हस्तरेखा शास्त्र एक गहन, व्यापक और श्रमसाध्य विधा है जिसके लिए केवल पुस्तक का ज्ञान ही काफी नहीं है वरन आत्म-साधना, संयम, अध्ययन, चिंतन-मनन और व्यापक अनुभव अपेक्षित होता है। लेकिन हस्तरेखा शास्त्र में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु ऐसे हैं जिनके आधार पर कोई भी, कम समय में इसका मौलिक ज्ञान प्राप्त कर सकता है और प्रथम मुलाकात में ही व्यक्ति के स्वभाव आदि की बारीकियों को पहचान सकते हैं। आप जिस व्यक्ति से मिले हैं उसका स्वभाव कैसा है? क्या वह आपको धोखा दे सकता है? उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि कैसी है? ये सभी पक्ष आपको देखने चाहिए। यदि आप उस व्यक्ति से मित्रता, कोई साझा कारोबार या कोई लेन-देन करने जा रहे हैं तो आप पर इन सब का प्रभाव पड़ सकता है। आजकल युवक-युवतियों की एक छोटी सी मुलाकात दोस्ती में बदल जाती है और दोस्ती अक्सर पति-पत्नी के रिश्ते में बदल जाती है। ऐसे में दोनों एक दूसरे को बहुत अच्छी तरह से नहीं जान पाते।
क्षणिक एवं पहली मुलाकात में यदि हमें व्यक्ति के स्वभाव, चरित्र आदि का आभास हो जाए तो हम धोखा नहीं खा सकते। यहां 25 टिप्स दिए गए हैं। जिनकी सहायता से हम किसी के स्वभाव, चरित्र आदि का पता लगा सकते हैं।
Û यदि हाथ कम रेखाओं वाला हो तो निर्णय लेने में देरी करते हैं। ऐसे लोगों से सावधानी से संबंध स्थापित करना चाहिए- चाहे दोस्ती हो या अन्य संबंध।
Û यदि स्त्री के हाथ में रेखाएं कम हों और हाथ सख्त हो, तो विवाह के बाद मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है।
Û यदि मस्तिष्क रेखा दोनों ओर शाखायुक्त हो, अंगूठा पतला व लंबा हो अंगूठे का अग्र भाग सर्पमुखाकार व नुकीला हो तो व्यक्ति बुद्धिमान, छोटी उम्र में ही सभी सुखों का भोग करने वाला तथा आर्थिक दृष्टि से सुदृढ़ होता है। यदि अंगूठा चैड़ा हो तो जीवन में सफलता के साथ-साथ झंझट भी आते हैं।
Û हाथ का रंग गुलाबी हो, भाग्यरेखा साफ सुथरी हो, हाथ कोमल व मुलायम हो तो व्यक्ति सात्विक सरल हृदय व छल कपट से रहित होता है। किसी को धोखा देना इनके स्वभाव मंे नहीं होता। ये धार्मिक प्रवृत्ति के और सामाजिक कार्यों में रुचि रखने वाले होते हैं। अतः ऐसे व्यक्ति विश्वास पात्र व अच्छे सहायक होते हैं।
Û यदि हाथ का रंग लाल हो, हाथ लंबा एवं लचीला हो, जीवन रेखा म कोई दोष हो और भाग्यरेखा जीवनरेखा के पास हो तो ऐसे लोग प्रायः व्यसनी, क्रोधी स्वभाव के, अधिक खर्च करने वाले और सदैव चिड़चिड़े रहने वाले होते हैं। अतः ऐसे व्यक्तियों से मित्रता सोच-समझकर ही करनी चाहिए।
Û यदि हाथ बड़े, चैड़े और गुलाबी हों, न अधिक मोटे और न अधिक पतले हों, सभी ग्रह समानता लिए हुए हों, प्रायः तीन या अधिक उंगलियों के आधार समान हों, नाखून न विशेष लंबे और न ही विशेष छोटे हों तो ऐसे लोग व्यापारिक बुद्धि के होते हैं, ऐसे हाथों के जातकों में महानता के लक्षण पाए जाते हैं। ऐसे हाथ भारी, चिकने व गुदगुदे भी देखे गए हैं। ऐसे लोग ख्याति प्राप्त होते हैं और अपने कुल गोत्र का नाम उज्ज्वल करते हैं। उन्हें स्त्री, पुत्र, धन, वाहन आदि का सुख प्राप्त होता है। अतः इनके साथ साझेदारी में कार्य करना फायदेमंद होता है।
