1. आयु रेखा: यह रेखा अंगूठे और उसके पास वाली ऊंगली के मध्य से आरंभ होकर कलाई की ओर जाती है। यदि यह रेखा सुंदर, गहरी, लंबी और किसी दूसरी रेखा से बिना कटी हो और कलाई तक पहुंची हो तो वह व्यक्ति दीर्घायु, निरोग, शक्तिशाली और स्वस्थ रहता है।
2. मस्तक रेखा यह रेखा मस्तिष्क रेखा के नाम से भी जानी जाती है। यह रेखा भी आयु रेखा के पास से निकलकर हाथ को प्रायः दो भागों में बांटती है तथा बाहर की ओर जाती है। यह रेखा जितनी स्पष्ट और सुंदर होगी, वह व्यक्ति उतना ही बुद्धिमान होगा। इसका टेढ़ा-मेढ़ा होना कल्पना लोक की ओर संकेत करता है। वह व्यक्ति बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाने वाला परंतु काम में असफल होता है। यही रेखा हाथ के बाहर तक चली जाये तो अशुभ होती है। बाहर निकलना मानसिक रोग, उन्माद का कारक भी होता है।
3. भाग्य रेखा: यह रेखा प्रायः सबके हाथों में होना आवश्यक नहीं। जिसके हाथ में बिना टूटी-फूटी और सुंदर भाग्य रेखा होगी वह सफल और भाग्यशाली व्यक्ति होगा। जिसके हाथ में यह रेखा न हो अथवा टूटी फूटी हो वह आजीवन दरिद्र रहेगा। उसका जीवन कष्टों में व्यतीत होगा। यह रेखा कई प्रकार की होती है जैसे कलाई से आरंभ होकर हथेली के बीचों बीच होकर बीच वाली ऊंगली तक पहुंचने वाली, आयु रेखा से आरंभ होने वाली और मध्य से भी आरंभ होने वाली। इसकी गणना सावधानी से करें।
4. सूर्य रेखा: इसे विद्या रेखा अथवा प्रभाव की रेखा भी कहा जाता है। इससे हाथ की दूसरी रेखाओं को सहायता मिलती है। यह चैथी ऊंगली के नीचे से प्रारंभ होकर नीचे कलाई की ओर जाती है। यह तिरछी भी हो सकती है। यह जितनी ही स्वच्छ, सुंदर और लंबी होगी व्यक्ति उतना ही प्रसिद्ध विद्वान और यशस्वी होगा।
5. हृदय रेखा: यह रेखा छोटी ऊंगली के नीचे से निकल कर अंगूठे के साथ वाली ऊंगली के नीचे तक पहुंचती है। जिस व्यक्ति/जातक के यह रेखा स्वच्छ, सुंदर होगी और न उसमें से रेखाएं इधर-उधर फूटती हों, न यह टूटी हो तो वह जातक साफ हृदय का, ईमानदार होगा। इसके विपरीत यदि रेखा विकृत, टूटी-फूटी शाखाओं वाली हो तो वह व्यक्ति वाचाल, कपटी तथा धोखेबाज हो सकता है तथा बिंदुओं से ग्रसित हो तो हृदय रोग से पीड़ित रहता है।
6. मंगल रेखा: यह भी आयु रेखा के नीचे से कलाई की ओर जाती है। यह रेखा पूर्ण, सुंदर हो तो समझना चाहिए कि व्यक्ति वीर, प्राणों पर खेल जाने वाला और हिम्मती होता है। यह फौज या प्रशासनिक सेवा का कारक भी है। जातक खून सवार होने जैसा क्रोधी भी हो सकता है।
7. आरोग्य रेखा- यह रेखा कलाई से निकलकर छोटी ऊंगली के नीचे तक बढ़ती है। इसका दूसरा नाम स्वास्थ्य रेखा भी है। पूर्ण आरोग्य रेखा स्वास्थ्य, शक्ति और दृढ़ता का चिह्न (प्रतीक) है। टूटी-फूटी हो तो स्वास्थ्य खराब रहता है तथा यदा-कदा कोई भी बीमारी हो सकती है।
8. विवाह रेखा: छोटी (कनिष्ठा) ऊंगली के नीचे किनारे पर जितनी साफ और बड़ी रेखायें होगी उतने ही उस जातक के विवाह समझने चाहिए। जितनी बारीक रेखायें हो उतनी ही स्त्रियों में प्रेम का प्रदर्शन बताती है। छोटी-छोटी, टूटी-फूटी रेखायें हो तो विवाह योग में बाधा तथा केवल अवैध योग का कारक बनता है।
