जीवन रेखा का महत्व
जीवन रेखा का महत्व

जीवन रेखा का महत्व  

अशोक सक्सेना
व्यूस : 30669 | अप्रैल 2011

हस्तशास्त्र में जीवन रेखा द्वारा आयु का निर्धारण किया जाता है। जीवन रेखा को पितृ रेखा या गोत्र रेखा आदि कई नामों से भी जाना जाता है। जिस प्रकार तीन नदियां मिलकर संगम बनाती है उसी प्रकार जीवन रेखा का उद्गम स्थान बृहस्पति क्षेत्र एवं अंगूठे के मध्य में होता हुआ मस्तिष्क रेखा से जुड़कर, गोलाई बनाते हुए होता है। जब यह रेखा न अधिक पतली न अधिक मोटी सुंदर व पुष्ट होकर शुक्र क्षेत्र को घेरती हुई मणिबंध के समीप तक पहुंचकर समाप्त होती है, तो ऐसा व्यक्ति स्वस्थ, दीर्घायु, ऐश्वर्य युक्त होकर अपना पूर्ण जीवन व्यतीत करता है। हस्तरेखाओं द्वारा भविष्य कथन की विद्या भी अति प्राचीन एवं सत्यता के अति निकट है। इस शास्त्र के प्रणेता ब्रह्मा जी है। आज के वर्तमान युग में कई बड़े-बड़े हस्तरेखाविद है परंतु इन सब में कीरो का स्थान सर्वविदित है।

जिस प्रकार ज्योतिष में फलकथन के पूर्व जातक की आयु का विचार सर्वप्रथम कर लेना चाहिए ताकि बाद में पछताना न पड़े और शास्त्र झूठा साबित न हो इसी प्रकार हाथ की रेखाओं द्वारा भविष्य बताने वाले हस्तरेखा शास्त्री द्वारा हाथ देखने पर सर्वप्रथम दोनों हाथ देखकर जातक की आयु परख लेना चाहिए उसके पश्चात ही कोई भविष्यवाणी करना उचित होगा। हाथ में उपस्थित रेखाओं में सबसे महत्वपूर्ण रेखाओं में जीवन रेखा फिर हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा, स्वास्थ्य रेखा, यश रेखा, भाग्य रेखा, विवाह रेखा, संतान रेखा। इन सबमें महत्वपूर्ण जीवन रेखा होती है। यदि जीवन है तो ही आगे सब घटित हो सकेगा, न होने पर सब समाप्त होगा अतः जीवन रेखा का अध्ययन दोनों हाथों में विशेष ध्यान से किया जाना चाहिए। उन पर पाए जाने वाले चिन्हों का भी अध्ययन कर फलित करना चाहिए ताकि किया गया फलित लगभग सही हो।

