बगलामुखी देवी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इनकी उपासना से शत्रु का नाश होता है, शत्रु की जिह्वा, वाणी व वचनों का स्तम्भन करने हेतु बगलामुखी यंत्र से बढ़कर कोई यंत्र नहीं है। इस यंत्र के मध्य बिंदु पर बगलामुखी देवी का आह्वान व ध्यान करना पड़ता है, इसे पीतांबरी विद्या भी कहते हैं, क्योंकि इसकी उपासना में पीले वस्त्र, पीले पुष्प, पीली हल्दी की माला एवं केशर की खीर का भोग लगता है। इस यंत्र के विशेष प्रयोग से प्रेतबाधा व यक्षिणीबाधा का नाश होता है। बगलामुखी का यंत्र बुरी शक्तियों से बचाव में अचूक है। बगलामुखी यंत्र शत्रुओं पर लगातार विजय श्री दिलाता है। यह यंत्र अकाल मृत्यु, दुर्घटना, दंगा फसाद, आॅपरेशन आदि से भी बचाव करता है। इसे गले में पहनने के साथ-साथ पूजा घर में भी रख सकते हैं। इस यंत्र की पूजा पीले दाने, पीले वस्त्र, पीले आसन पर बैठकर निम्न मंत्र को प्रतिदिन जप करते हुए करनी चाहिए। !!!
ऊँ हल्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय हल्लीं ऊँ स्वाहा !!!
अपनी सफलता के लिए कोई भी व्यक्ति इस यंत्र का उपयोग कर सकता है। इसका वास्तविक रूप में प्रयोग किया गया है। इसे अच्छी तरह से अनेक लोगों पर उपयोग करके देखा गया है। इस यंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा करने के बाद इसे अपने पूजा के स्थान पर या अपने गृह मंदिर में लकड़ी के बने चैक, जिस पर पीला आसन लगाया गया हो उसपर स्थापित कर दें। स्नान करने के बाद पूजा करें। अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए अपने दाहिने हाथ में जल लेकर मां बगलामुखी मंत्र का जप करें और यंत्र पर छिड़क दें। आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी। बगलामुखी महामंत्रम् बगलामुखी की पूजा पीतांबरा विद्या के रूप में प्रसिद्ध है। इनकी पूजा से शत्रुओं से रक्षा तथा उन्हें परास्त करने, कोर्ट केस में विजय दिलाने, धनार्जन, ऋण से मुक्ति तथा वाक्-चातुर्य की शक्ति की प्राप्ति होती है। यह पीठासीन देवी हैं जो अपनी दिव्य शक्तियों से असुरों का विनाश करती हैं। इनका निवास अमृत के सागर के मध्य है, जहां इनके निवास स्थान को हीरों से सजाया गया है तथा इनका सिंहासन, गहनों से जड़ित है। इनकी आकृति से स्वर्ण आभा आती है। ये पीले परिधान, स्वर्ण आभूषण तथा पीला माला धारण करती हैं।
इनके बाएं हाथ में शत्रु की जीभ और दाहिने हाथ में गदा है। इनकी उत्पत्ति के बारे में एक कहानी का वर्णन किया गया है। सतयुग में एक बार पूरी सृष्टि भयानक चक्रवात में फंसी थी, तब भगवान विष्णु संपूर्ण मानव जगत के सुरक्षा हेतु सौराष्ट्र में स्थित हरिद्रा सरोवर के पास देवी भगवती को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करने लगे। श्रीविद्या उनके सम्मुख हरिद्रा सरोवर के जल से स्वर्ण आभा लिए प्रकट हुईं। उन्होंने सृष्टि विनाशक तूफान को नियंत्रित किया तथा सृष्टि को बर्बाद होने से बचाया। देवी बगलामुखी प्रकृति में अतिचार करने वाली बुरी शक्तियों को नियंत्रित करने में सहायता करती हैं। ये हमारी वाक् ज्ञान और गति को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। ये अपने भक्तों को शक्ति और सिद्धि देती हैं तथा सभी ईच्छाओं की पूर्ति करती हैं। बगलामुखी मंत्र:!!! ऊँ हल्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं वाचं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय हल्लीं ऊँ स्वाहा !!! बगलामुखी मंत्र जप उद्देश्य
1. शत्रुओं का शमन
2. संकट का निवारण
3. वाक् सिद्धि
4. वाद विवाद एवं मुकदमों में विजय
5. मनचाहे व्यक्ति से भेंट
6. रूके हुए धन की प्राप्ति
7. रोगों से मुक्ति
8. बुरी आत्मा व प्रेत बाधाओं से मुक्ति
9. दुर्घटना, शल्य चिकित्सा आदि से रक्षा
10. अनिष्ट ग्रहों के दुष्प्रभाव का शमन