¬हस्तरेखा में सूर्य पर्वत डॉ. अशोक शर्मा, हथलेी में जो स्थान सबसे अधिक बली होता है वह ग्रह सर्वाधिक बली माना जाता है। अलग-अलग ग्रह के स्वतंत्र प्रभाव तो है ही एक से अधिक ग्रह के पर्वत यदि अच्छा उभार लिए हुए है तो संयुक्त प्रभाव भी पृथक रूप से फलकारी होते हैं। अनामिका अंगुली के मूल में सूर्य का स्थान होता है। सूर्य का उभार जितना अधिक होगा, प्रभाव भी उतना ही अधिक प्राप्त होता है। सूर्य पर्वत का उभार अच्छा हो तथा स्पष्ट और सरल सूर्य रखाो हो तो व्यक्ति श्रष्ेठ पशासक, सवो या पुलिसकर्मी, सफल उद्यागे पति हातो है।
पर्वत अधिक उभार वाला हो तथा रेखा कटी या टूटी हुई हो तो व्यक्ति घमंडी, अभिमानी, स्वार्थी, क्रूर, कंजूस तथा अविवेकी होता है। यदि हथेली में सूर्य पर्वत शनि की ओर झुका या संयुक्त होता है तो व्यक्ति न्यायाधीश, पंच या सफल अधिवक्ता होता है। दूषित पर्वत की स्थिति में अपराधी, कुखयात अपराधी या बदनाम व्यक्तित्व वाला होता है। सूर्य पर्वत तथा बुध पर्वत के संयुक्त उभार की स्थिति में योग्यता, चतुराई तथा निर्णय शक्ति अधिक होती है। श्रेष्ठवक्ता सफल व्यापारी या उच्च स्थानों का प्रबंधक होता है। ऐसे व्यक्तियों की धन पा्रप्ति की महत्वाकाक्षां असीमित होती है। दूषित उभार या अव्यवस्थित रेखाएं धनाभाव की स्थिति बनाती है तथा व्यक्ति जीवन के उत्तरार्ध में अवसाद से पीड़ित हो सकता है। हथेली में सूर्य पर्वत के साथ यदि बृहस्पति का पर्व उन्नत है तो व्यक्ति विद्वान, ज्ञानवान, मेधावी और धार्मिक विचारों वाला होता है और यदि सूर्य तथा शुक्र पर्वत उभार वाले है तो विपरीत लिंग के प्रति शीघ्र व स्थायी प्रभाव डालने वाला, धनवान, परोपकारी, सफल प्रशासक, सौंदर्य और विलासिताप्रिय होता है तथा दूषित पर्वत से कामी, लाभेी, लम्पट तथा घमडंी आरै दश्ुचरित्र वाला हो जाता है। सूर्य पर्वत पर जाली हो तो गर्व करने वाला किंतु कुटिल स्वभाव वाला होता है तथा किसी पर भी विश्वास न करने वाला होता है।
तारा का चिन्ह हो तो धनहानि कारक किंतु प्रसिद्धि, अप्रत्याशित रूप से प्राप्त होती है। गुणा का चिन्ह हो तो सट्टा या शयेर में धन का नाश हो सकता है। सूर्य पर्वत पर त्रिभुज हो तो उच्च पद की प्राप्ति, प्रतिष्ठा तथा प्रशासनिक लाभ होते हैं। सूर्य पर्वत पर बिंदु या वृत्त हो तो निश्चित रूप से सूर्योदय के पहले या बाद का जन्म समय तथा आंखों में विशेष परेशानी होती है। सूर्य पर्वत पर चौकड़ी हो तो सर्वत्र लाभ तथा सफलता की प्राप्ति होती है। त्रिशूलाकार चिन्ह यश, आनंद, विलासिता व सफलता प्रदान करता है।