हस्त रेखाओं की रहस्यपूर्ण भाषा भोला राम कपूर हस्त रेखाएं मानव के हाथों में प्रकृति द्वारा लिखित गूढ़ रहस्यों भरी वह भाषा है, जिसे विद्वान ही पढ़ कर समझ सकते हैं। हाथों और उंगलियों की बनावट भी मनुष्य के स्वभाव, आचार-विचारों का संकेत देती है। अंगूठे को मन-मस्तिष्क की भावनाओं का दर्पण कहा जा सकता है। पतला एवं नोकदार अंगूठा, जो पीछे की ओर मडु ़ रहा हा,े मनुष्य को गुस्सेबाज, जिद्दी तथा कद्री-कद्री हत्यारा द्री बना दतो है उन्नत बहृ स्पति पर्वत मनुष्य को दयालु, ईमानदार, धमर्श् ाील और समाज में सम्मानित व्यक्ति बनने की प्रेरणा देता है। साथ ही ऊर्ध्व मंगल के विकसित होने पर व्यक्ति स्वाद्रिमानी होता है। वह अपने एवं संबंधियों और मित्रों के सम्मान पर चोट किये जाने पर सीधा मुकाबला करता है आरै अपने साथियों के सम्मान की रक्षा करता है।
यदि वर्गाकार हाथ हो, बृहस्पति और ऊर्ध्व मंगल पर्वत दोनों विकसित हां,े तो व्यक्ति सत्यवादी व ईमानदार हातो है एवं अपने सिद्धातांें और सम्मान के लिए अपार धन और संपत्ति को द्री ठोकर मारता है, परंतु अपने सम्मान और सच्चाई की रक्षा करता है। शनि पर्वत विकसित हो, साथ ही भाग्य रेखा सीधी शनि पर्वत पर आ कर रुके, तो मनुष्य लगन से अपने कार्य में जुटा रहता है और व्यापार तथा नौकरी में, धन एवं मजदूरी में किसी पक्रार की रियायत या छूट दसूरों को नहीं देता। जीवन के प्रत्येक कार्य को निजी लाद्र और हानि सोच कर करता है, अर्थात जिस कार्य से उस तत्काल या द्रविष्य में कोई आर्थिक लाद्र होने की संभावना न हो, उसे करता ही नहीं। वह केवल लाद्रकारी कामों में ही रुचि लतो है वगार्कार हाथों में यदि बहृ स्पति पवर्त विकसित हो, तो उस पर अक्सर स्वस्तिक का चिह्न देखने को मिलता है मनष्ुय के हाथ में स्वस्तिक का चिह्न जहां द्री हो, वह धर्म-कर्म की द्रावना और देव कृपा को दर्शाता है। साथ ही उसका जीवन साथी द्री उसके प्रित वफादार आरै इर्मानदार हातो है यह व्यक्ति अपनी आजीविका ईमानदारी से कमाता है। वह बेइमानी और रिश्वत के प्रलाद्रे न में नहीं पडत़ा। सूर्य रेखा का विकसित होना और सूर्य पर्वत पर पहुंचना, साथ ही यदि सूर्य पर्वत द्री विकसित हो, तो मनुष्य जीवन में मान-सम्मान प्राप्त करता है। जीवन में द्राग्य रखाो का पर्ण्ूा फल तद्री पा्रप्त हातो है, जब सूर्य पर्ण्ूा विकसित एवं निर्दाषे हो।
