स्तन कैंसर
स्तन कैंसर

स्तन कैंसर  

अविनाश सिंह
व्यूस : 3210 | फ़रवरी 2017

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: मानव शरीर अनगिनत कोशिकाओं से बना हुआ है, जिनका कर्म भिन्न-भिन्न है। इन कोशिकाओं का बनना-बिगड़ना प्राकृतिक रूप से होता रहता है। लेकिन कभी-कभी एक कोशिका अपना निर्धारित कार्य करने के लिए अतिरिक्त आहार में से अधिक पोषक तत्व ग्रहण कर लेती है और अपने जैसी अन्य कोशिकाएं उत्पन्न कर देती है। ये विकृत कोशिकाएं नष्ट नहीं होतीं और गांठ का रूप धारण कर लेती हैं

जिसे कैंसर कहते हैं। कैंसर की गांठों को अपने विकास के लिए आॅक्सीजन तथा सभी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। यह शरीर में रक्त के माध्यम से पूरी होती है। यदि किसी कारण से पोषक तत्व रक्त द्वारा न मिले, तो गांठ काली पड़ जाती है और धीरे-धीरे सिकुड़ कर नष्ट हो जाती है। शरीर के जिस अंग में कैंसर की गांठ होती है उसे वैसे ही नाम से जाना जाता है। जैसे रक्त कैंसर, त्वचा कैंसर, मुख कैंसर, गुर्दा कैंसर, अमाशय कैंसर आदि। ऐसे ही स्तन कैंसर है। यह पुरूषों में भी हो सकता है लेकिन हजारों में एक। स्तन कैंसर के लक्षण: स्तन कैंसर अधिकतर 30 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को होता है। जो महिलाएं अविवाहित, तलाकशुदा या विधवा होती है उनमें स्तन कैंसर अधिक पाया जाता है।


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इसके अतिरिक्त स्तन कैंसर उन महिलाओं में पाया जाता है जिन्होंने गर्भ धारण नहीं किया या किसी कारण से अपने बच्चे को स्तनपान न करा पाई हो। स्तन पर बार-बार आघात होना, सूजन की अवस्था बनी रहना, तंग वस्त्रों का उपयोग करना आदि भी स्तन कैंसर की संभावनाओं को बढ़ाते हैं। इसलिए किसी भी असामान्य बदलाव जैसे स्तनों में दर्द, सूजन, खिंचाव आदि पर ध्यान देकर उसकी पूरी जांच पड़ताल करवानी चाहिए, ताकि समय पर उचित उपचार किया जा सके।

महिलाओं को निम्न बातांे का ध्यान रखना चाहिए:

- स्तनों में गांठ का महसूस होना साथ ही बगल में भी प्रभाव दिखाई देना।

- गांठ बढ़ने से हल्की वेदना और कड़ी सूजन मालूम होना।

- सूजन के स्थान पर घाव हो जाना और बाद में रक्त स्राव होना।

- गांठ का स्तन के ऊपरी और बाहरी भाग पर होना।

स्तन चूचुक से स्राव होना। कभी-कभी इस स्राव में रक्त भी मिल जाता है। गांठ स्पर्श करने पर कठोर महसूस होना आदि चिकित्सा: शल्य चिकित्सा: कैंसर ग्रस्त भाग को समय पर काट कर बचाया जा सकता है। यदि स्तन कैंसर बढ़ चुका हो तो पूरा स्तन काट कर निकाल दिया जाता है।

कीमोथेरेपी: रसायनों की सहायता से कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। इससे कैंसर की गांठ सिकुड़ने लगती है और धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है।

विकिरण चिकित्सा: सक्रिय रेडियो किरणों की सहायता से कैंसरग्रस्त भाग की कोशिकाओं को नष्ट कर दिया जाता है जिससे कैंसर की गांठ धीरे-धीरे छोटी होकर नष्ट हो जाती है।

हार्मोन थेरेपी: हार्मोन की उचित खुराक देकर कैंसर की गांठ को नष्ट किया जाता है। हार्मोन थेरेपी के माध्यम से स्तन कैंसर का उपचार बहुत आसान होता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण: चतुर्थ भाव काल पुरूष की कुंडली में स्तनों का होता है। कैंसर रोग धीरे-धीरे शरीर में फैलता है और शनि-राहु पुरानी बीमारी और धीरे-धीरे फैलने वाले रोगों के कारक होते हैं। सूर्य, चंद्र, लग्न, लग्नेश, कर्क राशि, चतुर्थ भाव और चतुर्थेश जब दूषित प्रभावों में रहते हैं तो स्तन कैंसर जैसा रोग होता है।


