आज के युग में प्रत्येक आदमी धनी बनना चाहता है। लेकिन ईश्वर की लीला भी अपरंपार है। उसने जिस तरह हाथ की उंगलियों को बराबर नहीं बनाया उसी तरह हर आदमी को भी धनी नहीं बनाया। किंतु उस भाग्य विधाता ने कुछ ऐसे रहस्य हाथ की रेखाओं में डाल दिए हैं, जिनका अध्ययन कर और उनमें व्याप्त त्रुटियों को दूर करने के उपाय कर व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकता है।
वास्तव में हाथ की रेखाएं ही आदमी के निर्धन या धनी होने की पुष्टि करती हैं। यदि कोई भ्रष्टाचार द्वारा धन की प्राप्ति करना चाहता है तो उसके हाथों की रेखाओं का अध्ययन करके यह बात पता लगाई जा सकती है कि ऐसी कमाई उसे फलेगी या नहीं।
यहां दोषपूर्ण रेखाओं के कुप्रभावों से बचाव के विभिन्न उपायों का विवरण प्रस्तुत है।
यदि जीवन रेखा सीधी हो, भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा पर रुकी हो, तो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती, किसी तरह गुजर बसर ही हो पाती है। इस स्थिति में सुधार लाने के लिए व्यक्ति को शनि का पूजन, लक्ष्मी के मंत्र का जप और सूर्य तथा शनि से संबंधित पदार्थ दान करना चाहिए।
कई बार देखने में आता है कि दो-दो भाग्य रेखाएं होने पर भी व्यक्ति को वांछित फल नहीं मिल पाता है। ऐसा अन्य रेखाओं में दोष होने के कारण होता है। रेखाओं के दोषों के शमन के विधिवत उपाय होने पर व्यक्ति दोहरी भाग्य रेखा का लाभ प्राप्त कर सकता है।
भाग्य रेखा के धुंधले होना या मिटे होने, तथा शनि, बुध और गुरु के दबे होने से व्यक्ति का जीवन अत्यंत संघर्षमय होता है। इस दोष से मुक्ति के लिए नवग्रह पूजन, बगुलामुखी पूजन व लक्ष्मी पूजन करवाना चाहिए।
जीवन रेखा को यदि मोटी रेखाएं काटती हों और उसका अंत हृदय रेखा या मस्तिष्क रेखा पर हो, गुरु की उंगली छोटी हो और अंगूठा आगे की तरफ खुला हुआ हो तो पास आता हुआ धन भी वापस लौट जाता है। इस दोष के निवारण के लिए राहु पूजन और पितृ दोष की शांति अवश्य करवानी चाहिए।
भाग्य रेखा आदि से अंत तक मोटी व जीवन रेखा के पास हो, तो व्यक्ति को जीवन भर संघर्षमय करना पड़ता है और मेहनत का उल्टा परिणाम सामने आता है। इस दोष को दूर करने के लिए नवग्रह पूजन, यंत्र स्थापना, गृह शुद्धि आदि करनी आवश्यक है। भाग्य रेखा यदि हृदय रेखा पर रुके, हाथ सख्त व उंगलियां मोटी हों, शनि और बुध ग्रह बैठे हों, व्यापार रेखा टूटी फूटी हों तो भी व्यक्ति चाहे जितनी मेहनत कर ले हर तरफ से निराशा ही हाथ लगती है। अपने व्यवसाय को खोलने के लिए व इस दोष से मुक्ति पाने के लिए सियार सिंगी यंत्र की स्थापना व जड़ी बूटियों द्वारा बनी भस्म को घर में छिड़काव से लाभ मिलता है। स्वर्ण भस्म का स्नान भी हितकर रहता है।
सभी उंगलियां मोटी, हाथ सख्त, हाथ का रंग काला, भाग्य रेखा में द्वीप, मस्तिष्क रेखा छोटी व लहरदार होने पर व्यक्ति एक कदम आगे बढ़ता है तो तकदीर उसे दो कदम पीछे कर देती है।
इस दोष का कारण नजर लगना, व पूर्व जन्मों के कर्म हैं। इससे मुक्ति के लिए ध्यान योग, गायत्री मंत्र साधना व बगुलामुखी का पाठ या हवन अवश्य करना चाहिए।
जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा का जोड़ लंबा, शनि व बुध पर्वतों पर अत्यधिक रेखाओं का जाल और मंगल पर्वत पर कट-फट होने से भी भाग्य दुर्बल होता है। इस दोष के शमन के लिए लक्ष्मी यंत्र और श्री यंत्र स्थापित करें। लक्ष्मी का मंत्र लिखकर उसे रोज 7 बार प्रवाहित करने से भी लाभ मिलता है।
जीवन रेखा दोषपूर्ण, हृदय रेखा जंजीराकार व हाथ सख्त होने पर भी भाग्य दुर्बल होता है। इस दोष से मुक्ति के लिए पितृ दोष की शांति और नवग्रह पूजन कराना चाहिए।
इस प्रकार हाथों में सैकड़ों दोष होते हैं। इनके शमन के उपाय कर भाग्य सबल किया जा सकता है। जरूरत है तो बस विश्वास, धैर्य और ईच्छा शक्ति की।