Û यदि हथेली के मध्य गहरा गड्ढा हो तो ऐसे लोग अक्सर गले एवं पेट के रोगों से पीड़ित रहते हैं साथ ही पैर में चोट और दांतों से संबंधित कष्ट भी इन्हें होता है। ये चिड़चिड़े स्वभाव के भी होते हैं खुद तो मजाक कर लेते हैं परंतु अपने साथ किया हुआ मजाक बर्दाश्त नहीं कर सकते।
Û यदि हाथ का अंगूठा लंबा हो तो ऐसे लोग गुणी, उदार, शांतचित्त, बुद्धिमान, शौकीन और हृदय के कोमल होते हैं। लंबे अंगूठे यदि बृहस्पति की उंगली के द्वितीय पोर तक जाते हों तो व्यक्ति में विशिष्ट गुणों की वृद्धि होती है। ये लक्षण प्रायः उच्चाधिकारियों या न्यायाधीशों में पाए जाते हैं। ऐसे जातक कुल मिलाकर अच्छे स्वभाव एवं गुणवान होते हैं अतः भरोसे लायक होते हैं।
Û यदि अंगूठा छोटा हो तो व्यक्ति में क्रोध, फूहड़ता, दिखावा, शक करने की प्रवृत्ति आदि दुर्गुण पाए जाते हैं। अतः यदि ऐसे व्यक्ति किसी पद पर होते हैं तो तानाशाही प्रवृत्ति के होते हैं।
Û यदि शुक्र उत्तम स्थिति में हो अर्थात न अधिक उन्नत हो, न अधिक बैठा हुआ हो और न ही उस पर कोई कट-फट हो तो व्यक्ति संतुलित व्यवहार करने वाला, सतर्क, बुद्धिमान, सौंदर्यप्रेमी, साहित्य में रुचि रखने वाले लेखक या कवि होते हैं।
Û यदि उंगलियां छोटी व पतली हों और शुक्र उठा हुआ हो तो व्यक्ति हमेशा सतर्क रहने वाला होता है। वह उन्नति करने वाला भी होता है किंतु उसकी उन्नति देर से हो पाती है। उसके अनेक प्रेम-संबंध होते हैं।
Û मस्तिष्क रेखा का झुकाव यदि चंद्र क्षेत्र की ओर हो तो व्यक्ति अत्यधिक भावुक होता है। वह ईश्वर चिंतन की ओर उन्मुख रहता है और कभी-कभी वैराग्य भी धारण कर लेता है।
Û शुक्र यदि दूषित हो अर्थात अधिक ढीला या अधिक उठा हुआ हो तो जातक सनकी स्वभाव का होता है। साथ ही हृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा पर शनि के नीचे दोष हो तो वह सनकी, झक्की और पागलपन जैसे लक्षणों से युक्त होता है।
Û यदि जीवनरेखा दोनों हाथों में शुभ हो, सुंदर हो तथा अन्य रेखाएं भी निर्दोष हों तो ये अत्यंत शुभ लक्षण हैं। यदि जीवन रेखा सामान्य अर्थात न पूरी तरह सीधी और न ही पूरी तरह गोलाकार हो तो जीवन मध्यम श्रेणी का होता है। संतान कम होती है और जायदाद का सुख मध्यम होता है।
Û यदि जीवन रेखा सीधी हो और मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष हो तो महिलाओं को गर्भाशय की तकलीफें होती हंै और प्रजनन में इन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है।
Û जीवन रेखा यदि आरंभ में मोटी और अंत में पतली हो और मस्तिष्क रेखा दूषित हो तो बौनापन, तुतलाना, हकलाना, कंपन आदि बीमारियां हो सकती हंै। संतान होने में भी बाधा आती है, किंतु मस्तिष्क रेखा उत्तम होने पर संतान बाधा नहीं होती।
Û मस्तिष्क रेखा में शनि की उंगली के नीचे दोष हो तो घुटनों का दर्द, मधुमेह, गर्भाशय के रोग व शुक्र दोष पाए जाते हैं।
Û मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष हो, हाथ निम्न श्रेणी का हो एवं लगभग सभी ग्रह दोषपूर्ण हों तो प्रायः अग्न्याशय गड़बड़ी एवं शारीरिक कमजोरी से व्यक्ति सदैव परेशान रहता है।
Û मणिबंध स्थल पर यदि बड़े द्वीप हों और जीवन रेखा सीधी हो तो इसे पितृदोष का लक्षण समझना चाहिए। ऐसे लोगों का वंश नहीं चल पाता अथवा संतान कम होती है। यदि कोई अन्य दोष भी हो तो वंश समाप्त होने की संभावना रहती है।
Û जिस व्यक्ति के दांत भीतर की ओर झुके हुए हों, वह मितव्ययी होता है। ऊपर उठे हुए दांत बुद्धिमान व धनी होने का संकेत करते हैं।