- प्रतियोगिता परीक्षादि में, योग्यता होते हुए भी, सफलता नहीं मिल रही हो, तो बुध-पुष्य योग में लगभग 500 ग्राम गो दूध से श्री गणेश जी और सरस्वती की प्रतिमा का पूजन कर, किसी गरीब रोगी को, या मंदिर में बुधवार को दान करने से सफलता मिलती है। परिश्रम कर यदि सफलता मिल जाए तो रोगी या गरीबों को कुछ दान दें या उनकी सेवा अवश्य करें।
- शनि, राहु या केतु की खराब दशा चल रही हो तो किसी शनिवार को 1 छोटा काला पत्थर लाएं, तिल के तेल में डुबो कर 7 बार अपने ऊपर उतारें और इस पत्थर को दहकती आंच में डाल दें। ठंडा होने पर उसे घर से दूर किसी सूखे कुएं में डाल दें। ग्रह दोष शांत हो जाएगा।
- किसी के प्रत्येक शुभ काम में बाधा आती हो या विलंब होता हो तो रविवार को भैरों जी के मंदिर में सिंदूर का चोला चढ़ा कर बटुक भैरव स्तोत्र का एक पाठ कर के गौ, कौओं और काले कुत्तों को उनकी रुचि का पदार्थ खिलाना चाहिए। ऐसा वर्ष में 4-5 बार करने से कार्य बाधाएं नष्ट हो जाएंगी।
- संध्या के समय सोना, पढ़ना और भोजन करना निषिद्ध है। सोने के पूर्व पैरों को ठंडे पानी से धोना चाहिए परंतु गीले पैर नहीं सोना चाहिए। इससे धन क्षय होता है।
- भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए। जूते पहने हुए कभी भोजन नहीं करना चाहिए, जब तक कोई विवशता न हो।
- सुबह कुल्ला किए बिना पानी अथवा चाय न पीएं। जूठे मुंह हाथों से या पैर से कभी गौ, ब्राह्मण और अग्नि का स्पर्श न करें।
- घर में देवी-देवताओं पर चढ़ाये गये फूल या हार के सूख जाने पर भी उन्हें घर में रखना अलाभकारी होता है।
- प्रतिदिन पूजन करने से मनोबल बढ़ता है और शांति मिलती है, भले ही थोड़े समय के लिए ही सही, परंतु प्रतिदिन ईश्वर का ध्यान श्रद्धा-विश्वास से करना चाहिए। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर के ईश्वर की पूजा करनी चाहिए। इससे भाग्योदय होता है।
- आशीर्वाद में बहुत बड़ी शक्ति होती है। माता-पिता और गुरु के सामने झुक कर आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए।
- अपने न्यायपूर्वक उपार्जित धन का दसवां भाग, ईश्वर की प्रसन्नता के लिए किसी सत्कर्म में लगाना चाहिए।
- प्रत्येक घर में चित्र, कैलेंडर लगाए जाते हैं। वे सुंदर और प्रेरक होने चाहिए, जैसे अर्जुन को उपदेश देते श्री कृष्ण का चित्र, पेड़-पौधों, पुष्पों, महापुरुषों, या आराध्य देव के चित्र लगाने से शुभत्व की वृद्धि होती है। युद्ध, खूनखराबे, हिंसक पशु, वीभत्स चित्र कभी नहीं लगाना चाहिए।
- अपने घर में पवित्र नदियों का जल संग्रह करके रखना चाहिए। इसे घर के ईशान कोण में रखने से अधिक लाभ होता है। रात्रि में नाखून या बाल नहीं काटना चाहिए। जूते, चप्पल सदैव घर के बाहर ही उतारें एवं वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के उत्तर-पूर्वी कोण पर भूल कर भी जूते न उतारें और न ही रखें।
- किसी कार्य की सिद्धि के लिए जाते समय घर से निकलने से पूर्व ही अपने हाथ में रोटी लें। मार्ग में जहां भी कौए दिखलाई दें, वहां उस रोटी के टुकड़े कर के डाल दें और आगे बढ़ जाएं। इससे सफलता प्राप्त होती है।
- अक्सर लोगों से सुनने में आता है कि घर में कमाई तो बहुत है, पर पैसा नहीं टिकता, तो यह प्रयोग करें। जब गेहूं को पिसवाने जाते हैं, तो उससे पहले 11 पत्ते तुलसी तथा 2 दाने केसर के डाल कर थोड़े से गेहूं को सारे गेहूं में मिला कर पिसवा लें। फिर घर में धन की कमी नहीं रहेगी तथा घर में बरकत रहेगी। यह क्रिया सोमवार और शनिवार को करनी है।
- रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो, तब गूलर के वृक्ष की जड़ प्राप्त कर के घर लाएं। इसे धूप, दीप करके धन स्थान पर रख दें। यदि इसे धारण करना चाहें, तो स्वर्ण के ताबीज में भर कर धारण कर लें। जब तक यह ताबीज पास रहेगी, तब तक कोई कमी न आएगी। घर में संतान सुख उत्तम रहेगा। यश की प्राप्ति होती रहेगी। धन-संपदा भरपूर होंगे। सुख-शांति और संतुष्टि की प्राप्ति होगी।