दीपावली की वैज्ञानिकता व जीवनोपयोगी टोटक डाॅ. टीपू सुल्तान दीपावली का वैज्ञानिक पक्ष अंधकार और प्रकाश के संतुलन और उनकी सहवर्तिता का प्रतीक है और प्रत्येक अस्तित्व के गुण और दोषमय होने के सत्य का संपुष्ट प्रमाण है ऐसे संतुलन के पर्व का लाभ उल्लासमय व्यक्ति सक्रिय भागीदारी से ही उठा सकता है लेकिन ऐसी सक्रियता का स्वरूप क्या हो, यह जानना भी महत्त्वपूर्ण है।
आइये, जानंे ऐसे कुछ विधि-विधान के बारे में। कार्तिक अमावस्या की काली घनी रात जब अपनी यौवनावस्था के चरमोत्कर्ष पर होती है और सूर्य कन्या राशि से बाहर आकर अपनी नीचाभिलाषी तुला में प्रवेश कर चुका होता है तो उसके परिणाम स्वरूप पृथ्वी पर विशुद्ध, सूक्ष्म व सकारात्मक प्रकाश ऊर्जा का अभाव हो जाता है। तभी अंधकारमयी इस विडंबना की नकारात्मकता को दूर करने व पृथ्वी के कण-कण को प्रकाशमयी ऊर्जा से जीवंतता प्रदान करने हेतु दीपों से भरा प्रकाश पर्व दीपावली प्रभावकारिता की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाता है।
वस्तुतः प्रकाश व अंधकार का यह संतुलन और उसकी वैज्ञानिकता जहां जीवन, स्वच्छता व उस से जुड़ी ऊर्जा के समान अनुपातों का एक प्रकरण है, वहीं दूसरी ओर कुछ यौगिक साधनाओं व उनकी सिद्धि हेतु भी इस काल को अत्यन्त उपयुक्त माना गया है।
इस अवसर के अनुरूप कुछ जीवनोपयोगी तंत्र व टोटके इस प्रकार हैं। आर्थिक-समृद्धि दीपावली की रात्रि में सात गोमती चक्र की प्राण-प्रतिष्ठा करें तथा उसे अपनी तिजोरी या गल्ले में रख दें। धन-वृद्धि की निरंतरता बनी रहेगी। दीपावली के शुभ मुहूर्त से प्रारम्भ करके प्रत्येक अमावस्या को किसी अपंग या विकलांग भिखारी को भोजन कराएं। धन-समृद्धि में सर्वदा ’वृद्धि होती रहेगी।
सिंदूर, सात कौड़ी, कमल के फूल व श्री यंत्र को किसी चाँदी के पात्र में रख कर दीपावली की रात्रि में अपने धन स्थान पर प्रतिष्ठापित करें, आर्थिक उन्नति की निरंतरता सर्वदा बनी रहेगी। दीपावली के शुभ मुहूर्त में साबुत नारियल को चमकीले लाल रंग के कपड़े में लपेटकर अपने धन-स्थान पर प्रतिष्ठापित करें। आर्थिक समृद्धि सर्वदा बनी रहेगी। दीपावली के दिन गोधूलि काल में तुलसी के पौधे को जल अर्पित करने के पश्चात् उसके समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें तथा इस प्रक्रिया को सात शुक्रवार तक दोहराएं।
इस दौरान धूप, अगरबत्ती आदि का प्रयोग अवश्य करें, धन-समृद्धि की वृद्धि का क्रम सर्वदा चलता रहेगा। दीपावली के शुभ मुहूर्त में तीन पीली कौड़ी, तीन कमलगट्टे व एक साबुत सुपारी को लाल रंग के कपड़े में लपेट कर तिजोरी या धन-स्थान पर स्थापित करें तथा प्रत्येक शुक्रवार को इसे धूप व अगरबत्ती दिखाया करें। ख़ज़्ााना सर्वदा भरा रहेगा।
