ज्योतिष में माना गया है कि जिस क्षेत्र में सूर्य ग्रहण पड़ता है उस क्षेत्र के राजा को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। वहां पर प्राकृतिक या मानवजनित आपदाएं आती हैं। आपदाओं की गहनता ग्रहण की गहनता पर निर्भर करती है। इसका प्रभाव एक से तीन मास के अंदर आ जाता है। सूर्य ग्रहण का अधिकतम प्रभाव छः मास तक रहता है, तदुपरांत दूसरा सूर्य ग्रहण किसी दूसरे स्थान पर पड़ जाता है।
21 अगस्त 2017 को अमरीका में पूर्ण सूर्यग्रहण पड़ा था। प्रभाव 2 मास के अंदर फ्लोरिडा में नेटे तूफान, लास वेगास में आतंकी गोलीबारी व कैलिफोर्निया में भयानक आग के रूप में परिलक्षित हुआ। ज्योतिष में ग्रहणों का बहुत महत्व है क्योंकि उनका सीधा प्रभाव मानव जीवन पर देखा जाता है। चंद्रमा के पृथ्वी के सबसे नजदीक होने के कारण उसके गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। इसी कारण पूर्णिमा के दिन समुद्र में सबसे अधिक ज्वार आते हैं और ग्रहण के दिन उनका प्रभाव और अधिक हो जाता है। भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं।
यही भूकंप यदि समुद्र के तल में आते हैं, तो सुनामी में बदल जाते हैं। भूकंप, तूफान, सुनामी आदि में वैसे तो सूर्य, बुध, शुक्र और मंगल का प्रभाव देखा गया है लेकिन चंद्रमा का प्रभाव विशेष है एवं ग्रहण का प्रभाव और भी विशेष है। ग्रहण अधिकांशतः किसी न किसी आने वाली विपदा को दर्शाते हैं। ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो खगोलीय पिंडों की विशेष अवस्था व स्थिति के कारण घटती है। वे खगोलीय पिंड पृथ्वी, सूर्य व चंद्रमा जैसे ग्रह, उपग्रह हो सकते हैं। इस दौरान इन पिंडों द्वारा उत्पन्न प्रकाश इन पिंडों के कारण ही अवरूद्ध हो जाता है।
सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण का व्यक्ति एवं समष्टि पर निस्संदेह व्यापक प्रभाव पड़ता है। सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण व्यक्ति, समुदाय एवं राष्ट्र को हर दृष्टिकोण से शुभ अथवा अशुभ रूप में प्रभावित करते हैं। सूर्य ग्रहण के पहले या बाद में चंद्र ग्रहण अवश्य होता है। जिन देशों में ग्रहण दिखाई देता है वहां प्राकृतिक आपदाएं आती हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो ग्रहण के कारण चांद और सूरज के गुरुत्वाकर्षण बल एक ही दिशा में आने के चलते धरती के भीतर भारी हलचल होती है जिसके चलते जलप्रलय, ज्वालामुखी, भूकंप होने के आसार बढ़ जाते हैं।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का भूकंप व सुनामी पर स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। जब कभी एक पक्ष अर्थात 15 दिन में दो ग्रहण पड़ते हैं तो उसके 2 मास के भीतर भूकंप आते हैं। ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार सूर्य ग्रहण पर शनि वक्री हो तो तीन पक्ष के भीतर भूकंप आने की संभावना बढ़ जाती है। जब कभी शनि का संबंध बुध या मंगल स्थित राशियों के स्वामियों से हो तो प्राकृतिक आपदाओं की संभावना बढ़ जाती है।