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विभिन्न लग्नों में स्तन कैंसर:

मेष लग्न: अकारक बुध चतुर्थ भाव में, शनि दशम, सप्तम, द्वितीय या चतुर्थ भाव में, चंद्र, सूर्य पर शनि या राहु की दृष्टि हो, लग्नेश त्रिक भावों में दुष्प्रभावों में हो तो जातिका को स्तन कैंसर हो सकता है।

वृष लग्न: चतुर्थेश अष्टम भाव में गुरु से दृष्ट या युक्त हो, चंद्र चतुर्थ भाव में शनि से दृष्ट या युक्त हो, लग्नेश षष्ठ भाव में राहु से युक्त हो तो स्तन कैंसर हो सकता है।

मिथुन लग्न: चतुर्थेश अकारक मंगल से युक्त या दृष्ट हो। चतुर्थ भाव और चंद्र बाधक गुरु से दृष्ट या युक्त हो, चतुर्थ भाव और चंद्र बाधक गुरु से दृष्ट या युक्त हो, चतुर्थ भाव में शनि, राहु या केतु की दृष्टि हो तो जातिका को स्तन कैंसर हो सकता है।

कर्क लग्न: चतुर्थेश शुक्र सूर्य से अस्त और लग्नेश चतुर्थ भाव में राहु से युक्त हो और शनि से दृष्ट हो, बुध लग्न में हो तो जातिका को स्तन कैंसर हो सकता है।

सिंह लग्न: लग्नेश राहु-केतु से युक्त या दृष्ट होकर लग्न या चतुर्थ भाव में हो, चंद्र पर शनि की दृष्टि हो, चतुर्थेश और अष्टमेश त्रिक भावों में हो तो स्तन कैंसर जैसा रोग होता है।

कन्या लग्न: चतुर्थेश अस्त हो और शनि से दृष्ट हो, शनि चतुर्थ भाव में हो, चंद्र पर शनि की दृष्टि हो, चतुर्थेश और अष्टमेश त्रिक भावों में हो तो स्तन कैंसर जैसा रोग होता है।

कन्या लग्न: चतुर्थेश अस्त हो और शनि से दृष्ट हो, शनि चतुर्थ भाव में चंद्र से युक्त या दृष्ट हो, गुरु की चतुर्थ भाव पर दृष्टि हो और राहु या केतु से युक्त या दृष्ट हो, तो स्तन कैंसर होता है।

तुला लग्न: गुरु चतुर्थ भाव में चंद्र से युक्त और शनि से दृष्ट हो, लग्नेश केतु से युक्त अष्टम या द्वादश भाव में हो, सूर्य दशम भाव में हो तो स्तन कैंसर हो सकता है।

वृश्चिक: लग्नेश तृतीय भाव में सूर्य से अस्त हो, बुध चतुर्थ भाव में चंद्र से युक्त और शनि से दृष्ट हो, राहु त्रिक भावों में हो तो स्तन कैंसर होता है।

धनु लग्न: चतुर्थ भाव में शुक्र, चंद्र से युक्त हो, शनि से दृष्ट हो, चतुर्थेश षष्ठ भाव में हो और राहु-केतु से दृष्ट या युक्त हो तो स्तन कैंसर होता है।

मकर लग्न: चतुर्थेश लग्न में हो, गुरु चंद्र चतुर्थ भाव में शनि से दृष्ट हो, गुरु सूर्य अष्टम भाव में बुध से युक्त हो और बुध अस्त न हो, केतु से युक्त हो तो स्तन कैंसर होता है।

कुंभ लग्न: षष्ठेश चतुर्थ भाव में शनि से दृष्ट और मंगल से युक्त हो, राहु या केतु लग्नेश से युक्त हो, गुरु अष्टम भाव या द्वादश भाव में चंद्र के नक्षत्र में हो तो स्तन कैंसर हो सकता है।

मीन लग्न: सूर्य चतुर्थ भाव में और बुध तृतीय भाव में अस्त हो, चंद्र केंद्र में हो, शनि चतुर्थ भाव और चंद्र पर दृष्टि दे, गुरु राहु-केतु से युक्त या दृष्ट होकर अष्टम या द्वादश भाव में हो तो स्तन कैंसर हो सकता है।

नोट: उपर्युक्त सभी योग रोग संबंधित ग्रहों की दशांतर्दशा और गोचर के प्रतिकूल होने से होता है। जब तक ग्रह प्रभावित रहते हैं, रोग देते हैं उपरांत रोग से राहत मिल जाती है।


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