुणवत्ता का ध्यान रखना चाहिए।

औषधि बनाने की विधि: रत्न औषधि से रोगी की बीमारी ठीक हो जाती है। रत्न से औषधियां तैयार करने की विधि विशेष जटिल नहीं है। जिस रत्न की औषधि तैयार करनी हो उसका एक या आधी रत्ती भार का नग लेकर शुद्ध अल्कोहल में धोकर एक औंस की शीशी में डाल दें तथा शीशी में एक बूंद शुद्ध अल्कोहल भी डाल दें।

अब इस शीशी को कार्क से कसकर बदं करक े एक अध्ं ोरे कमरे मंे या अलमारी में रख दें। सात दिन एवं सात रात तक शीशी को रखा रहने दें। इसके बाद उसे निकालकर कुछ देर तक हिलाएं और उसमें एक औंस 20 नं. की दुग्ध शर्करा की गोलियां डाल दें तथा शीशी में गोलियों को ऊपर नीचे हिलाएं। गोलियां रत्न ज्योतिर्मय अल्कोहल को चूस लेंगी।

अब गोलियों को निकालकर सफेद कागज पर सुखा लें और दूसरी साफ शीशी में भरकर रख दें। इसी प्रकार सभी ग्रह रत्नों की गोलियां तैयार की जा सकती हैं। कौन से रत्न का उपयोग किस रोग के उपचार में किया जाता है इसका उल्लेख यहां प्रस्तुत है।

सूर्य रत्न माणिक्य लाल रंग का यह पत्थर कांतिवान होता है। इसे हाथ में लेकर धूप में खड़े होने पर हाथ को तपन महसूस होती है। रूई पर रखने से उसका रंग लाल किरणों से युक्त हो जाता है। यदि खून के दस्त लग रहे हों तो माणिक्य से धुला पानी पिलाने से लाभ होता है। माणिक्य से धोए हुए जल पीने से अजीर्ण से मुक्ति मिलती है।

अंधता, हृदय रोग, हृदयाघात आदि रोगों में लाभकारी होता है। संग्रहणी और अतिसार में माणिक्य की गोलियां लाभदायक होती हैं। रक्त संबंधी विकार एवं नपुंसकता में माणिक्य की भस्म रामबाण है। माणिक्य को घाव पर तीन चार बार फेर देने से घाव सड़ता नहीं, न ही टिटनेस आदि होता है।

माणिक्य की अंगूठी को नित्य भोजन करने के बाद साफ पानी के गिलास में पांच बार माणिक्य को घुमाकर उस पानी का सेवन करने से उदर रोग नहीं होता है। चंद्र रत्न मोती रासायनिक दृष्टि से मोती में कैल्शियम, कार्बन और आॅक्सीजन तीन ही तत्व होते हैं किंतु इसकी रचना विशेषतः घोंघे के पेट में ऐंद्रियक पदार्थों के संयोग से होती है। यह चिकित्सा में विशेष उपयोगी होता है। पथरी के रोगों में मोती भस्म फायदेमंद होती है।

पेशाब में जलन होने से मोती की भस्म तुरंत लाभ पहुंचाती है। शरीर में गर्मी अधिक होने पर शुद्ध मोती पहनने से लाभ होता है। बवासीर एवं जोड़ों के दर्द में मोती की भस्म राम बाण औषधि है। मंगल रत्न मूंगा मूंगे में 83 प्रतिशत कैल्शियम कार्बोनेट साढे़ तीन प्रतिशत मैग्नीशियम कार्बोनेट और 4-5 प्रतिशत लोहा होता है। जैव पदार्थ 8 प्रतिशत होते हैं। रक्त विकारों में मूंगा अत्यंत लाभदायक होता है।

यदि रक्तचाप की शिकायत हो तो मूंगे की भस्म शहद के साथ लेने से शीघ्र लाभ होता है। मंदाग्नि में मूंगे की भस्म का गुलाब जल के साथ सेवन करने से लाभ होता है। प्लीहा या पेट का दर्द हो तो इसकी भस्म मलाई के साथ खिलानी चाहिए। मूंगे को केवड़े या गुलाब जल में घिसकर गर्भवती के पेट पर उसका लेप करने से गर्भपात नहीं होता है। मंूगे को गुलाब जल में काजल की भांति पीसकर छाया में सुखाकर शहद के साथ सेवन करने से शरीर पुष्ट होता है।

मूंगे को पीसकर पान के साथ खाने से कफ एवं खांसी में लाभ होता है। मूंगे की भस्म कफ व पित्तजनित बीमारी कुष्ठ, खांसी, ज्वर, पांडु रोगादि में लाभ पहुंचाती है। बुध रत्न पन्ना पन्ने को यदि पानी के गिलास में डाल दिया जाए तो पानी में से हरी किरणें निकलती दिखाई देती हैं। सफेद वस्त्र पर पन्ना थोड़ा ऊंचाई पर रखें, तो वस्त्र हरे रंग का दिखाई देने लगता है।

