मनुष्य का जीवन बड़ा संवेदनशील है। ऐसे में उसे आसपास के परितर्वनों से सामंजस्य बिठाना जरूरी हो जाता है। परिवर्तन के इसी क्रम में मौसम परिवर्तन को महत्वपूर्ण माना जा सकता है।
मौसम परिवर्तन के कारण जरा सी भी अनदेखी के कारण मनुष्य को अनेक प्रकार की व्याधियां जैसे शरीर में दर्द, बुखार, नजला, दमा, खांसी, जुकाम आदि घेर लेती है। चिकित्सा पद्धति को हस्तरेखाओं के सूक्ष्म अध्ययन से जरूर जाना जा सकता है।
हस्तरेखाओं के अध्ययन से यह भी जाना जा सकता है कि आपको भविष्य में किस तरह की बीमारी हो सकती है। हस्त रेखाओं का विश्लेषण आपका स्वास्थ्य असामान्य होने के पूर्व ही इसका संकेत दे देता है ताकि आप सही समय पर इसके निराकरण का सही उपाय कर सकें।
इस तरह हस्तरेखाओं का अध्ययन और उसके अनुसार उपाय कर सेहत को सवारा जा सकता है। कौन सी रेखाएं और उनकी कौन सी स्थिति किस बीमारी की सूचक है इसका एक तथ्यपूर्ण विवरण यहां प्रस्तुत है। बुखार व हस्तरेखाएं यदि अंगूठे के पास के मंगल पर तिल या जीवन रेखा में दोष हो या फिर सिर पर चोट के लक्षण हांे तो यह स्थिति सिरदर्द और बुखार की सूचक है।
नजला और हस्तरेखाएं हाथ में मंगल क्षेत्र नीच का हो व उस पर आड़ी तिरछी रेखा हो, हृदय रेखा से सारी रेखाएं गुरु या शनि पर्वत पर हों तो यह नजले का सूचक है। भाग्य रेखा के ऊपर द्वीप हो, हृदय रेखा की शाखाएं मस्तिष्क रेखा पर पहुंचती हों व मस्तिष्क रेखा पर भी छोटे-छोटे द्वीप हों तो यह स्थिति भी नजले की सूचक है।
हथेली नरम हो, जीवन रेखा को कई मोटी रेखाएं काटती हों व हृदय रेखा की एक शाखा गुरु पर और दूसरी शनि पर हो तो जातक नजले से पीड़ित हो सकता है। दमा व हस्तरेखाएं हृदय व मस्तिष्क रेखाओं में अंतर कम हो, जीवन रेखा में दोष हो व शनि के नीचे भी जीवन रेखा दूषित हो तो यह स्थिति दमा की सूचक है।
मस्तिष्क रेखा चंद्र पर्वत पर जाए, रेखाएं दूषित हों, चंद्रमा उन्नत हो तथा हृदय और मस्तिष्क रेखाओं में अंतर कम हो तो दमा हो सकता है। रक्तचाप और हस्तरेखाएं मस्तिष्क रेखा घूमकर चंद्रमा पर आ जाए तथा जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा का जोड़ लंबा हो तो रक्तचाप की संभावना रहती है।
हथेली सख्त हो, मस्तिष्क रेखा मंगल पर जाए और भाग्यरेखा मोटी हो तो रक्तचाप हो सकता है। सरवाइकल की समस्या और हस्तरेखाएं मंगल रेखा टूटी फूटी हो व इसे आड़ी तिरछी रेखाएं काटती हों और हृदय रेखा से शाखाएं निकलकर मस्तिष्क रेखा पर आ रही हों तो सरवाइकल संबंधी समस्या हो सकती है।
मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा दोनों में द्वीप हो तथा हथेली सख्त हो तो इस स्थिति में भी सरवाइकल की समस्या हो सकती है। खांसी व हस्तरेखाएं दोनों हाथों में मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा का जोड़ लंबा हो, जीवन रेखा में गुरु के नीचे द्वीप हो, उसमें से कोई शाखा निकलकर शनि या गुरु पर जाती हो तो जातक खांसी का शिकार हो सकता है।
शनि के नीचे जीवन रेखा पर द्वीप हो और उस द्वीप से निकलकर कोई रेखा ऊपर की ओर आए तो खांसी की संभावना रहती है। यह स्थिति फेफड़ों की कमजोरी की भी सूचक है। हाथ नरम या गुलाबी रंग के हों व उनमें रेखाओं का जाल बना हो तो यह स्थिति भी खांसी की सूचक है।
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