वेद, उपनिषद, रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में राशि, नक्षत्र और ग्रहों का अनेक स्थानों पर वर्णन ज्योतिर्विद्या के प्राचीनतम् होने का संकेत है। उस काल में इस विद्या का प्रादुर्भाव सूर्य, ब्रह्मा, व्यास, वशिष्ठ, अत्रि, पराश... और पढ़ें
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