भारतीय दर्शन में अध्यात्म और भौतिकता दोनों का समावेश है। इस दर्शन में कई ऋषियों ने आत्मा को प्रमुखता दी है, लेकिन चर्वाक जैसे ज्ञानी ने भौतिकवाद को महत्वपूर्ण माना। उनका कहना था कि धन ही जीवन का सबसे प्रमुख घटक है, बाकी सब कोरा है। आत्मा को प्रमुखता देने वाले भारतीय दर्शन में चर्वाक की भौतिकवादी कल्पना आज हर तरफ अपना रंग दिखा रही है। लोग धन को पाने के लिए एड़ी-चोटी एक कर रहे हैं। एक ही समय में अलग-अलग व्यवसाय करके अपनी आय को लोग दुगुना तिगुना करने में लगे हैं। वैसे धन मनुष्य के जीवन में काफी मुसीबत भी खडा़ करता है। भारत के कई धनी परिवारों में धन के लिए बंटवारे की स्थिति आ जाती है। कई बार तो धन के पीछे कई जानें चली जाती हैं। जीवन और धन के इस शाश्वत संबंध का विश्लेषण करें तो पता चलेगा कि धन के कारण ही समाज में विषमताएं हंै और समाज वर्ग-विशेष में बंटा है। धन का संबंध मनुष्य के भाग्य से भी है। हम देखते हैं कि संसार में ईश्वर किसी को इतना धन दे देता है कि उसकी कई पीढ़ियां तक निश्चिंत रहता हैं, वहीं किसी को इतना कमदेता है कि बड़ी मुश्किल से गुजारा हो पाता है। इस संदर्भ में हस्त रेखाएं बता सकती हैं कि कब, कैसे, कितना और कहां से आपको धन मिल सकता है। इस लेख मेें हम हाथ की रेखाओं के कुछ ऐसे लक्षणों का वर्णन कर रहे हैं जो मनुष्य को धनी संपन्न और ऐश्वर्यशाली बनने में सहायक हो सकते हैं।
Û भाग्य रेखा चंदमा से उदय होकर सीधे शनि क्षेत्र तक पहुंचे, जीवन रेखा से कोई रेखा निकलकर शनि पर्वत तक पहंुचे, हाथ कोमल हों व अन्य पर्वत उठे हुए हों तो ऐसे जातक को धन की प्राप्ति होती है।
Û जीवन रेखा गोल हो, शुक्र पर्वत अधिक उठा हुआ न हो, भाग्य रेखा की संख्या एक से अधिक हांे, शनि की अंगुली लंबी व सूर्य की अंगुली सीधी हो, अंगुलियों के आधार बराबर हांे तो बड़े-बड़े लोगों से धन लाभ होता है।
Û जीवन रेखा गोल, मस्तिष्क रेखा विभाजित हो, सूर्य रेखा दो हों, शनि की अंगुली बराबर हो, निर्दोष मस्तिष्क रेखा में त्रिकोण हो, हाथ भारी व पर्वत उच्च हों तो ऐसे जातक को आकस्मिक रूप से धन का लाभ होता है।
Û गुलाबी हाथ में अंगुलियां लंबी हों, मस्तिष्क रेखा साफ-सुथरी हो, अतिकेंद्रीय ज्ञान रेखा की संख्या एक से अधिक हो, आगे से अंगुलियां नुकीली हों तो ऐसा व्यक्ति कला क्षेत्र में सफल होता है।
Û हाथ में मस्तिष्क रेखा मंगल से निकल कर आगे मंगल पर्वत तक जाए, भाग्य रेखा जीवन रेखा से दूर हो, सभी ग्रह हाथ में उन्नत हांे, भाग्य रेखा मोटी से पतली हो या भाग्य रेखा मणिबंध से शुरू होकर शनि पर समाप्त हो तो व्यवसाय में सफलता मिलती है।
Û हाथ में अंगुलियां छोटी व पतली हों, गुरु पर्वत उन्नत हांे, बुध पर्वत पर कटी-फटी रेखाएं न हांे, भाग्य रेखा साफ सुथरी हांे, जीवन रेखा गोल हो, हृदय रेखा पर न आए तो व्यक्ति को ऊंचे प्रशासनिक पद प्राप्त होता है।
Û दोनों हाथों में जीवन रेखा गोल हांे, मस्तिष्क रेखा की एक शाखा चंद्र पर्वत पर व दूसरी मंगल पर्वत पर जाए, भाग्य व जीवन रेखा में दूरी हो, जीवन भाग्य व मस्तिष्क रेखा को राहु की रेखाएं न काटे तो व्यक्ति सफल इंजीनियर, डाॅक्टर, वैज्ञानिक आदि बनता है।
Û हाथ में मंगल क्षेत्र उŸाम हो, मंगल क्षेत्र को कोई भी आड़ी या तिरछी रेखाएं न काट रही हों, जीवन रेखा के साथ मंगल रेखा आदि से अंत तक हो (दोनों हाथों में) तो जातक खेलकूद में धन और प्रसिद्धि पाता है।
Û मस्तिष्क रेखा मंगल से शुरू हो, मंगल पर समाप्त हो चंद्र क्षेत्र साफ-सुथरा हो, भाग्य रेखा में द्वीप न हो या यह टूटी-फूटी न हों, सभी अंगुलियों के आधार बराबर हों तो भी व्यक्ति खेलकूद में नाम प्रसिद्धि और धन कमाता है। इस लक्षणों के अलावा भी कई लक्षण हैं जो जातक के जीवन में आने वाले ऐश्वर्य अथवा दीनता की स्थिति का वर्णन करते हैं, जो किसी योग्य हस्तरेखाशास्त्री से परामर्श लेकर जाना जा सकता है।