नाथों के नाथ पशुपतिनाथ
नाथों के नाथ पशुपतिनाथ

नाथों के नाथ पशुपतिनाथ  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 4650 | फ़रवरी 2006

भक्तों की पुकार सुन तुरंत वरदान देने के लिए दौड़ पड़ने वाले भक्तवत्सल शिव का नाम देश की सीमाओं के बाहर भी गुंजायमान होता है क्योंकि उनके भक्त असंख्य हैं। भांग धतूरे का सेवन करने, अंग में भस्म रमाने वाले शिव ने कभी किसी भौतिक ऐश्वर्य की चाह नहीं की लेकिन अपने भक्तों को सदा संपन्नता प्रदान की। घुमक्कड़ प्रवृत्ति के शिव जहां मन किया वहीं चल दिए, कालांतर में उनके भक्तों ने वहीं उनकी स्थापना कर दी। नेपाल स्थित पशुपतिनाथ जी का भव्य मंदिर भी शिव के प्रति उनके भक्तों के अप्रतिम लगाव का परिणाम है। यहां वर्ष भर भक्त जनों का मेला लगा रहता है। शिवरात्रि के अवसर पर यहां अद्भुत उत्सवी वातावरण उत्पन्न हो जाता है। लाखों की संख्या में लोग यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि चार धामों की यात्रा के बाद यदि पशुपतिनाथ के दर्शन न किए जाएं तो यात्रा अधूरी ही रहती है।

पशुपतिनाथ जी के मंदिर का बाहरी दृश्य भव्य छवि प्रदान करता है। मंदिर की छत सोने की एवं दरवाजे चांदी के बने हैं। मंदिर का शिल्प विन्यास पगोडा शैली में है। साथ में बहती बागमती नदी की अविरल धारा नैसर्गिक सौंदर्य के बीच बसे इस अनूठे धाम को अलौकिक लोक का सा रूप देती है। पशुपति का अर्थ है- समस्त जीवों का ईश्वर, जीव ‘पशु’ है और उसके ‘पति’ ईश महेश्वर हैं। पशुपतिनाथ की स्थापना के संबंध में कई प्रकार की कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार शिव कैलाश पर रहते-रहते जब बहुत थकान महसूस करने लगे तो इस स्थान के सौंदर्य से अभिभूत होकर अपनी दिव्य शक्ति से वे बिना किसी को बताए चुपचाप यहां चले आए। माता पार्वती को जब शिव के गायब होने की बात पता चली तो उन्होंने सभी देवताओं से मंत्रणा की। शिव को खोजने में सभी देवता लग गए। जब तक वे शिव को खोज पाते तब तक शिव नेपाल में पशुपति के नाम से प्रसिद्ध हो गए थे।

दूसरी कथा के अनुसार किसी कारणवश शिव ने जब एक सींग वाले पशु का रूप धारण कर लिया, तो सभी देवता उन्हें पकड़ने और सींग को तोड़ डालने के लिए यहां तक आए और आखिरकार उनका सींग तोड़ ही डाला। इसके बाद शिव ने लिंग का रूप धारण कर लिया। इसके कुछ समय बाद वह लिंग गायब हो गया, फिर वह एक ऐसे स्थान पर मिला जहां एक गाय अपने थनों से दूध गिरा रही थी। तीसरी कथा (गोपाल राज वंशावली) के अनुसार नेपा नामक ग्वाले की गाय बहुह्री रोज बागमती नदी के तट पर जाया करती थी। एक दिन उत्सुकतावश वह गाय का पीछा करता-करता उस स्थान पर पहुंचा। उसने वहां की मिट्टी को खोदना शुरू किया तो उसे वहां शिवलिंग मिला। इन कथा प्रसंगों में कितनी सत्यता है यह तो समय के गर्भ में बंद है। लेकिन पशुपतिनाथ की अलौकिक शक्ति पूरे विश्व में दिव्य मणि की तरह देदीप्यमान है।

भक्ति-भावना, प्रेम एवं आस्था से क्षण भर में प्रसन्न हो जाने वाले आशुतोष शिव यहां आने वाले सभी भक्तों की कामना पूरी करते हैं। पशुपतिनाथ महादेव लिंग रूप में नहीं, मानुषी विग्रह के रूप में विराजमान हैं। यह विग्रह कटिप्रदेश से ऊपर का भाग है। मूर्ति स्वर्णनिर्मित एवं पंचमुखी है जिसमें चार मुख साफ दिखाई देते हैं। इसके आस-पास चांदी का जंगला है जो सफाई ढंग से न होने के कारण कालिमायुक्त दिखाई देता है। यहां पर केवल पुजारी ही जा सकता है। दर्शनार्थियों को जाने की अनुमति नहीं होती। यहां तक कि नेपाल नरेश का प्रवेश भी यहां वर्जित है। यहां लगभग दो हजार वर्षों से निरंतर पूजा-अर्चना हो रही है। मुख्य मंदिर में केवल हिंदुओं को ही प्रवेश की अनुमति दी गई है। मंदिर प्राकृतिक छटा से घिरा हुआ है। चारों ओर पहाड़ियां, साथ में बागमती नदी। यह परिसर छोटे-बड़े मंदिरों, स्तूप, दूतावास आदि से घिरा हुआ है। काठमांडू से गुजरने वाले पर्यटक ऐसी सौंदर्यमयी स्थली की अनदेखी भला कैसे कर सकते हैं !

