पहला सुख निरोगी काया अर्थात् अच्छा स्वास्थ्य जीवन का सबसे बड़ा सुख है। यदि व्यक्ति स्वस्थ नहीं है तो अन्य सुख किस काम के। ज्योतिष में स्वास्थ्य का विचार मुख्यतः लग्न, लग्नेश, षष्ठभाव, षष्ठेश, अष्टम भाव, अष्टमेश एवं अष्टम भाव में स्थित ग्रहो ंसे विचार किया जाता है।
अष्टम भाव से आयु का विचार किया जाता है। अतः दीर्घायु के लिए अष्टम भाव तथा अष्टमेश का बली होना आवश्यक है। लग्नेश अस्त, शत्रुक्षेत्री 6, 8, 12 भावों में स्थित हो, लग्न पापकर्तरी योग में हो अथवा लग्न पर क्रूर ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति रोगी होता है। यदि लग्नेश शुभ ग्रह से युक्त, लग्न में शुभ ग्रह स्थित हो, लग्नेश केंद्र अथवा त्रिकोण में हो तो व्यक्ति स्वस्थ जीवन यापन करता है। यहां दी गई कुंडली को देखिए। इस महिला का जन्म 9.7.1981 को 21.45 बजे, गया में हुआ। कुंडली के अष्टम भाव में कन्या राशि उदित हो रही है। कन्या राशि से उदर का विचार किया जाता है।
गुरु स्वयं यकृत का कारक होता है और अष्टम भाव में स्थित होने के कारण यकृत में वृद्धि का रोग दिया। गुरु अष्टम भाव में लग्नेश शनि के साथ स्थित है तथा द्वादश भाव स्थित केतु, पंचम भाव स्थित मंगल से दृष्ट है। कुंभ लग्न के लिए गुरु मारक होकर अष्टम् भावगत है तथा लग्नेश शनि के साथ युत है। अतः गुरु की महादशा में लग्न अर्थात शरीर को प्रभावित होना स्वाभाविक ही है। साथ ही नवमांश कुंडली में उदर स्थान पर केतु तथा राहु का प्रभाव है।
पाचन क्रिया का कारक बुध, मृगशिरा नक्षत्र जो मंगल का नक्षत्र है, पर अवस्थित है। जातिका को गुरु की महादशा 04.01.2003 से प्रारंभ हुई। दशा के प्रारंभ से ही पेट में दर्द रहने लगा। शुरू में इसे गैस का दर्द समझ कर नजर अंदाज किया गया। लेकिन अंततः गुरु की महादशा में बुध की अंतर्दशा, (बुध का अष्टमेश है तथा गुरु बुध की राशि में स्थित है) में पेट दर्द बढ़ गया।
चिकित्सक ने अल्ट्रासाउन्ड की सलाह दी जांच रिपोर्ट से पता लगा कि लीवर काफी बढ़ा हुआ है। गाॅल ब्लाडर में चार स्टोन पाया गया। अंततः 12.8.2008 को जातिका के पेट का आॅपरेशन हुआ। गोचर के अनुसार आपरेशन का कारक मंगल लग्न कुंडली में अष्टम भाव में कन्या राशि पर गोचर कर रहा था।