मानस रेखा से जानें स्वभाव शैलेश प्रताप शास्त्री जीवन और मस्तिष्क का आपस में गहरा संबंध है, क्योंकि बिना बुद्धि के या मस्तिष्क के जीवन व्यर्थ-सा हो जाता है। जीवन में यश, मान, प्रतिष्ठा आदि बुद्धि के द्वारा ही प्राप्त होती है। अतः हथेली में जीवन रेखा का जितना महत्व है, लगभग उतना ही महत्व मस्तिष्क रेखा का भी है। हस्तरेखाविदों के अनुसार हथेली में मानस यानी मस्तिष्क रेखा का पुष्ट सुदृढ़ एवं स्पष्ट होना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यदि मानस रेखा में जरा सी भी विकृति होती है, तो पूरा जीवन लगभग बरबाद-सा हो जाता है। जीवन रेखा के उद्गम क्षेत्र से एक अन्य रेखा हथेली के सामने वाले पार्श्व पर चंद्र और ऊर्ध्व मंगल के क्षेत्रों में पहुंचती है, जिसे मानस रेखा के नाम से जाना जाता है। मानस रेखा मनुष्य के मस्तिष्क का विकास, उसकी मानसिक क्षमता और शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है।
इस रेखा से हथेली के दो भाग हो जाते हैं जिनमें से ऊपर वाला भाग जीवन के मानसिक, आध्यात्मिक और नैतिक पक्षों का और नीचे वाला भाग उनकी शारीरिक, व्यावहारिक तथा भौतिक क्षमताओं का संकेत देता है। आमतौर पर मानस रेखा मनुष्यों के हाथ में भिन्न-भिन्न आकारों की होती है। किंतु थोड़ा सा उभार लेकर गोल आकार में जीवन रेखा के पास अर्थात अंगूठे और तर्जनी अंगुली के मध्य के भाग से निकलकर हाथ के दूसरे छोर तक पहुंचने वाली मानस (मस्तिष्क) रेखा सर्वश्रेष्ठ होती है। ऐसी रेखा जातक को खगोलशास्त्र तथा गणित प्रवीणता, चतुर, दूरदर्शी और कला-प्रेमी बनाती हैं। यदि यह रेखा हाथ में खूब गहरी, मनोहर, दोष रहित हो तो जातक शत्रु से भी धन पाने वाला, भाग्यशाली, नवीन गृह निर्माता, राजा की कृपा से धन प्राप्त करने वाला, साधु-संत प्रिय, कुशल, शिल्पज्ञ, दानी, विद्वान, सर्वज्ञ, सर्वप्रिय, शांत स्वभाव, अधिकार संपन्न, सत्यवादी तथा पुत्र, स्त्री, वाहन आदि से सुखी व संपन्न होता है। मानस रेखा पर त्रिकोण जैसी आकृतियां डॉक्टर, न्यायाधीश, आई. ए.एस. तथा वैज्ञानिक आदि बनना प्रदर्शित करती हैं। ऐसे मनुष्य को आय भरपूर होती है, लेकिन उसका स्वभाव खर्चीला होता है। मानस रेखा पर द्वीप, कटाव, क्रॉस, बिंदु आदि के चिह्न हथेलियों पर विपरीत प्रभाव ही डालते हैं। ये चिह्न उस काल में मनुष्य की मानसिक क्षमताओं को घटाते हैं तथा उसके मन को रोगग्रस्त बनाते हैं।
यदि यही रेखा मलिन या छिन्न-भिन्न, विकृत या अविकसित अवस्था में हो तो जातक मंद बुद्धि, मानसिक रोगी, घबराहट, हृदय व त्वचा रोगी तथा घमण्डी और गलत निर्णय लेने वाले होते हैं तथा उनमें गंभीरता और सहनशीलता तो बिल्कुल नहीं होती। मनुष्य के हाथ की सर्वाधिक महत्वपूर्ण रेखा मानस रेखा हैं। मानस रेखा से मनुष्य के चरित्र की केंद्रीय शक्तियों को जाना और समझा जा सकता है। प्रायः मानस रेखा जीवन रेखा से मिलकर ही प्रारंभ होती है, किंतु कभी-कभी उससे थोड़ा हटकर भी चलती है। इन दोनों रेखाओं में थोड़ा अंतर रहता है। यदि यह अंतर सामान्य रूप से थोड़ा है तो मनुष्य में आत्मविश्वास और किसी भी कार्य को कुशलतापूर्वक करने की शक्ति दर्शाता है। ऐसा व्यक्ति (जातक) प्रायः बहुत चतुर एवं प्रबल आत्म -विश्वासी होता है किंतु यह अंतर