7/8 अगस्त 2017 को चंद्रग्रहण हुआ था, उस समय शनि वक्री अवस्था में अमेरिका के ह्रदय की राशि वृश्चिक में विचरण कर रहे थे, सूर्य-मंगल कर्क राशि में अंशों में निकटतम थे। इस समय के ग्रह गोचर में जलीय राशि विशेष रुप से पीड़ित हो रही है। इसी प्रकार 21/22 अगस्त 2017 को अमेरिका के मध्य में पूर्व सूर्य ग्रहण रहा एवं सूर्य ग्रहण के समय शनि वक्री अवस्था में वृश्चिक राशि में गोचर कर रहे थे। बुध भी वक्री अवस्था में थे। 8 ग्रह सूर्य ग्रहण के दिन कुंडली के क्रमानुसार तीन भावों में सिमट आए थे। कर्क, सिंह और कन्या राशि में सभी ग्रहों की शक्तियां एकत्रित हो गई थीं जिनमें सिंह राशि अमेरिका की लग्न राशि बुरी तरह पीड़ित हो रही थी।
1 अक्तूबर 2017 को अमेरिका का लास वेगास शहर एक बार फिर से आंतकियों की गोलियों से गूंज उठा। एक बंदूकबाज ने अंधाधुंध गोलीबारी की जिसमें लगभग 59 लोग मारे गए और 500 से अधिक घायल हो गए। इस आंतकी हमले की जिम्मेदारी प्ैप्ै ने ली। जिस समय यह दर्दनाक घटना घटी उस समय एक प्रसिद्ध गायक अपनी प्रस्तुति दे रहे थे, और वहां पर 22000 श्रोता मौजूद थे। अमेरिका के राष्ट्रपति ने इसे एक बड़ा आतंकी हमला कहा है।
यह अमेरिका में अब तक के मास शूटिंग की सबसे बड़ी घटना है। इससे पूर्व, 16 अप्रैल 2017 को एक हमलावर की गोली में 32 लोग मारे गए थे। जून 2016 को ऐसे ही एक हमले में 49 लोगों की जान गई थी। 25 फरवरी 2016 को हुए हमले में मरने वालों की संख्या 3 रही थी। इसी प्रकार इससे पूर्व भी होने वाली घटनाओं में मरने वाले व्यक्तियों की संख्या इतनी अधिक नहीं रही थी। पर एक के बाद एक जान-माल की हानि होना चिंता का विषय अवश्य रहा है। यह भी एक पक्ष में एक से अधिक ग्रहण होने के परिणामों में शामिल है।
जब भी सामूहिक जान-माल की हानि होती है तो उसका ज्योतिषीय विश्लेषण मेदिनीय ज्योतिष के सूत्रों से किया जाता है। 8 अगस्त 2017 को जलीय राशि प्रभावित हुई और ठीक 2 माह में 8 अक्तूबर 2017 को नेटे नामक तूफान तबाही बनकर सामने आया, जिसमें इस तूफान ने भयानक चक्रवात का रुप लेकर दर्जनों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था। नेटे तूफान मध्य अमेरिका में बड़े पैमाने पर तबाही का कारण बना। यह तूफान मैक्सिकन तट की ओर तेजी से बढ़ गया है, इससे मैक्सिकन क्षेत्रों में भी तबाही की आशंका से इंकार नहीं किया जा रहा।
इतने बड़े तूफान से होने वाली तबाही से अमेरिका अभी उबरा भी नहीं था कि 10 अक्तूबर 2017 को कैलिफोर्निया के जंगलों की आग ने विकराल रुप धारण कर लिया है। 21/22 अगस्त 2017 में सिंह राशि पर जो कष्ट बना था, वह 10 अक्तूबर 2017 को जंगलों की भयानक आग बनकर सामने आया। यह आग इतनी भयानक है कि इसे अब तक के इतिहास की सबसे भीषण आग कहा जा रहा है। इस आग के कारण 17 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, 15 लापता हैं व 100 से अधिक लोग घायल हैं, करीब 2000 लोगों के घर जलकर राख हो चुके हैं।
