दीपावली पर किये जाने वाले विशेष उपाय व् मंत्र
दीपावली पर किये जाने वाले विशेष उपाय व् मंत्र

दीपावली पर किये जाने वाले विशेष उपाय व् मंत्र  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 10639 | अकतूबर 2011

दीपावली पर किये जाने वाले विशेष उपाय व मंत्र दाती राजेशवर महाराज प्रत्येक पर्व और उत्सव प्रत्येक भागीदार की सक्रियता की अपेक्षा करता है। दीवाली के अवसर के लिए ऐसी ही सक्रियता की रूपरेखा का निर्धारण किया गया है इस लेख में। सामान्य रूप से जितनी भी तांत्रिक क्रियायें और अनुष्ठान किए जाते हैं, उन्हें किसी विशेष दिन, तिथि तथा योग नक्षत्रों को आधार मानकर किया जाता है।

हमारे यहां जितने भी त्यौहार या पर्व मनाए जाते हैं, वे सब प्रकार से सिद्ध योग, नक्षत्रों को मानकर ही निर्धारित किए गए हैं तथा किसी भी प्रकार की साधना व कार्य प्रारंभ करने के लिए इनको बिना किसी विचार के स्वयं-सिद्ध माना जाता है। भारत में होली, दीपावली तथा नागपंचमी प्रमुख रूप से तीन पर्व यौगिक क्रियाओं व तांत्रिक साधनाओं के प्रमुख आधार माने गए हैं।

इसमें दीपावली (कार्तिक अमावस्या की रात्रि) सबसे अधिक प्रभावशाली मानी गई है। इस रात्रि में प्रत्येक साधक एवं तांत्रिक अपनी क्रियाओं की पुनरावृत्ति करके, उन्हें चैतन्य करता है। भूत प्रेत उतारने का मंत्र व टोटका ओक बनू सुंदर कहां से आया गिरि मेरू पर्वत से आया, अंजनी का सुत हनुमान लाया प्रेत पिशाच ब्रह्मराक्षस कांसा मांदाय कल्ली, कल्ली स्वाहा।।

विधि: दीपावली की रात्रि में 1008 बार जपकर सिद्ध कर लें, हनुमान जी की पूजा करके भोग लगाएं, तथा अगले दिन लड्डू का प्रसाद बांटे। फिर जब किसी रोगी पर इस्तेमाल करना हो तो 21 बार मंत्र पढ़कर पानी में फूंक मारें व रोगी को पिला दें, तो ऊपरी हवा के प्रकोप से आराम मिलेगा।

लक्ष्मी प्राप्ति का मंत्र : ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी ममग्रहे आगच्छ आगच्छ ह्रीं नमः। इस मंत्र को दीपावली की रात्रि में कुंकुम या अष्टगंध से थाली पर लिखें, बहीखाते में लिखें तथा उसी रात्रि को 12000 मंत्र का जाप करें, तो उस वर्ष में जातक को बहुत धन दौलत व ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है।

धन धान्य व यशवर्द्धक मंत्र: मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहिं। पशूनां रूपमंत्रस्य मयि श्री श्रयतां यशः।। दीपावली की रात्रि में 11000 मंत्र जप कर सिद्ध कर लें, फिर नित्य एक माला का जाप करने से जातक के धन-धान्य व यश में वृद्धि होती है।

लक्ष्मी प्राप्ति का घण्टाकर्ण मंत्र: ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं ठं ऊँ घण्टाकर्ण महावीर लक्ष्मी पूरय पूरय सुख सौभाग्य कुरू कुरू स्वाहा। धन तेरस को 40 माला, रूप चतुर्दशी को 42 माला तथा दीपावली के दिन 43 माला, उत्तर दिशा की तरफ बैठकर जपें, सामने घण्टाकर्ण यंत्र रखें, लाल आसन, व मूंगे की माला से जपे। शीघ्र ही लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

हंडिया व मूठ काटने का संजीवन मंत्र : ऊँ नमो संजीवन, जीवन चठण, जिन गुरु आपी, तिण चरी चरी’’। दीपावली की रात्रि में 10,000 बार जप कर मंत्र सिद्ध कर ले, फिर एक माला पढ़कर पानी में फूंक मारकर पिलाने से मरता हुआ व्यक्ति भी बोलने लग जाएगा। (इस प्रयोग को करने से पहले किसी योग्य गुरु का परामर्श जरूर लें)

व्यापार वृद्धि का अमोध मंत्र: श्री शुक्ले महाशुक्ले, कमलदल निवासे श्री महालक्ष्म्यै नमो नमः। लक्ष्मी भाई, सत्य की सवाई, आवो माई करो भलाई, न करो तो सात समुद्र की दुहाई, ऋद्धि सिद्धि खावोगी तो नौ नाथ चैरासी की दुहाई। दीपावली की रात्रि में एकांत स्थान में स्नान कर शुद्ध आसन पर बैठकर 10,000 मंत्र जपें। फिर रोज दुकान या फैक्ट्री में सुबह शाम 21-21 बार जपें, तो निश्चित रूप से व्यापार बढ़ेगा व रोजी खुलेगी।

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