जब अधिक हो जाता है तो जातक में अपनी शक्ति, बुद्धि एवं गुणों का गलत मूल्यांकन उत्पन्न करता है, जिसके कारण ही उसे निराशा और असफलता मिलती हैं और वह दुःखी होते हैं। यदि मानस रेखा जीवन रेखा को स्पर्श करती हुई गुरु के स्थान से प्रारंभ हो तथा लंबी भी हो, तो ऐसे जातक की मानसिक शक्ति अत्यंत प्रखर होती है तथा वह जातक बुद्धि मान और दूरदर्शी होता है। हर एक काम को खूब सोच-विचार कर करता है। वह उच्च अधिकार चाहता है और पाता भी है, अधिकार पाकर वह अन्याय नहीं करता है। यदि मानस रेखा से कुछ छोटी-मोटी बारीक रेखाएं ऊपर की ओर निकल कर हृदय रेखा की ओर जायें किंतु उसे छुएं नहीं तो ऐसे व्यक्ति (जातक) मानसिक रूप से भ्रष्ट और दिखावा करने वाले होते हैं। वे किसी भी सुंदर सूरत को देखकर उसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं तथा उसे प्राप्त करने के लिए तरह-तरह के नाटक रचा करते हैं। किंतु यह सब दिखावा केवल वासना के कारण ही होता है, वास्तव में सच्चा प्रेम नहीं होता। इनका कोई चरित्र नहीं होता है। मानस रेखा पर द्वीप, कटाव, क्रॉस, बिंदु आदि के चिह्न हथेलियों पर विपरीत प्रभाव ही डालते हैं।
ये चिह्न उस काल में मनुष्य की मानसिक क्षमताओं को घटाते हैं तथा उसके मन को रोगग्रस्त बनाते हैं। मानस रेखा पर द्वीप चित्त की एकाग्रता में कमी, मानसिक संघर्ष और मानसिक क्षमता के ह्रास के चिह्न हैं। द्वीप के काल-खण्ड में व्यक्ति को जबर्दस्त मानसिक तनाव और उत्तेजना से गुजरना पड़ता है। बिंदु का चिह्न गंभीर किस्म की मानसिक रूग्णता का कारक भी हो सकता है। मानस रेखा पर त्रिकोण जैसी आकृतियां डॉक्टर, न्यायाधीश, आई.ए.एस. तथा वैज्ञानिक आदि बनना प्रदर्शित करती हैं। ऐसे मनुष्य को आय भरपूर होती है, लेकिन उसका स्वभाव खर्चीला होता है। यदि मानस रेखा जीवन रेखा के पास से चलकर हथेली को दो भागों में बांटती हुई दूसरे छोर पर पहुंच जाती है तो ऐसे जातक कई बार विदेश यात्रा करते हैं तथा धन-लाभ होता है। जिसके हाथों में मानस रेखा ही हो और हृदय रेखा दिखाई न दे या मानस रेखा और हृदय रेखा परस्पर मिल गई हों या एक दूसरे से मिट गई हों तो ऐसा व्यक्ति जीवन में कई हत्याएं करता है, भयंकर डाकू बनता है, कठोर तथा कई स्त्रियों से संबंध रखने वाला होता है। यदि किसी स्त्री के हाथ में मानस रेखा और जीवन रेखा का उद्गम अलग-अलग हो तो वह स्त्री कुलटा होती है। जहां मानस रेखा समाप्त होती है वहां या उसमें कहीं भी क्रॉस का चिह्न हो, तो वह पागल योग बनता है। मानस रेखा मणिबंध तक पहुंचकर रुक जाय और उसपर क्रास का चिह्न हो, तो आत्महत्या होना निश्चित है।
मानस रेखा चंद्र पर्वत पर जाकर समाप्त हो या अनामिका के मूल तक पहुंच जाय तो उक्त व्यक्ति प्रसिद्ध तांत्रिक होता है। मानसिक रेखा तर्जनी के मूल तक पहुंच जाए, तो जीवन असफल होता है। वहीं यदि मानस रेखा मध्यमा अंगुली पर मानस रेखा चढ़ जाए, तो डूबने से मृत्यु होती है। वस्तुतः हस्त रेखा विशेषज्ञों को हाथ देखते समय मानस (मस्तिष्क) रेखा के उद्गम पर विशेष विचार करना चाहिए और उस उद्गम को देख कर ही उसके अनुसार उसकी धारणा बनानी चाहिए। वास्तव में मानस रेखा द्वारा मनुष्य के स्वभाव और चरित्र की केंद्रीय शक्तियों को जाना और समझा जा सकता है।