इस क्षेत्र में फोटो लेना वर्जित है। यहां के साधु शिव के अनुयायी हैं और शिव का अनुकरण करते हुए अंग में भस्म रमाए मृगछाला ओढ़े घूमते दिखाई देते हैं। यदि आप उनकी तस्वीर लेना चाहें तो हैरान न हों, वे आपसे इसके बदले में पैसे की मांग भी कर सकते हैं। फरवरी-मार्च में शिवरात्रि के अवसर पर यहां पूरे नेपाल और भारत से लोग सपरिवार आते हैं। सुबह 7 से 10 बजे और शाम को 6 से 8 बजे का समय आरती का होता है जो सबसे व्यस्त समय होता है। श्रद्धालु लोग बागमती नदी में स्नान कर शिव की पूजा अर्चना करते हैं। बागमती नदी क्षेत्र: बागमती नदी का माहात्म्य गंगा नदी की तरह ही है। यहां शिवरात्रि, मकर संक्रांति (14-15 जनवरी) बाल चतुर्दशी (नवंबर-दिसंबर) पूर्णिमा, एकादशी एवं अगस्त या सितंबर में आने वाली तीज के अवसर पर स्नानार्थियों का मेला लगा रहता है। यहां से कुछ ही दूरी पर बहुत बड़ा मैदान है जहां कई चिताओं को एक साथ जलते हुए देखा जा सकता है।

ऐसी मान्यता है कि यहां दाह-संस्कार होने से जीव बार-बार जन्म मृत्यु के फेर से मुक्त हो जाता है। बागमती नदी के पूर्वी किनारे से पशुपति नाथ मंदिर का दृश्य बेहद सुंदर दिखाई देता है। नदी के किनारे छोटी-छोटी पहाड़ियों पर यहां दर्जनों शिवलिंग दिखाई देते हैं। उत्तरी किनारे के आखिरी चबूतरे पर शिवलिंग स्थित है जिस पर छठी शताब्दी की खुदाई है। यहां से पशुपतिनाथ जी के मंदिर के ऊपर लगा सोने का त्रिशूल साफ दिखाई देता है। बागमती नदी के उस पार जाकर अंत्येष्टि मैदान को पार करने के बाद दक्षिण की ओर राम मंदिर व राम जानकी मंदिर अवस्थित हैं। इसके आगे लक्ष्मी नारायण (विष्णु) का मंदिर है जिसके प्रांगण में विष्णु के वाहन गरुड़ जी की प्रतिमा बनी हुई है। नदी के उस पार पहाड़ियों के ऊपर बहुत ही खूबसूरत जगह गोरखनाथ काम्पलेक्स है जहां पर बंदरों का साम्राज्य है। गोरखनाथ का मुख्य मंदिर शिखर टावर है। इस मंदिर के शीर्ष पर गोरखनाथ जी को इंगित करता हुआ त्रिशूल है।

इसके चारों ओर अन्य मंदिर, मूर्तिकला, शिव, नंदी एवं शिवलिंग बने हुए हैं। गोरखनाथ मंदिर के दक्षिण पूर्व में विश्वरूप मंदिर है जो भगवान विष्णु के सार्वभौमिक स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है। यहां पर शिव-पार्वती की बहुत बड़ी प्रतिमा बनी है। गोरखनाथ मंदिर से आगे चलते हुए नीचे पहाड़ी की ओर गुह्येश्वरी मंदिर है, जहां काली की पूजा की जाती है। कहा जाता है जब शिव माता पार्वती की मृत देह को लेकर यहां आए तो उनका गुह्य प्रदेश का भाग यहां गिरा। बागमती नदी के पश्चिमी तट पर किरातेश्वर महादेव का मंदिर है जहां पूर्णिमा के दिन नेपाली शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम का आयोजन होता है। कैसे जाएं/कहां ठहरें: काठमांडू वायु मार्ग से जुड़ा है। रेल से गोरखपुर तक जाया जा सकता है। वहां से सुनोली, फिर रिक्शे से सीमा पार कर नेपाल की स्थानीय बस पकड़नी पड़ती है। काठमांडू से पशुपतिनाथ का 45 मिनट का बस का रास्ता है। यहां से स्थानीय बसें, बैटरी से चलने वाले टेम्पो आदि आसानी से मिल जाते हैं। ठहरने के लिए पशुपतिनाथ के पास ही यात्री निवास, धर्मशालाएं, होटल आदि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.