सूर्य रेखा पर द्वीप का चिह्न होने पर उस व्यक्ति पर झूठा लांछन लगता है आरै नाकै री करने वाले लागों की तरक्की मं,े उसके साथियों द्वारा झूठी बरुाई करने के कारण, रुकावट आती है। यदि कोई रखाो सूर्य रखाो को काटती ह,ै तो उस आयु काल में उस व्यक्ति की साख आरै यश मं ें कमी आती है सर्यू रेखा पर उल्टा यू का चिह्न अथवा त्रिद्रुज का चिह्न व्यक्ति को सामाजिक और धार्मिक कार्यों की पर्रेणा दतो है शुक्र मुद्रिका रेखा कनिष्ठिका मूल से तर्जनी मूल तक धनुषाकार रूप में पायी जाती है यदि यह रेखा निर्दोष हो, तो व्यक्ति को सद्री द्रौतिक पदार्थ जीवन में उपलब्ध होते हैं, जैसे मकान, सुंदर स्त्री, धन, वाहन इत्यादि। परंतु रेखा के टूटे होने, या अन्य छोटी रेखाओं द्वारा काटे जाने पर व्यक्ति के द्रौतिक सुखों में रुकावट आती है ऐसा व्यक्ति द्रौतिक सुख की कल्पना अधिक करता है, परंतु यथार्थ में जीवन द्रर सद्री द्रौतिक सुखों को प्राप्त नहीं कर पाता।
कई हाथों में त्रिशूल का चिह्न द्री पाया जाता है। हस्त रेखा पर त्रिशूल का चिह्न (प्रारंद्र में) हृदय एवं इच्छा शक्ति को बलवान बनाता है। ऐसे व्यक्ति का हृदय दुखाने वाले व्यक्ति, अर्थात शत्रु परश्े ाान रहते हैं इसका कारण है त्रिशलू का चिह्न शिव एवं शक्ति का प्रमुख अस्त्र है। यह चिह्न व्यक्ति की शत्रुओं से रक्षा करता है; साथ-साथ शत्रुओं को प्रताड़ित द्री करता है। द्राग्य रेखा पर त्रिशूल का चिह्न व्यक्ति की द्राग्यान्ेनति तथा काम-धधंे में सहायक हातो है एवं उसके द्राग्य की शत्रअुों से रक्षा कर के शत्रअुां ेको परशोन द्री रखता है। जीवन रखाो ऊर्ध्व मगंल पर्वत से शुरू हो कर, मणिबंध को छूती हुई, शुक्र पर्वत को घरे ती हुई, कलाई तक जाती है। जीवन रखाो से मुखयतः मनुष्य की आयु आरै जीवन की समस्याओ के बारे में जानकारी मिलती है यदि यह रखाो किसी स्थान पर टटूी हुई हो तो उस आयु समय में व्यक्ति पर विशषे सकंट आता है, जैसे मृत्यु अथवा मृत्यु समान कष्ट। परंतु यदि टूटी हुई रेखा के सामने द्राग्य या मंगल रेखा शुक्र पर्वत पर द्राग्य रेखा के समानांतर चल रही हो, तो व्यक्ति की मृत्यु नहीं हातेी है लेकिन उस पर मृत्यु समान कष्ट अवश्य आता है।
अशुभ समय में व्यक्ति को उपाय, जैसे तुला दान(अनाज) औषधि दान, महामत्ृयजुं य मत्रं का जप आरै अनष्ुठान आदि उपाय करने चाहिएं। अष्टमेश एवं मारक ग्रहों की दशा-अंतर्दशा में ग्रह शांति द्री अवश्य करवानी चाहिए, ताकि व्यक्ति अकाल मृत्यु से मुक्त हो कर पूर्णायु को प्राप्त कर सके। निर्दोष विवाह रेखा जीवन में सुखी विवाहित जीवन प्रदान करती है। विवाह रेखा पर द्वीप अथवा क्रॉस का चिह्न विवाहित सुख को दुख में परिवर्तित कर देता है। यदि दोनों हाथों में दो विवाह रेखाएं समांतर चल रही हों, तो जीवन में दो विपरीत लिंगी, अर्थात यदि पुरुष के हाथ में ये रेखाएं हों, तो उसके जीवन में पत्नी के अलावा द्री दूसरी स्त्री होती है और यदि स्त्री के हाथ मं े ये रेखाए ं हां,े तो पति के अतिरिक्त द्री उसका दूसरा पुरुष मित्र अवश्य होता है।