वक्री शनि की वृश्चिक राशि में वापसी डॉ. अरुण बंसलशनि ने 26 जनवरी 2017 को सायं काल 7ः 30 मिनट पर वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश किया और 6 अप्रैल को 10ः36 मिनट पर धनु राशि में वक्री हो गये । पुनः शनि 21 जून को सायंकाल 4ः39 बजे वृश्चिक राशि में वापस आ जायेंगे और तत्पश्चात 2... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणग्रहभविष्यवाणी तकनीकजून 2017व्यूस: 6013
हस्त द्वारा स्वास्थ्य ज्ञान डॉ. अरुण बंसलहमारा हाथ हमारे शरीर का प्रतिबिंब है। इस ज्ञान का उपयोग एक्यूप्रेशर पद्धति में विशेष रूप से किया जाता है। एक्यूप्रेशर के विशेषज्ञ हथेली के पाॅइंट (बिंदु) दबाकर हमारे शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले रोगों का निवारण करते हैं। ... और पढ़ेंस्वास्थ्यहस्तरेखा शास्रभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2017व्यूस: 8494
राहु के राशि परिवर्तन का विभिन्न राशियों में प्रभाव एवं उपाय मनोज कुमार शुक्लाराहु १४ जनवरी २०१३ को सायंकाल ७:१८ बजे तुला राशि में प्रवेश कर चुके हैं। दृष्टव्य है की शनि पहले से ही तुला राशि में गोचर कर रहे हैं। इस प्रकार राहु व् शनि की युति विषयोग का निर्माण कर रही हैं।... और पढ़ेंज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकगोचरराशिफ़रवरी 2013व्यूस: 18675
कुंडली में ग्रह की अशुभ स्थिति अंजली गिरधरव्यक्ति का सारा जीवन कुंडली के नवग्रह और सत्ताईस नक्षत्रों के द्वारा ही संचालित होता है। अगर कुंडली में सारे ग्रह अच्छे और शुभ हैं तो फिर जीवन में कोई समस्या नहीं होती है और चारों ओर से खुशियों की ही वर्षा होती है। लेकिन अगर कुं... और पढ़ेंज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2015व्यूस: 23144
लग्न नक्षत्र स्वामी की लाभकरी दशा किशोर घिल्डियालज्योतिष का अध्ययन करते समय कई बार यह विचार अवश्य आता है कि जन्म समय के चन्द्र नक्षत्र का प्रयोग जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में किया जाता है। इसी से ही दशाएं ज्ञात कर जातक विशेष के भविष्य से जुड़े सभी सवालों के जवाब दिये जाते हैं। ज्... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगदशाकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2013व्यूस: 25349
भृगु संहिता फोरकास्ट सूत्र नंद किशोर पुरोहितईश्वरीय विद्या कहलाने वाले ज्योतिष से आज संपूर्ण मानव जगत में कोई अछूता नहीं है। ब्रह्मांड में गतिशील ग्रह, नक्षत्र, सितारों के प्रभाव में आज ही नहीं, वरन जबसे सृष्टि की रचना हुई, उसी समय से पृथ्वीवासी इनके प्रभाव में है। मानव जगत... और पढ़ेंज्योतिषकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2004व्यूस: 21689
विवाहेतर संबंध: कुछ रोचक ज्योतिषीय योग सी. एल. अस्थानाविवाहेतर या एकाधिक संबंधों के कतिपय ज्योतिषीय योग Û यदि शुक्र व बुध की युति दशम, सप्तम या लग्न भाव में हो। Û यदि मंगल और शुक्र की युति दशम, सप्तम या लग्न भाव में हो। Û चतुर्थ, दशम भाव में मंगल व शुक्र स्थित हो तथा तुला, मेष, वृ... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगविवाहभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2007व्यूस: 20681
पहला सुख निरोगी काया अरुण कुमारपहला सुख निरोगी काया अर्थात् अच्छा स्वास्थ्य जीवन का सबसे बड़ा सुख है। यदि व्यक्ति स्वस्थ नहीं है तो अन्य सुख किस काम के। ज्योतिष में स्वास्थ्य का विचार मुख्यतः लग्न, लग्नेश, षष्ठभाव, षष्ठेश, अष्टम भाव, अष्टमेश एवं अष्टम भाव में स... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यउपायज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2008व्यूस: 19249
टाइगर आइ (बाघमणि) फ्यूचर पाॅइन्टचर समाचार के इस अंक के साथ उपरत्न टाइगर आइ दिया जा रहा है। यह उपरत्न अत्यधिक लोकप्रिय है। इसे बाघमणि, व्याघ्राक्ष, चित्ती, चीता, टाइगर, टाइगर-आइ, दरियाई-लहसुनिया आदि अनेक नामों से जाना जाता है।... और पढ़ेंज्योतिषरत्नभविष्यवाणी तकनीकफ़रवरी 2006व्यूस: 20630
क्या आप बाधक दोष से ग्रस्त हैं ? संजय बुद्धिराजाजन्म कुंडली में विद्यमान विभिन्न दोषों जैसे कि केंद्र दोष, मारक दोष, पापकर्तरी दोष आदि के बारे में भारतीय ज्योतिष ग्रंथ विस्तार से वर्णन करते हैं। इन दोषों के अध्ययन का तो भारतीय ज्योतिषियों में प्रचलन है परंतु ”बाधक दोष“ के अध्यय... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2013व्यूस: 22094
काला जादू ज्योतिष की नजर में अंजना अग्रवालकाला जादू जिसे अभिचार (Abhichara) के नाम से भी जाना जाता है, जोकि विष्व के विभिन्न स्थानों में कई रूपों में प्रचलित है, इसके द्वारा नकारात्मक शक्तियों को जागृत किया जाता है। काला जादू का मुख्य ध्येय शत्रु को उस स्थान ... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगदशाभविष्यवाणी तकनीकजून 2014व्यूस: 23286
कालसर्प एवं लाल किताब उपाय किशोर घिल्डियाललाल किताब के अनुसार राहु केतु जिस राशि में हे, उस राशि के स्वामी ग्रह के उपाय करने चाहिए। प्रस्तुत लेख में विभिन्न काल सर्प योगों के उपायों की विधि एवं दान पूजा का वर्णन है।... और पढ़ेंज्योतिषउपायलाल किताबभविष्यवाणी तकनीकमई 2011व्यूस: 22463