इस संसार में व्यक्ति चाहे अमीर हो या गरीब समस्याएं सबके साथ हो सकती हैं। साथ ही समस्या की गंभीरता भी समान रूप से हो सकती है। ज्योतिष शास्त्र ने इस विचार को भली भांति समझा है तथा उसके अनुरूप समस्याओं का उपाय भी सुझाया है। यह सर्वविदित है कि सूर्य से सतरंगी प्रकाश बैंगनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल निकलते हैं।
हमारे शरीर में इनके निश्चित अनुपात की किरणें समाहित होती हैं। जिस रंग के प्रकाश की कमी होती है उसको हम रत्न पहन कर अपने शरीर में प्रवेश करा लेते हैं। यही रत्नों का कार्य होता है। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ न होने पर व्यक्ति चाहते हुए भी आवश्यक रत्न धारण करने में असमर्थ रहता है। तो ऐसी स्थिति में उपरत्न धारण करने का सुझाव दिया जाता है।
यहां यह बताना आवश्यक है कि उपरत्न से मात्र 5 प्रतिशत तक का लाभ व्यक्ति प्राप्त कर सकता है जो सिर्फ उपरत्नों के रंगों के कारण होता है। सही मात्रा में सही प्रकाश की किरण एवं रंग रत्नों से ही प्राप्त किए जा सकते हैं। अतः यदि कोई व्यक्ति उत्तम गुणवत्ता वाला नग धारण नहीं कर सकता है तो यह प्रयास करना चाहिए कि उपरत्न के बजाय कम गुणवत्ता वाला व सस्ता नग धारण करें।
इससे उपरत्नों की तुलना में अधिक लाभ मिलने की आशा रहती है। यदि व्यक्ति उपरत्न और कम गुणवत्ता वाला रत्न भी धारण न कर सके तो ऐसी स्थिति में ग्रह से संबंधित जड़ी-बूटी को भी धारण किया जा सकता है। जैसे पुखराज के लिए हल्दी को कपड़े में बांध कर बाजू में बांधा जा सकता है। या अन्य किसी जड़ी बूटी का पाउडर बना कर लाॅकेट या ताबीज में धारण कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त संबंधित ग्रह को अनुकूल बनाने हेतु संबंधित ग्रह की पूजा, अनुष्ठान या व्रत धारण किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त यदि मन में रत्न पहनने से संबंधित कोई संशय हो कि अमुक रत्न धारण करना चाहिए या नहीं तो ऐसी स्थिति में भी संबंधित ग्रह के मंत्र का जप करके भी ग्रहों के शुभ फलों की प्राप्ति एवं अशुभ फलों से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। अंत में यही कहना उचित होगा कि सामथ्र्यवान व्यक्ति को हमेशा उचित गुणवत्ता का रत्न धारण करना चाहिए जिससे उसे अमुक ग्रह का पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।
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