- व्यापार में यदि निरंतर घाटा हो रहा हो, तो बुधवार के दिन यह प्रयोग करें। इस दिन एक पीली बड़ी कौड़ी बाजार से खरीद कर लाएं। 2 लौंग, 2 छोटी इलायची तथा 1 चुटकी दुकान, कारखाना आदि की मिट्टी के साथ उस कौड़ी को जला कर उसकी राख बना लें।
यह राख बुधवार को ही एक पान के पत्ते पर रख कर उसमें एक छेद वाला तांबे का पैसा डाल दें और इस पान के पत्ते को सारी सामग्री सहित कहीं बहते पानी में छोड़ दें। जिस बुधवार को यह प्रयोग करें, उस दिन प्रयोग समाप्त होने तक निराहार रहें। किसी भूखे को भोजन तथा दक्षिणा देने के बाद ही भोजन करें। इसको नियमित रूप से 5 बुधवार तक करें। अंतिम अर्थात पांचवें बुधवार को अपने इष्ट देवता को जल, पुष्प, मिठाई आदि से प्रसन्न करें। उनका प्रसाद पहले स्वयं लें, फिर बाहर के अन्य लोगों को स्वयं बांटें।
- अक्सर व्यापारिक यात्रा पर जाने वाले व्यापारियों को चाहिए कि जाने से पहले सवा रुपया किसी भी गुप्त स्थान पर रख कर जाएं। यात्रा से वापिस आने के पश्चात उस पैसे को किसी भिखारी को दें। यात्रा सफल होगी और व्यापार में इच्छित उन्नति प्राप्त होगी।
- थोड़ा सा कच्चा सूत लंे। उसे शुद्ध केसर से रंग लें। रंगते हुए इस मंत्र का जाप करें: महालक्ष्म्यै नमः और रंगे हुए कच्चे सूत को अपने व्यापारिक स्थल पर बांध दें। व्यापार आगे बढ़ने लगेगा। नौकरी से संबंधित व्यक्ति इसे अपनी दराज में डाल दें। तरक्की का योग बनने की आशा अवश्य बलवती होगी।
- कई बार ऐसा होता है कि उद्योगपति पुराने उद्योग से अशातीत सफलता पाकर नया उद्योग लगाने के लिए उत्साहित होता है। परंतु जब पुराना उद्योग यथावत चलता रहता है, नया उद्योग जी का जंजाल सिद्ध हो जाता है, ऐसी स्थिति में यह प्रयोग करें: शनिवार के दिन पुराने कार्यालय से कोई भी लोहे की वस्तु नये संस्थान में ला कर रख दंे। रखने से पूर्व उस स्थान पर थोड़े से साबुत काले उड़द डाल दें। यह ध्यान रहे कि वह वस्तु बार-बार हटायी न जाए। इस प्रकार पुराने उद्योग के साथ-साथ नया उद्योग भी चल निकलता है।
- साझेदारी में प्रायः जटिल समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं, जिसके कारण प्रायः साझेदारी असफल हो जाती है। ऐसी किसी भी जटिल स्थिति को टालने के लिए निम्न प्रयोग करें: किसी भी दिवाली की रात कच्चा सूत ले आएं। उसे मां लक्ष्मी के आगे बैठकर श्रद्धापूर्वक बांटें और उसपर रोली के छींटे लगाएं। इसके पश्चात व्यापार स्थल पर कहीं ऊपर टांग दें। प्रयत्न करंे कि हर दीपावली पर यह क्रिया दोहरायी जाती रहे। ऐसा करने से साझेदारी बनी रहेगी।
- किसी शनिवार को अपने व्यापार की ओर से आते हुए मार्ग में पड़ी कोई भी कील उठा लें। उस कील को प्रथम भैंस के मूत्र में और बाद में गंगा जल में धो कर उस जगह ठोक दें, जहां कर्मचारी काम करते हांे। उसी कील के प्रभाव से कर्मचारी भागने बंद हो जाएंगे।
- अगर यह अनुभव कर रहे हैं कि लाख प्रयत्न करने पर भी व्यापार उन्नति नहीं कर पा रहा है, तो श्यामा तुलसी के चारों ओर उग आयी खरपतवार को, किसी पीले वस्त्र में बांध कर, व्यापार स्थल पर रख दें। इस क्रिया को गुरुवार को ही करें।
- मंगलवार के दिन 7 साबुत सीधी डंठल वाली हरी मिर्च और एक नींबू लाएं। इसके पश्चात् उन्हें काले डोरे में पिरो लें। इनको कार्यालय स्थल के बाहर टांग दें। ऐसा हर मंगलवार को करें। ऐसा करने से व्यापार बढ़ता है और नजर या टोक भी नहीं लगती। यह प्रयोग शनिवार के दिन भी किया जा सकता है।
- मंगलवार के दिन लाल चंदन, लाल गुलाब के फूल और रोली, इन सब वस्तुओं को लाल कपड़े में बांध कर, तिजोरी या द्रव्य रखने के स्थान पर रख दें। धन लाभ प्रारंभ हो जाएगा। इस टोटके को 6 माह के बाद दुबारा करें।
- सर्वप्रथम 5 लाल गुलाब के पूर्ण खिले हुए फूल लें। इसके पश्चात डेढ़ मीटर सफेद कपड़ा लेकर अपने सामने बिछा लें। इन पांचों गुलाब के फूलों को उसमें, गायत्री मंत्र 21 बार पढ़ते हुए, बांध दें। अब स्वयं जा कर इन्हें जल प्रवाह कर दें। भगवान ने चाहा तो जल्दी ही कर्ज से मुक्ति प्राप्त होगी।