दीपावली पूजन पोटली लक्ष्मी प्राप्ति के लिए विशेष प्रभावशाली ।। या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।। देवी महालक्ष्मी संपूर्ण, ऐश्वर्य, चल, अचल, संपत्ति, धन, यश, कीर्ति एवं सकल सुख वैभव को देने वाली साक्षात जगत् माता नारायणी हैं।
श्री गणेश जी समस्त विघ्नों के नाशक, अमंगलों के हरण कत्र्ता, सद्विद्या एवं बुद्धि के दाता हैं, कार्तिक अमावस्या अर्थात् दीपावली के दिन इनकी संयुक्त पूजा, अर्चना करने से कुटुंब परिवार में धन, सम्पत्ति का सुख चिरकाल तक बना रहता है।
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दीपावली के दिन यदि कोई भी व्यक्ति अपने घर में विधिपूर्वक लक्ष्मी-गण् ोश की मूर्ति एवं यंत्र की मंत्र से सम्यक प्राण प्रतिष्ठा करके पूजा करता है तो उसके जीवन में श्री महालक्ष्मी एवं गणेश जी की कृपा से कभी भी धन का अभाव नही ं हाते ा है।
इसी परिप्रक्ष्े य में इस वर्ष दीपावली के शुभ पूजन के लिए फ्यूचर पाॅइंट की ओर से लक्ष्मीदायक दीपावली पूजन पोटली तैयार की गई है जिसमें लक्ष्मी-गणेश जी की पारद की मूर्तियां, श्री महालक्ष्मी यंत्र, स्फटिक श्री यंत्र, कुबेर मूर्ति, लक्ष्मी जप के लिए कमलगट्टे की माला, एवं लघु नारियल, गोमती चक्र, कौड़ी, सिंदूर व सरल लक्ष्मी पूजन विधि की पुस्तिका भी शामिल है। पारद धातु में बने मूर्ति, यंत्र आदि विशेष शुभफलदायी माने जाते हैं।
लक्ष्मी-जप के लिए विशेषतया दीपावली के दिन कमलगट्टे की माला अथवा स्फटिक की माला पर जप करने से शीघ्र मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त दीपावली के दिन धनाध्यक्ष कुबेर मूर्ति पर उनका पूजन करने से धन-प्राप्ति के नवीन आयस्रोत बनते हैं।
लक्ष्मी पूजन पुस्तिका के अनुसार आप स्वयं भी अपने घर में दीपावली के दिन पूजन कर सकते हैं। अगर आप स्वयं करने में असमर्थ हों तो आप किसी सुयोग्य ब्राह्मण से भी करवा सकते हैं।
पारद लक्ष्मी गणेश: दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त में इन दोनों की युगल पूजा करने से संपूर्ण विघ्न-बाधाओं का निराकरण होता है। व्यापार एवं नौकरी में अच्छी तरक्की होती है। घर-परिवार में सुख, समृद्धि एवं मंगल होता है। दीपावली के मुहूर्त में गोमती चक्र को शुद्ध गंगाजल, पंचामृत से शुद्ध करके गंध, अक्षत से पूजन करके पूजा स्थल पर स्थापित करें, इसके प्रभाव से धन का त्वरित आगमन तथा बरकत बनी रहती है।
कौड़ियों को शुद्ध गंगाजल से पवित्र करके पूजा घर में स्थापित करें, कौड़ियों का पूजन स्थापन अत्यंत शुभ माना जाता है। सिंदूर लक्ष्मी जी ।। या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।। मंत्र: ¬ गं गणपतये नमः गोमती चक्र, कौड़ी एवं सिंदूर: को अति प्रिय है इसे भक्ति भाव से देवी लक्ष्मी जी को अर्पित करें।
महालक्ष्मी यंत्र: महालक्ष्मी यंत्र की विधिवत पूजा करने से भगवती लक्ष्मी की कृपा से अप्राप्त लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, तथा प्राप्त लक्ष्मी का चिरकाल तक संरक्षण बना रहता है। लक्ष्मी की स्थिरता के लिए इस यंत्र की पूजा की जाती है। लक्ष्मी जी का लघु बीज मंत्र ¬ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।
कमल गट्टे की माला: यह माला लक्ष्मी के सर्वाधिक प्रिय कमल पुष्प के बीजों से बनायी जाती हैं। लक्ष्मी को कमल प्रिय होने से उनका नाम पद्मा, कमला, पद्महस्ता आदि पड़ा, इस माला पर लक्ष्मी मंत्र का जप करने से साधक को शीघ्र मनोवांछित सफलता प्राप्त होती है।
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स्फटिक श्री यंत्र: यंत्र राज श्री यंत्र की जितनी प्रसंशा की जाए उतनी ही कम है। तथा यदि वह स्फटिक पर बना हो तो उसकी महिमा में और चार चांद लग जाते हैं। श्री यंत्र के दर्शन मात्र से ही मनुष्य धन्य हो जाता है। वृहद्मंत्र - ¬ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ¬ महालक्ष्म्यै नमः ।।
लघु नारियल: लघु नारियल को दीपावली के शुभ पूजन के अवसर पर भक्ति भाव से मौली बांधकर गंध, अक्षत से पूजन करे लक्ष्मीजी को चढ़ाएं, इसके प्रभाव से लक्ष्मीजी शीघ्र प्रसन्न होती हैं। धन-धान्य के द्वार खोलती हैं। इस यंत्र की पूजा, साधना करने से साधक की समस्त मनोकामनाएं इसी जन्म में पूर्ण हो जाती हैं। धन के साथ ही यश कीर्ति भी बढ़ती है।
वैभव चैकी: यह चैकी पारद धातु से निर्मित है, इसके ऊपरी भाग पर अष्ट लक्ष्मियों के चित्र अंकित हैं तथा आसन पर यंत्र राज श्रीयंत्र बना है। जिससे इस चैकी का और अधिक महत्व बढ़ जाता है। इस चैकी पर यंत्र, मूर्ति आदि की स्थापना से वह हमेशा जागृत रहते हैं, जिससे साधक को अधिक शुभत्व की प्राप्ति होती है।
इस लक्ष्मी पूजन पोटली में संपूर्ण सामग्री द्वारा अपने घर में अथवा कार्यालय, फैक्ट्री, आदि व्यवसाय स्थल पर दीपावली के दिन पूजन करवा सकते हैं। इसके प्रभाव से घर, परिवार में सुख, संपत्ति एवं विशेष रूप से सुख बना रहता है। धन की बरकत होती है। रुका हुआ धन प्राप्त होता है।
नौकरी/व्यवसाय में शीघ्र उन्नति होती है तथा जीवन में सुख आंनद की सतत् प्राप्ति बनी रहती है। पूजा में लक्ष्मी मंत्रों की कम से कम 1 माला अथवा 3, 5, 7, 11 21, अपनी शक्ति व सामथ्र्य के अनुसार संख्या में जप कर सकते हैं तथा श्री सूक्त एवं लक्ष्मी सूक्त का पाठ करें।
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