पन्ना को इक्कीस दिन तक केवड़े के जल में रखें फिर उसे घिसकर मलाई के साथ खाएं, बल एवं वीर्य में वृद्धि होगी। पथरी, बहुमूत्र आदि रोगों में पन्ने की भस्म अचूक औषधि है। आधा सीसी, बवासीर, ज्वर तथा गुर्दे व रक्त संबंधी बीमारी आदि में पन्ने की भस्म शहद के साथ ली जाए तो शीघ्र लाभ मिलता है।

पन्ने की भस्म ठंडी व भेदवध्र् ाक होती है, इसके सेवन से क्षुधा बढ़ती है। बृहस्पति रत्न पुखराज आयुर्वेद के अनुसार पुखराज शारीरिक सौंदर्य ही नहीं बढ़ाता बल्कि विभिन्न बीमारियों को भी दूर करता है। हड्डी का दर्द, खांसी, बवासीर आदि में पुखराज की भस्म लाभकारी होती है।

पीलिया, एकांतिक ज्वर आदि में शहद के साथ पुखराज घिसकर खिलाने से लाभ होता है। तिल्ली, गुर्दे आदि के रोगों में पुखराज को केवड़े के जल में घोलकर पिलाना लाभदायक होता है। मंदाग्नि, पित्त, रक्तस्राव, रक्तचाप, हैजा, पेचिस, दिल की ध् ाड़कन आदि के उपचार में पुखराज की गोलियां लाभकारी होती हैं।

यदि मुंह से दुर्गंध आती हो तो पुखराज को मुंह में रखने मात्र से दूर हो जाती है। इससे दांत मजबूत होते हैं तथा मुंह से सुगंध आने लगती है। शुक्र रत्न हीरा एकदम गरम दूध में यदि हीरा डाल दिया जाए और दूध तुरंत ठंडा हो जाए तो हीरा सच्चा समझना चाहिए। गरम घी में हीरा डाल दिया जाए, तो घी जमने लगेगा।

जिसका वीर्य न बनता हो या शीघ्र स्खलित हो जाता हो या जो संतान उत्पत्ति में अक्षम हो उसे हीरे की भस्म का मलाई के साथ सेवन करना चाहिए। मंदाग्नि रोग में यदि हीरे की भस्म शहद के साथ ली जाए तो भूख बढ़ती है और रोग दूर होता है। दुर्बल, अशक्त शरीर, अतिसार, अजीर्ण, वायु प्रकोप आदि के उपचार में हीरे की भस्म लाभकारी होती है।

शनि रत्न नीलम धूप में यह प्रखर होता है और इससे तेज किरणें निकलती हैं। पानी के गिलास में नीलम डाल दिया जाए तो पानी से नीली किरण् ों स्पष्ट निकलती दिखाई देती हैं। पागलपन की बीमारी में नीलम की भस्म उत्तम औषधि मानी गई है।

कपड़ा द्वारा छाने हुए नीलम के चूरे को केवड़ा जल, गुलाब जल में घोंटें। जब काजल के समान घुट जाए तब उसका शहद, मलाई, अदरक के रस, पान के रस आदि के साथ सेवन करने से विषम ज्वर, मिरगी, मस्तिष्क की कमजोरी, उन्माद, हिचकी, खर्राटे आदि रोगों से मुक्ति मिलेगी। राहु रत्न गोमेद राहु के रत्न गोमेद शब्द की उत्पत्ति ‘गोमूत्र’ शब्द से हुई है।

क्योंकि इसका रंग गोमूत्र के समान भूरा-पीला रंग का होता है। अतः सही गोमेद वही होगा जिसका रंग गोमूत्र के समान भूरा-पीला होगा। गोमेद की भस्म निरंतर सेवन करने से बल, बुद्धि एवं वीर्य बढ़ता है। मिरगी, धुंध, वायु जन्य बीमारी, बवासीर आदि रोगों में भी इसकी भस्म का दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

मात्र गोमेद धारण करने से व गोमेद की गोली खाने से तिल्ली, प्लीहा, गर्मी, ज्वर आदि रोग दूर हो जाते हैं। केतु रत्न लहसुनिया सफेद कपड़े से रगड़ने पर यदि लहसुनिया की चमक में वृद्धि हो जाए तो उसे असली समझना चाहिए। हड्डी पर इसे रख दिया जाए तो चैबीस घंटों में यह हड्डी के आर-पार छेद कर देता है।

लहसुनिया की गोलियों के अतिरिक्त दूध के साथ लहसुनिया की भस्म का सेवन करने से गर्मी, सुजाक आदि दूर हो जाते हंै। घी में इसकी भस्म खाने से नपुंसकता दूर हो जाती है तथा वीर्य गाढ़ा बन जाता है।

If you are facing any type of problems in your life you can Consult with Astrologer In Delhi



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.