  • अब हम जीवन रेखा के संबंध में कुछ जानकारी निम्नानुसार प्रस्तुत कर रहे हैं, पाठक लाभ उठा सकते हैं।
  •  जीवन रेखा लंबी, सकरी, गहरी, अनियमितताओं से रहित तथा बिना टूटी हुई होनी चाहिए। उस पर किसी प्रकार का गुणन चिन्ह भी नहीं होना चाहिए। इस प्रकार की जीवन रेखा व्यक्ति के उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु एवं स्फूर्ति की सूचक होती है।
  •  यदि जीवन रेखा श्रृंखलाकार या टुकड़ों से जुड़ी अथवा बनी हुई हो तो वह व्यक्ति के निर्बल स्वास्थ्य का सूचक होती है। ऐसा विशेषतः तब होता है जब हाथ कोमल हो। जब ऐसी रेखा दोबारा अपनी क्षमता प्राप्त कर लेती है या नियमित हो जाती है तो व्यक्तित का स्वास्थ्य ठीक हो जाता है।
  • यह रेखा बांये हाथ में टूटी हुई हो तथा दांये हाथ में जुड़ी दिखाई दें तो व्यक्ति के लिए भयंकर रोग की सूचना देती है। यदि दोनों में टूटी हुई हो तो मृत्यु की सूचक होती है। ऐसा उस समय तो और भी निश्चित हो जाता है जब टूटी हुई जीवन रेखा शुक्र पर्वत क्षेत्र पर भीतर की ओर मुड़ती दिखाई दे। तब तो व्यक्ति की मृत्यु निश्चित ही मान लेना चाहिए।
  •  यदि जीवन रेखा गुरु पर्वत क्षेत्र के आधार से प्रारंभ हो तो इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति जीवन के आरंभ से महत्वाकांक्षी रहा है। यदि जीवन रेखा आरंभ होते समय श्रृंखलाकार हो तो यह जीवन के प्रारंभिक भाग में व्यक्ति की अस्वस्थ्यता की सूचक होती है।
  •  यदि जीवन रेखा मस्तिष्क रेखा से बहुत घनिष्ठता से जुड़ी हो तो व्यक्ति का जीवन तर्क संगत एवं बुद्धिमता के द्वारा परिचालित हुआ मानना चाहिए। ऐसे व्यक्ति उन सब बातों व कार्यों के प्रति अत्याधिक संवेदनशील होते हैं जिनका संबंध उनके स्वयं से होता है।
  •  यदि जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा के बीच मध्यम दूरी हो तो व्यक्ति अपनी योजना एवं विचारों को कार्यरूप में परिणित करने के लिए अधिक स्वतंत्र होता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति स्फूर्तिवान तथा जीवट होता है।
  •  जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा के मध्य अंतर बहुत अधिक हो तो ऐसे व्यक्ति अत्याधिक आत्मविश्वासी एवं जल्दबाज होता है ये इस बात का द्योतक है कि व्यक्ति दुःसाहसी एवं आवेशात्मक है व तर्क व युक्ति का उसके जीवन में कोई स्थान नहीं है।
  •  यदि जीवन रेखा मस्तिष्क रेखा व हृदय रेखा एक साथ जुड़ी हुई हो तो ये अत्यंत अशुभ चिन्ह है। ये इस बात का सूचक है कि व्यक्ति अपनी बुद्धिहीनता व आवेश के कारण किसी भी खतरे में कूद पड़ता है। ये चिन्ह इस बात का भी सूचक है कि व्यक्ति को आने वाले संकटों का बिलकुल भी ज्ञान नहीं है जो उस पर दूसरों के संपर्क के कारण आ सकते हैं।
  •  यदि जीवन रेखा हथेली के लगभग बीच में विभाजित हो जाये व उसकी एक शाखा चंद्र पर्वत क्षेत्र की ओर चली जाती है तो यह दृढ़ हाथ व्यक्ति के अस्थिर जीवन यात्रा की अदम्य लालसा का सूचक होता है। अंततः इस इच्छा की संतुष्टि हो जाती है। यदि इस प्रकार का चिन्ह कोमल हाथ पर हो तथा मस्तिष्क रेखा ढलवां हो तो व्यक्ति का स्वभाव स्थिर एवं अधीर होता है तथा वे उत्तेजनापूर्ण अवसरों के लिए लालायित रहता है।
  •  यदि जीवन रेखा से निकलकर कुछ रेखाएं बालों जैसी झूमती हुई या नीचे की ओर गिरी हुई अथवा उनसे जुड़ी हुई हों तो आयु के जिस भाग में वे दिखाई पड़ती है उस आयु में व्यक्ति की जीवन शक्ति के ह्रास की सूचना देती है। ऐसी रेखाएं जीवन के अंत में ही दिखती है तब वे जीवनी शक्ति के विघटन की सूचक होती है जो रेखाएं जीवन रेखा से निकलकर ऊपर की ओर जाती हैं वे व्यक्ति के अधिकार, आर्थिक लाभ, सफलता की द्योतक होती है।
  • यदि जीवन रेखा से कोई शाखा गुरु पर्वत क्षेत्र की ओर उठती दिखाई दे या उसमें जा मिले तो इसका अर्थ यह समझना चाहिए कि जिस समय से वह रेखा जीवन रेखा के उपर उठती है व्यक्ति को उसी समय में पद अथवा व्यवसाय में उन्नति प्राप्त होती है इसके विपरीत यदि जीवन रेखा से कोई शाखा शनि पर्वत क्षेत्र की ओर उठकर भाग्य रेखा के साथ-साथ चलती दिखाई दे तो इसका अर्थ यह होता है कि व्यक्ति को संपत्ति का लाभ होगा अथवा उसकी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति होगी। ऐसे व्यक्ति की इच्छा शक्ति के कारण ही संभव है।
  •  यदि जीवन रेखा से उठकर कोई शाखा बुध पर्वत की ओर चली जाये तो यह व्यक्ति की व्यापारिक अथवा वैज्ञानिक क्षेत्र में सफलता की सूचक होती है। लेकिन ऐसा तभी संभव होता है जब हाथ वर्गाकार, चमचाकार अथवा नुकीला हो। वर्गाकार हाथ पर ऐसी रेखाएं व्यवसाय एवं विज्ञान के क्षेत्र में सफलता की सूचक होती है। चमचाकार हाथ में किसी आविष्कार अथवा नयी खोज के विषय में तथा नुकीले हाथ वाले व्यक्तियों के लिए आर्थिक दृष्टि से प्रसन्नता की सूचक होती है। नुकीले हाथों वाले व्यक्तियों को ऐसी सफलता सट्टे अथवा व्यापार से भी हो सकती है।
  • यदि जीवन रेखा अपनी समाप्ति पर दो शाखाओं में विभक्त हो जाये और दोनों शाखाओं के बीच का अंतर काफी अधिक हो तो व्यक्ति की मृत्यु अपने जन्म स्थान से दूर होती है।
  •  यदि जीवन रेखा पर किसी द्वीप का चिन्ह हो तो व्यक्ति तब तक किसी रोग से पीड़ित बना रहता हैजब तक वह चिन्ह विद्यमान रहता है।
  •  यदि जीवन रेखा पर वर्ग का चिन्ह हो या जीवन रेखा किसी वर्ग से होकर गुजरे तो वह मृत्यु के बचाव की सूचक होतीहै। जब जीवन रेखा वर्ग से गुजरती हुई द्वीप के बगल से निकलती हो तो व्यक्ति की किसी रोग से रक्षा होती है। जीवन रेखा पर वर्ग की स्थिति सदा ही सुरक्षा की सूचक होती है।
  •  यदि कोई रेखा मंगल पर्वत क्षेत्र से उठती हुई नीचे आकर जीवन रेखा को स्पर्श करे या काटे तो जिस स्त्री के हाथ में इस प्रकार की रेखा हो उसके बारे में इस बात की सूचक है कि उस स्त्री का पहले किसी व्यक्ति के साथ अनुचित संबंध रहा था जो उसके लिए संकट का कारण बना हुआ है।
  • यदि जीवन रेखा दूर तक फैलती हुई शुक्र पर्वत क्षेत्र के लिए पर्याप्त स्थान छोड़ देती है तो यह व्यक्ति की शारीरिक क्षमता एवं दीर्घायु की सूचक है। इसके विपरीत जब जीवन रेखा शुक्र पर्वत क्षेत्र के पास होती है तो व्यक्ति स्वस्थ सुगठित नहीं होता। जीवन रेखा जितनी छोटी होगी व्यक्ति का जीवन उतना ही कम होगा।
  •  यदि कोई छोटी रेखा कहीं से भी प्रारंभ होकर जीवन रेखा के साथ चलती हुई शुक्र पर्वत क्षेत्र की ओर मुड़ जाये और इस प्रकार जीवन रेखा से दूर भी हो जाये तो इस बात का द्योतक है कि उस स्त्री से संबंधित व्यक्ति का उसके प्रति आकर्षक कम होने के कारण उससे अलग हो जायेगा तथा उसको बिलकुल ही भुला देगा।

