विविध (पृष्ठ-29)
भगवत्कृपा तथा भक्ति रहस्य

भगवत्कृपा तथा भक्ति रहस्य

पूर्णोत्तम दीक्षित

भक्त के लिए भगवान की स्मृति भगवान से बढ़कर है, क्योंकि भगवान तो किसी का दुख दूर नहीं करते। यदि वे दुख दूर करते तो संसार में कोई दुखी नहीं होता। दुख तो उसी का दूर होता है, जो दुखी होकर उनका स्मरण करता है। अतएव भगवान की स्मृति ही ... और पढ़ें

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिविविध

आगस्त 2006

व्यूस: 6942

नामकरण संस्कार

नामकरण संस्कार

विजय प्रकाश शास्त्री

नाम व्यक्ति को उनके स्वयं के होने का बोध कराता है, इसलिये नाम का किसी भी व्यक्ति के लिये बहुत अधिक महत्त्व माना गया है। भीड़ में अपने किसी स्वजन के गुम हो जाने पर उसका नाम लेकर पुकारा जाता है। इस भीड़ में इस आवाज के प्रत... और पढ़ें

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिविविध

आगस्त 2014

व्यूस: 6261

पितृ दोष से उत्पन्न ऊपरी बाधायें

सभी मृतक परिजन जो पुरूष, महिला, बच्चा अथवा बच्ची या गर्भ में ही मृत्यु को प्राप्त शिशु की आत्मा हो, को पितरों में माना गया है। ये आत्माएं जिनकी मुक्ति नहीं होती, ये पितृलोक में निवास करते हैं। ये आत्मायें शक्तिशाली हो जाती... और पढ़ें

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिविविध

सितम्बर 2016

व्यूस: 6470

दीपावली पर तंत्र एवं तांत्रिक वस्तुओं का महत्व

दीपावली की विशेष रात्रि को तांत्रिक विधि द्वारा सिद्धि प्राप्त करने की विशेष परंपरा रही है। यदि दीपावली पर आप भी कोई तांत्रिक अनुष्ठान करना चाहते हैं तो इस आलेख में दी गई जानकारियां आपके लिए बहुमूल्य हैं।... और पढ़ें

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिवशीकरणपर्व/व्रतविविध

नवेम्बर 2010

व्यूस: 7170

प्रियव्रत-चरित्र

प्रियव्रत-चरित्र

ब्रजकिशोर शर्मा ‘ब्रजवासी’

गूढ़ ज्ञान जानने की अभिलाषा से महाराज परीक्षित ने शुकदेव जी से पूछा-मुने ! महाराज प्रियव्रत तो बड़े भगवद्भक्त और आत्माराम थे। उनकी गृहस्थाश्रम में कैसे रूचि हुई और पुनः किस प्रकार राज्य शासन से मोह भंग कर भगवद्भजन कर आत्म कल्... और पढ़ें

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिविविध

जून 2015

व्यूस: 7562

साईं बाबा का दिव्य स्वरूप

साईं बाबा का दिव्य स्वरूप

ब्रजेंद्र श्रीवास्तव

शिरडी साईं बाबा का जीवन ऐसी खुली किताब है जिसमें कठिनाई से समझ में आने वाला अद्वैत वेदान्त दर्शन सच्चे व्यावहारिक रूप में दिया गया है। स्वामी विवेकानंद ने अपनी पुस्तक ‘व्यावहारिक जीवन में वेदांत’ में जो बातें कही हैं वह सब श... और पढ़ें

देवी और देवविविध

मई 2015

व्यूस: 6687

श्रीयंत्र: भोग व मोक्ष की कुंजी

श्री यंत्र को यंत्रों का राजा कहा जाता है। सिद्ध श्री यंत्र की गुरु दीक्षा से प्राप्त मंत्र द्वारा शुभ मुहूर्त में विधिवत् उपासना से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चतुर्विध पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है।... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपायअध्यात्म, धर्म आदिसुखविविधसंपत्ति

नवेम्बर 2010

व्यूस: 6736

ब्रह्मर्षि वंश विस्तार

ब्रह्मर्षि वंश विस्तार

भूषण साम्भ शिखरे

विवाह आदि संस्कारों में और साधारणतया सभी धार्मिक कामों में गोत्र, प्रवर और शाखा आदि की आवश्यकता हुआ करती है। इसीलिए उन सभी का संक्षिप्त विवरण आवश्यक है। समान गोत्र, प्रवर की कन्या के साथ विवाह करने से जो संतान होती है वह चाण्डाल... और पढ़ें

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिविविध

दिसम्बर 2015

व्यूस: 7398

भगवत्प्राप्ति का सरलतम सूत्र: शरणागति

अनेक बार यह प्रश्न सामने आता है कि भगवत्प्राप्ति कैसे हो? इस बात में सबका एक मत है कि किसी पूजा, पाठ, तप, यज्ञ या दान से भगवत्प्राप्ति नहीं हो सकती। इसका एक मात्र सरल सूत्र है- शरणागति । यह क्या है? भगवत्प्राप्ति कैसे करें? जान... और पढ़ें

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिविविध

जुलाई 2006

व्यूस: 7339

भागवत कथा

भागवत कथा

ब्रजकिशोर शर्मा ‘ब्रजवासी’

विदुर जी ने धृतराष्ट्र को समग्र ज्ञान का उपदेश दिया और धृतराष्ट्र गान्धारी सहित हिमालय की यात्रा में निकल गए। अजातशत्रु युधिष्ठर ने प्रातःकालीन कृत्यों को पूर्ण किया तथा राजमहल में गुरुजनों की चरण वन्दना को पधारे, परंत... और पढ़ें

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिविविध

जुलाई 2014

व्यूस: 6861

साईं बाबा का उद्भव एवं परिचय

भारत भूमि संतों की भूमि है। यहां की पवित्र भूमि पर समय-समय पर अनेक दिव्यशक्ति संपन्न संतों ने जन्म लेकर इस देश के निवासियों का असीम कल्याण किया है। इन संतों में अनन्त शक्तियां भी थीं, असीम सिद्धियां भी थीं, अनुपम तेजस्वित... और पढ़ें

देवी और देवविविध

मई 2015

व्यूस: 7294

अर्जुन की शक्ति उपासना

अर्जुन की शक्ति उपासना

फ्यूचर पाॅइन्ट

महाभारत के समय कुरूक्षेत्र में जब भगवान् श्रीकृष्ण ने कौरव-सेना को युद्ध के लिये उपस्थित देखा तो उन्होंने अर्जुन से उनके हितके लिये कहा - हे महाबाहु अर्जुन ! तुम शत्रुओं को पराजित करने के निमित्त रणभिमुख खड़े होकर पवित्र भाव से दु... और पढ़ें

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिविविध

जुलाई 2013

व्यूस: 6188

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