कर्ज से मुक्तिः- दीपावली की रात्रि में अशोक के वृक्ष के समक्ष गायं के घी का दीपक प्रज्वलित करें तथा इस प्रक्रिया को नित्य सात रात्रि तक दोहराते रहें। शीघ्र ही कर्ज से मुक्ति मिलने लगेगी। दीपावली की रात्रि एक मिट्टी के पात्र में चाँदी के सिक्के को रखकर घर या व्यावसायिक स्थल के उस गुप्त स्थान पर स्थापित करें जहँा सूर्य की रोशनी न पड़ती हो, अवश्य ही कज़र््ा से मुक्ति मिलने लगेगी। दीपावली के शुभ मुहूर्त में कौड़ी व हरसिंगार की जड़ को पीले कपड़े में लपेटकर ताबीज स्वरूप गले या अपनी दाहिनी भुजा में धारण करें। शीध्र ही कज़र््ा उतरने लगेगा। दीपावली की रात्रि को श्मशान के कुएं या चांपाकल से जल लाकर उस जल में चीनी मिश्रित करें तथा फिर उसे पीपल के वृक्ष पर अर्पित कर दें। दीपावली से प्रारम्भ करके इस प्रक्रिया को नित्य सात दिनों तक दोहराते रहें। शीध्र ही कज़र््ा उतरने लगेगा।
पारिवारिक-समृद्धिः- दीपावली की रात्रि में परिवार के सभी सदस्यों के सिर के ऊपर से काले तिल को सात बार उतार कर घर की पश्चिम दिशा की ओर फेंक दें। ऐसा करने से पारिवारिक सुख पर आने वाली कोई भी नकारात्मक बला शीध्र ही उतर जाती है। दीपावली की शाम पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल के दीपक को प्रज्वलित करें तथा इस प्रक्रिया को नियमित रूप से प्रत्येक शनिवार को दोहराते रहें। ऐसा करना पारिवारिक समृद्धि के लिए अत्यंत लाभप्रद होता है।
दीपावली की रात्रि किसी ग़रीब विवाहिता कन्या को अपनी पत्नी के हाथ से सुहाग-सामग्री व इत्र या सुगंधित वस्तु दान में दिलवाएं, घर में सर्वदा सुख-शान्ति बनी रहेगी। दीपावली की रात्रि किसी मिट्टी के पात्र में अंगार व जंगली कबूतर की बीट को रखकर उसकी धूनी घर के प्रत्येक कमरे को दिखाएं। पारिवारिक समृद्धि सर्वदा बनी रहेगी।
दीपावली की रात्रि घर के प्रत्येक कमरे में शंख व डमरू बजाएं, घर में व्याप्त कोई भी नकारात्मक ऊर्जा शीघ्र ही समाप्त हो जाएगी। दीपावली की रात्रि घर के प्रत्येक कमरे में समुंद्र के जल को छींटे तथा धूप अगरबत्ती आदि की धूनी दें। पारिवारिक संपन्नता बनी रहेगी। दीपावली की रात्रि सात अक़ीक़ पत्थर को सफेद पारदर्शक कपड़े में लपेटकर अपने घर के मुख्य द्वार पर लटका दें तथा प्रत्येक शुक्रवार को उसे धूप व अगरबत्ती दिखाते रहें। पारिवारिक समृद्धि व ऐश्वर्य में निरन्तर वृद्धि होती रहेगी।
शत्रु से सुरक्षाः- दीपावली की रात्रि एक मुट्ठी उड़द के दानों पर शत्रु के नाम का मनन करके उन्हंे किसी निर्जन स्थान पर दबा दें तथा उस के ऊपर नींबू निचोड़ दें। शत्रु का क्रोध समाप्त हो जाएगा। दीपावली की रात्रि एक मुट्ठी शक्कर व तिल मिश्रित करें तथा शत्रु के नाम का मनन कर के उसे किसी निर्जन स्थान पर दबा दें। शत्रु के हृदय में आप के प्रति करूणा उत्पन्न होने लगेगी। दीपावली की रात्रि एक साबुत नींबू के ऊपर शत्रु का नाम लिखकर किसी बहते दरिया में प्रवाहित कर दें। शत्रु के हृदय में मित्रता के भाव उत्पन्न होने लगेगें।
दीपावली के शुभ मुहूर्त में पीपल की जड़ को अभिमंत्रित करें तथा उसे चांदी के ताबीज़्ा में डाल कर गले में धारण करें। आपसी शत्रुता प्रेम में बदलने लगेगी।
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