यदि यह रेखा किसी द्वीप से जा मिले या स्वयं ही एक द्वीप बन जाये तो इस बात का संकेत है कि उस पुरूष से संबंधों के कारण स्त्री को समाज में कलंकित होना पड़ेगा। जीवन रेखा एक महत्वपूर्ण रेखा होते हुए भी यह व्यक्ति की आयु या मृत्यु की ठीक ठीक जानकारी नहीं दे पाती है यह रेखा व्यक्ति के दीर्घ जीवन की केवल सूचना देती है क्योंकि अन्य रेखाओं के द्वारा प्रदर्शित अनेक प्रकार की दुर्घटनाएं व्यक्ति के दीर्घ जीवन को छोटा बना सकती है। जैसे मस्तिष्क रेखा टूटी हुई हो तो इससे भी आयु संबंधी जानकारी होती है। इस संबंध में स्वास्थ्य रेखा भी महत्वूपर्ण भूमिका अदा करती है। जीवन रेखा कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, स्वास्थ्य रेखा जिस स्थान पर यह दोनों मिलती हो वह स्थान भी व्यक्ति की मृत्यु की सूचना देता है। चाहे वह स्थान जीवन रेखा की समाप्ति से कितना ही पहले क्यों न हो और जीवन रेखा उसके बाद भी चलती रहे। इस प्रकार स्वास्थ्य रेखा भी उसके बाद चलती रहे। इस प्रकार स्वास्थ्य रेखा से भी आयु/अन्तत निश्चित की जा सकती है। हस्तरेखाविद् को समस्त रेखाओं का अध्ययन कर तथा रेखाओं पर पाये जाने वाले चिन्हों का भी प्रभाव ध्यान में रखकर ही आयु पर भविष्यवाणी करनी चाहिए। जरा सी चूक परिणाम बदल सकती है।



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