‘तं’ का अर्थ शरीर और ‘त्र’ अर्थात त्राण जिसे कि रक्षा करना कहते हैं। अतः निष्कर्षतः तंत्र वह विद्या है जिसके माध्यम से शरीर की रक्षा की जा सके। विभिन्न समस्याओं के निदान के लिए अनेक टोटकों का प्रयोग किया जाता है, उदाहरणस्वरूप कुछ निम्नलिखित हैं:-
बिच्छू दंश नाशक प्रयोग: बिच्छू के काटे हुए स्थान पर श्वेत अपराजिता की जड़ को ऊपर से नीचे की तरफ रगड़ने से और उसी तरफ वाले हाथ में इस जड़ को बांधने से बिच्छू का विष शीघ्र समाप्त हो जाता है और दुखी व्यक्ति पुनः सुख का अनुभव करता है। भूत बाधा निवारण: नीली अपराजिता की जड़ को नीले कपड़े में लपेटकर शनिवार के दिन भूत-बाधा से पीड़ित व्यक्ति को गले में पहना दें।
साथ ही इसके पत्ते और नीम के पत्ते का रस निकालकर उसके नाक मंे टपका दें। इस प्रयोग से भूत-बाधा की पीड़ा शांत हो जाती है। चोर और बाघ से रक्षा: सफेद अपराजिता को श्वेत बकरी के मूत्र में घीसकर एक गोली बना लें। यह गोली अपने पास रखने से चोर और बाघ से रक्षा होती है।
अकालमृत्यु रोधक: जब चंद्रग्रहण हो उस समय नागौदान की जड़ को लेकर चांदी की ताबीज में भर लें। फिर उस ताबीज को नीले धागे में बांधकर गले में पहनने से अकालमृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। अनेक रोग शांति: तगर को चैकोर काटकर, ताबीज की भांति गले में पहनने से मस्तक रोग, मिर्गी, उन्माद, भूत-प्रेत, शाकिनी आदि की पीड़ा से व्यक्ति मुक्त हो जाता है।