लाल किताब में राहु ग्रह की स्थिति द्वारा बहुत से फल व उपाय बताए गये हैं जिनको करनेसे तुरंत राहत मिलती है। लाल किताब के अनुसार राहु-केतु जिस राशि में हो, उस राशि केस्वामी ग्रह के उपाय करने चाहिए। विभिन्न कालसर्प योगों के उपाय इस प्रकार हैं।
पद्म कालसर्प हो तो व्यक्ति विद्याबाधा, संतान कष्ट, धन संचय मेंकमी आदि समस्याओं का सामनाकरता है। इसकी शांति हेतु घर की दहलीज पर चांदी का पतरा लगवाना चाहिए।
महापद्म कालसर्प हो तो जातकशत्रुओं द्वारा पीड़ित, सेहत में छलावातथा व्यर्थ में वाद-विवादों का सामनाकरता है। इसके उपचारार्थ सीसेकी एक गोली अपने संग रखनी चाहिए तथा कुत्ता पालना चाहिए।
तक्षक कालसर्प हो तो जातक स्त्रीकष्ट, गुप्त रोग, धन हानि, व्यवसायहानि, अविश्वासी जीवन जैसीसमस्याएं झेलता है। इसकी शांतिहेतु चांदी की ठोस ईंट घर पर रखेंतथा हर वर्ष 7 नारियल जल-प्रवाह करें।
कर्कोटक नामक कालसर्प योग होतो व्यक्ति असाध्य रोग, संपत्ति हानि,अनियंत्रित वाणी, अकाल मृत्यु जैसीसमस्याएं पाता है। इसके उपचारार्थहर वर्ष शीशा धातु जल-प्रवाह करना चाहिए तथा चांदी का चौकोर टुकड़ाअपने साथ रखना चाहिए।
शंखनाद कालसर्प होने पर व्यक्तिपितृ सुख में बाधा, अवनति, कार्यबंधन, व्यर्थ में भटकाव व थकानभरी यात्राएं जैसी समस्या पाता है।इसके लिए स्वर्ण धारण करना चाहिएतथा दो रंग का कुत्ता पालना चाहिए।
घातक कालसर्प योग हो तो जातकको मातृ सुख की कमी, मनमें अशांति,कार्य व्यापार में दिक्कतें,उच्चाधिकारियों से प्रताड़ना मिलतीहै। इसके उपचारार्थ सिर हमेशाढककर रखना चाहिए तथा लोहेकी ठोस गोली लाल रंग में रंगवाकर संग रखनी चाहिए।
विषाक्त कालसर्प हो तो व्यक्ति गृहक्लेश, धन हानि, संतान बाधा, हृदयरोग जैसी समस्याएं झेलता है। इसके उपाय हेतु चांदी के बर्तन में पानीपीना चाहिए तथा पीले वस्त्र में हल्दीदान करनी चाहिए।
शेषनाग कालसर्प योग हो तो जातकशयन सुख में कभी, व्यर्थ भटकन,नेत्र पीड़ा, खूब खर्च जैसी समस्याओंका सामना करता है। इसके उपचारार्थ सौंफ लाल कपड़े की थैलीमें अपने सिरहाने रखनी चाहिए तथाचांदी धारण करनी चाहिए।
अत्यधिक कष्ट होने पर इन उपायों के अतिरिक्त तुरंत राहत हेतु कुछ अन्य उपाय भी किए जा सकते हैं जिनमें प्रमुख हैं।
अपने वजन के बराबर जौ जल प्रवाह करना।
43 दिन लगातार नारियल (पानीवाले) में मौली बांधकर सरसों केतेल का तिलक लगाकर, काले तिलछिड़ककर प्रभावित व्यक्ति का 7बार उतारा कर के जल प्रवाह करना चाहिए।
शिव परिवार की पूजाकर नाग स्तोत्रका पाठ करना चाहिए।