1. कांग्रेस पार्टी: कांग्रेस का पुनः गठन स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा 02 जनवरी 1976 दोपहर 11 बजे दिल्ली में हुआ था। कांग्रेस की जन्मकुंडली में मंगल, शनि वक्री और चंद्रमा अस्त है। गुरु, शुक्र, शनि, मंगल बलवान एवं योगकारक है। जन्मकुंडली में ‘गज केसरी योग’ राशि परिवर्तन योग, राजयोग आदि योगों का सृजन हो रहा है। वर्तमान में जनवरी 2013 से राहु महादशा में शुक्र की अंतर्दशा चल रही है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मात्र 80 से 100 सीटों पर ही संतोष करना पड़ेगा। उसके अनेक दिग्गज नेता, उसके सहयोगी इस चुनाव में असफल रहेंगे। 2014 फरवरी-मार्च के बाद कांग्रेस के कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले उसके सहयोगी धीरे-धीरे उसका साथ छोड़ने लगेंगे।
2. भारतीय जनता पार्टी भारतीय जनता पार्टी का गठन 6 अप्रैल 1980 दोपहर 11-40 दिल्ली में हुआ था। भाजपा की कुंडली इस प्रकार है। भाजपा की कुंडली में गुरु, मंगल, शनि वक्री हैं और चंद्रमा नीच राशिगत हैं। मंगल, गुरु, शनि एवं शुक्र बलवान एवं योगकारक हैं। कुंडली में गजकेसरी योग, नीच भंग योग, धन योग आदि बलवान योगों की उत्पत्ति हो रही है। वर्तमान में भाजपा की सूर्य की महादशा अप्रैल 2012 से चल रही है। सूर्य में राहु की अंतर्दशा मई 2014 तक चलेगी। चुनाव में भाजपा को 180 से 210 सीटें प्राप्त हो सकती हैं। अपने सहयोगी के माध्यम से भाजपा केंद्र में सरकार बनाने में सफल रहेगी किंतु पूर्ण बहुमत उसे प्राप्त नहीं होगा।
3. समाजवादी पार्टी - समाजवादी पार्टी का जन्म 5 नवंबर 1992 शाम 6-00 बजे लखनऊ (उ. प्र.) में हुआ है। समाजवादी पार्टी की जन्मकुंडली में गुरु, शनि, बुध बलवान ग्रह हैं। दो नीच भंग योग आंशिक रूप से बन रहे हैं। 2014 के लोक सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी सरकार बनाने या बनवाने की स्थिति में नहीं आयेगी। 2014 के लोक सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को मात्र 15 से 20 सीटें ही उत्तर प्रदेश में प्राप्त हो पायेंगी।
4. सुश्री मायावती: पूर्व मुख्य मंत्री कुमारी मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 शाम 6-35 पर बदलपुर गांव, दिल्ली (अब नोएडा में) हुआ है। उनकी जन्मकुंडली इस प्रकार है। सुश्री मायावती की जन्मकुंडली में देखें राजनीति का कारक मंगल, शनि, गुरु और चंद्रमा बलवान एवं कारक है। 24 सितंबर 2013 से बुध की महादशा का आरंभ हुआ है। बुध में बुध की अंतर्दशा चल रही है। अतः मायावती की बहुजन समाज पार्टी कोई विशेष चमत्कार इस 2014 के लोकसभा चुनाव में नहीं दिखा पायेगी। 15 से 20 सीटें ब. स. पा. को उत्तर प्रदेश में प्राप्त होगी। दिल्ली की सरकार बनाने में किसी भी प्रकार का ब. स. पा. का सहयोग नहीं होगा।
विशेष: 2014 के लोकसभा चुनाव की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि इस चुनाव में राजनीति के बड़े-बड़े धुरंधर अथवा राजनीति के तीसमार खां मुंहकी खायंगेे। 2014 की लोकसभा का गठन खिचड़ी सरकार के रूप में होगा। इसके बाद 2019 में लोकसभा का गठन पूर्ण बहुमत से होगा।