एहतियात के तौर पर 20000 लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है। एक मोटे अनुमान के अनुसार इस आग से लगभग 115,000 एकड़ का क्षेत्र जलकर नष्ट हो चुका है। अमेरिका को एक ही सप्ताह में दो-दो प्राकृतिक आपदाओं व आतंकवादी हमले का सामना करना पड़ रहा है। अचानक से अमेरिका एक साथ इतनी आपदाओं का शिकार क्यों हो रहा है? विश्व के सबसे शक्तिशाली और विकसित देश अमेरिका पर एक ही माह में अचानक से इतनी भयानक प्राकृतिक आपदाओं के आने का कारण क्या है? पूरे विश्व पर अमेरिका अपनी धाक रखता है।
बड़े-बड़े देश उससे भय खाते हैं। ऐसे शक्तिशाली देश का प्राकृतिक आपदाओं पर पूर्ण नियंत्रण न होना, यह स्पष्ट करता है कि प्रकृति पर विजय पाना अभी शेष है। ज्योतिषानुसार सूर्यग्रहण के 1 से 3 महीने के अंदर प्राकृतिक आपदाएं आती हैं। सूर्य ग्रहण के मध्य बिन्दु के ऊपर से ही नेटे का गुजरना इत्तफाक नहीं है। अमेरिका में भी उसके बाद ही विकराल आग और विनाशकारी तूफान के रुप में प्रकृति का खौफनाफ चेहरा सामने आया है। भारतीय वैदिक ज्योतिष की शाखा ’मेदिनीय’ज्योतिष के अनुसार सूर्य ग्रहण व चंद्र ग्रहण का प्राकृतिक आपदाओं से सीधा संबंध होता है।
ऐसी खगोलीय घटनाओं का पराशर व वाराहमिहिर जैसे ऋषि हजारों वर्षों से अध्ययन करते आए हैं। वैज्ञानिक युग में अभी भी प्राकृतिक आपदाओं की सटीक गणना लगाना असंभव है। इसके विपरीत सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहणों का सूक्ष्मता से अध्ययन करने पर यह बात स्पष्ट होती है कि इस प्रकार की घटनाओं के लिए बहुत हद तक सूर्य ग्रहण की पूर्णता घटना की भयावहता को दर्शाती है। पूर्ण सूर्य ग्रहण को एक प्राकृतिक चेतावनी मानते हुए, इससे बचाव के उपायों पर ध्यान देना चाहिए।
विकसित होना भी प्राकृतिक आपदाओं से नहीं बचाता आज हमें यह समझने और स्वीकार करने की जरुरत है कि प्रकृति के बल पर ही हमारा जीवन है। जीवन के लिए प्रकृति की अनुकूलता और सहयोग जरुरी है। मनुष्य को कभी-कभी भ्रम हो जाता है कि उसने प्रकृति पर विजय प्राप्त कर लिया है और इसी भ्रम में प्रकृति को तहस-नहस करने लगता है। प्रकृति को तहस-नहस करने की सजा उसे समय-समय पर मिलती रहती है।
स्वार्थ ने मनुष्य को प्रकृति का दुश्मन बना दिया है। इसकी चपेट में न केवल विकासशील देश बल्कि विकसित देश भी आ रहे हैं। विभिन्न देशों में आई प्राकृतिक आपदाओं पर किए गए सर्वेक्षण से सामने आया है कि आज तक प्राकृतिक आपदाओं से हुई तबाही से अमेरिका और जापान का सबसे ज्यादा नुकसान होता है। लेकिन एशिया की उभरती हुई ताकतों चीन, भारत और इंडोनेशिया को अमेरिका और जापान की तुलना में प्राकृतिक आपदाओं के कारण ज्यादा खतरा है।
ब्रिटेन के जोखिम मूल्यांकन करने वाले मेपलक्राॅफ्ट ने 196 देशों को भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी, भूस्खलन, बाढ़, तूफान और जंगल की आग से होने वाले आर्थिक जोखिम के आधार पर रैंक दिए हैं। रैंकिंग में अमेरिका पहले स्थान पर है उसके बाद जापान, चीन और ताइवान हैं। ये देश ‘अति जोखिम’ भरे हैं। इसका मतलब ये है कि अगर कोई प्राकृतिक आपदा होती है तो पुनर्निर्माण में जो लागत आएगी वह कहीं ज्यादा होगी।