9. संतान रेखा: हृदय रेखा और कलाई के मध्यम किनारे जितनी रेखाएं स्वच्छ, लंबी और सुंदर होंगी उतने ही पुरूष संतान, तिरछी टेढ़ी-मेढ़ी हांे तो उतनी ही कन्याएं होंगी। मध्यम और टूटी फूटी रेखाएं संतान होकर मरने का संकेत करती है। इन पर यव हो तो गर्भपात योग बनता है। यदि रेखाओं का अभाव हो तो बंध्या योग होता है।
10. भाई-बहन रेखाएं: अंगूठे के जड़ से कलाई तक किनारे पर दिखाई पड़ने वाली स्वच्छ रेखाएं भाई, बहनों का सूचक मानी गयी हैं। सुंदर और चमकदार रेखाओं से भाई, मध्यम और टेढ़ी रेखाओं से बहनों का ज्ञान होता है। अपूर्ण तिरछी रेखायें भाई बहनों की मारक होती है। विशेष: यदि हाथ में एक रेखा पूर्ण दिखाई पड़े या अष्टकोण, चतुष्कोण के चिह्न हों अथवा हंस के पांव, पुष्प, खड्ग, तिल, तारा, त्रिकोण, त्रिशूल, हाथी, घोड़ा, शक्ति, तोमर, सिंह, चंद्र, सूर्य, चक्र, अंकुश, कुंडल, पर्वत, मंदिर, मछली आदि के चिह्न हो तो वह जातक/व्यक्ति/महिला धनी, दाता और चिंता रहित जीवन बिताने वाला होगा। यदि दो रेखा पूर्ण हो अथवा झंडे का चिह्न हो तो जातक धनी और समझदार होगा। जिसके हाथ में तीन रेखा पूर्ण हो अथवा उखल का चिह्न हो तो वह जातक कष्ट सहने वाला और दरिद्र होगा।
यदि सर्प, बिच्छू, गिरगिट, छिपकिली आदि के चिह्न हो तो जीवन में अनेक संकट एवं कार्य विफलता का योग यदा-कदा बनता रहेगा। विभिन्न ऊंगलियों का स्वामी-गणना
1. तर्जनी - स्वामी बृहस्पति-नेतृत्व योग।
2. मध्यमा- स्वामी शनि-विवाह में विलंब
3. अनामिका- स्वामी सूर्य-साहित्य, विद्या, स्वास्थ्य शुभ योग।
4. कनिष्ठा- स्वामी बुध-शिल्पकारी, प्रतिभा प्रखरता, बहुमुखी योग। अंगूठा - हथेली का मुखिया, शुभ न्यायकर्ता, पहचान कर्ता एवं साक्षी भी माना गया है।
मानसिक स्वामी चंद्र एवं मंगल शुक्र का प्रभाव भी रहता है। पारिवारिक दृष्टि एवं सामाजिक समरसता का प्रतीक अंगूठा है।
1. जीवन रेखा
2. मस्तिष्क रेखा
3. हृदय रेखा
4. भाग्य रेखा
5. सूर्य रेखा
6. स्वास्थ्य रेखा
7. विवाह रेखा
8. आभास रेखा
9. मंगल रेखा
10. शुक्र वलय
11. मणिबंध रेखा
12. बृहस्पति वलय
13. शनि वलय
14. संतान रेखाएं
15. भाई बहन रेखाएं
16. यात्रा रेखा (पारिवारिक)
17. विदेश गमन रेखा (धार्मिक)
18. इच्छा शक्ति रेखा
19. क्षमता रेखा
20. संतुलन रेखा
21. मत्स्य रेखा-मस्त जीवन लक्षण बत्तीसी हथेली के कुछ प्रमुख लक्षण (आकृतियां) 32 प्रकार के माने गये हैं।
1. छत्र - राजा तुल्य सुख
2. कमल- धन वैभव योग
3. धनुष- शत्रु हंता योग
4. रथ - वाहन प्राप्ति योग
5. वज्र - वीर - शासक
6. कछुआ - समुन्द्रपारीय यात्रा
7. अंकुश- विजयी, धनी
8. वापी- परोपकारी
9. स्वास्तिक - विद्वान/संत
10. तोरण - भूमि भवन सुख
11. त्रिशूल - धार्मिक, धनी
12. शेर- प्रभावशाली
13. कल्पवृक्ष - दानी योग
14. चक्र- वैभवशाली
15. शंख - पुण्यात्मा
16. गज- संपत्ति, संपन्नता
17. वन - भूमिपति योग
18. कलश - धर्म-कर्म योग
19. प्रासाद - सुखदायक
20. मत्स्य - यात्रा, प्रेमी भी
21. यव - प्रतिष्ठा प्राप्ति
22. स्तंभ - यज्ञकत्र्ता
23. मठ- साधु सेवी- धार्मिक
24. कमण्डल- धर्म प्रचारक
25. नाग- ऊंची- ऊंची भावना
26. चंवर- वैभवशाली
27. लक्ष्मी -भूमि संपन्नता
28. दर्पण - उच्च पद आसीन
29. उक्षा - कृषक/गौ पालक
30. पताका- नाम रोशन कत्र्ता
31. फूलमाला - पुजारी, शुभ
32. मयूर-भोगी एवं प्रतिष्ठा प्राप्ति योग।
पता: वेदांग ज्योति, सारड़ा बाजार, मेड़ता सिटी जिला नागौर (राज.)