- सदा स्वस्थ बने रहने के लिए रात्रि को पानी किसी लोटे-गिलास में सुबह उठ कर पीने के लिए रख दें। उसे पी कर बर्तन को उल्टा रख दें तथा दिन में भी पानी पीने के बाद बर्तन (गिलास आदि) को उल्टा रखने से यकृत संबंधी परेशानियां नहीं होतीं तथा व्यक्ति सदैव स्वस्थ बना रहता है।
- किसी भी रविवार/ मंगलवार के दिन फिटकरी का टुकड़ा बच्चे के सिरहाने रख दें। बच्चा बुरे स्वप्न के प्रभाव से दूर रह कर आराम से सो सकेगा।
- परंतु बच्चा अकारण रोता रहे, तो कहीं से बकरी की मैंगनी ला कर बच्चे के सिरहाने रख दें। ऐसा करने से बच्चा रात भर आराम से सोएगा तथा बिना वजह उठ कर अपनी मां को परेशान नहीं करेगा।
- जब किसी का बालक बार-बार बीमार होता रहता है तथा अच्छे डाॅक्टरों से दवा-उपचार आदि करवाने पर भी विशेष लाभ नहीं मिल पाता है, तो ऐसी स्थिति में मंगलवार के दिन किसी सुनार को अष्ट धातु का कड़ा, बालक के नाप के अनुसार, बनवाने को दें तथा उस कड़े को शनिवार के दिन सुनार से घर ले आएं। कड़े को, गंगा जल से धो कर, शुद्ध करें तथा उस कड़े में थोड़ा सा सिंदूर लगा दें। कड़े को अपने सामने रख कर यथाशक्ति हनुमान चालीसा, अथवा बजंरग बाण का पाठ करें। इसके बाद उस कड़े को बालक के दाहिने हाथ में पहना दें। हनुमान जी की कृपा से बालक शीघ्र स्वस्थ हो जाएगा।
- हृदय विकार, रक्तचाप के लिए एकमुखी या सोलहमुखी रुद्राक्ष श्रेष्ठ होता है। इनके न मिलने पर ग्यारहमुखी, सातमुखी अथवा पांचमुखी रुद्राक्ष का उपयोग कर सकते हैं। इच्छित रुद्राक्ष को ले कर श्रावण माह में, किसी प्रदोष व्रत के दिन अथवा सोमवार के दिन, गंगा जल से स्नान करा कर, शिव जी पर चढ़ाएं। फिर संभव हो तो रुद्राभिषेक करें या शिव जी पर ऊँ नमः शिवाय बोलते हुए दूध से अभिषेक कराएं। इस प्रकार अभिमंत्रित रुद्राक्ष को काले डोरे में डाल कर गले में पहनें। सूर्य भगवान का प्रतिदिन ध्यान करना, सूर्य पर जल चढ़ाना, आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना भी हृदय रोग में लाभ देते हैं।
- जिन लोगों को 1-2 बार दिल का दौरा पहले भी पड़ चुका हो वे उपर्युक्त विधि अनुसार एकमुखी, या सोलहमुखी रुद्राक्ष पहनें तथा निम्न प्रयोग भी करें: एक पंाचमुखी रुद्राक्ष, एक लाल रंग का हकीक, 7 साबुत (डंठल सहित) लाल मिर्च को, आधा गज लाल कपड़े में रख कर, व्यक्ति के ऊपर से 21 बार उसार लें तथा इसे किसी नदी या बहते हुए पानी में प्रवाहित कर दें।
- मधुमेह के लिए निम्न प्रयोग मधुमेह की जांच-पड़ताल के बाद करें। श्रावण के महीने में 11 बिल्व पत्र पर केशर से राम लिखें। ऊँ नमः शिवाय कहते हुए इन्हें प्रथम दिन श्रावण मास से शिव जी पर चढ़ाएं। फिर ऊँ नमः शिवाय कहते हुए इन्हें वापिस उठा लें। इन्हें साफ कर के पानी से धो कर पीस लें या मिक्सी में चला लें। कपड़े से छान कर इसका पानी (रस) पी जाएं। ऐसा 1 माह तक रोजाना करें (पूरे श्रावण मास में), जांच करवा कर निर्णय स्वयं लें। जिस पात्र में डाल कर रस पीएं, उसे, रस पीने के बाद, उल्टा रख दें। - किसी भी सोमवार से यह प्रयोग करें। बाजार से कपास के थोड़े फूल खरीद लें। रविवार शाम 5 फूल, आधा कप पानी में साफ कर के, भिगो दें।
प्रातः सोमवार को उठ कर फूल निकाल कर फेंक दें, पानी को पी जाएं। जिस पात्र से पानी पीएं, उसे उल्टा कर के रख दें। कुछ ही दिनों में आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ महसूस करेंगे।
- कैंसर की स्थिति में मंगलवार के दिन एक लाल रंग का धागा हाथ में, या कमर में बांधें। जो धागा न बांधना चाहें, वे तांबे का कड़ा या छल्ला पहन सकते हैं। बुधवार को थोड़े चावल दान करें तथा शनिवार को 3 रत्ती या अधिक वजन का नीलम सूर्यास्त के बाद सोने में पहनें। अपने इष्ट प्रभु का ध्यान करें।
- घर में नित्य घी का दीपक जलाना चाहिए। दीपक लगाते समय लौ पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर हो या दीपक के मध्य मंे बाती लगाना शुभ फल देने वाला है। इसी प्रकार कपूर जलाने से बीमारियां, दुःस्वप्न नहीं आते, पितृ दोष का नाश होता है एवं शांति बनी रहती है।