मंत्रों में इतनी शक्ति है कि उनकी साधना से सभी आपदाओं का निवारण किया जा सकता है। जन्म के पूर्व से मृत्यु पर्यंत की समस्याओं का समाधान मंत्रों तथा देव पूजा के द्वारा किया जा सकता है। मंत्र शक्ति की साधना से दुख-दारिद्र्य से लेकर आपसी मतभेद, ऋण, रोग और प्रभाव अभियोगों की विकटता से मुक्ति पाई जा सकती है।
शक्ति साधना: सृष्टि के शुभारंभ से ही सृष्टि के कल्याण के लिए भारतीय संस्कृति में ऐसे नियम बनाए गए हैं कि समस्त जीवों को सुख शांति प्राप्त हो सके जैसे- सम्वत्सर के प्रारंभ में चैत्र मास में शक्ति की आराधना श्री दुर्गा सप्तशती के पठन और हवन पूजन के द्वारा की जाती है। इसी प्रकार ऋतु के शुभारंभ में ऋतु परिवर्तन के साथ मां भगवती दुर्गा का सप्तशती के पाठ के साथ नौ दिन तक आवाहन-पूजन किया जाता है जिससे आराधक की सभी समस्याओं का समाधान होता है। दुर्गा सप्तशती के सभी सात सौ मंत्र सिद्धिदाता हंै। वे विवाह, संतान, राज्यकार्य, व्यापार से संबंधित बाधाओं से मुक्ति दिलाते हैं तथा कलह, शत्रुबाधा, रोग, ऋण, दुरात्माओं के प्रभाव से रक्षा करते हैं। इसी प्रकार श्रावण मास में विश्व कल्याणकारी सदाशिव की आराधना रुद्राष्टाध्यायी के पाठ तथा अभिषेक के साथ की जाती है। शिव के समीप किया गया सभी मंत्रों का जप अनंत फल की प्राप्ति कराता है। महामृत्युंजय के नियमित जप से आयु वृद्धि के साथ-साथ सामान्य लाभ तथा अकाल मृत्यु और दुर्घटना से रक्षा होती है।
मृत संजीवनी मंत्र: देवताओं के गुरु बृहस्पति तथा दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य दोनों ही मृतसंजीवनी विद्या के ज्ञाता हैं। दोनों ही अपने-अपने पक्षों की रक्षा के लिए संजीवनी मंत्र का उपयोग करते हैं। असाध्य रोगों के समय मृत संजीवनी मंत्र के नाम गोत्र के साथ किए गए सवा लाख जप से लाभ प्राप्त होता है।
श्री साधना: दरिद्रता से मुक्ति के लिए विश्व का पालन पोषण करने वाली विष्णुमाया महालक्ष्मी की आराधना निरंतर करनी चाहिए। श्री सूक्त का पाठ करने पर भाग्य में लिखी दरिद्रता भी भाग जाती है। कनकधारा के पाठ से व्यापार में लाभ होता है।
संतान गोपाल मंत्र: संतान के अभाव में संतान गोपाल मंत्र के जप एवं श्री हरि वंश पुराण के पाठ और श्रवण से संतान सुख की प्राप्ति होती है। भगवन श्री कृष्ण के बालस्वरूप का ध्यान करते हुए मंत्रों का सवा लाख या पांच लाख जप, हवन, तर्पण आदि विधिवत करने चाहिए।
बंदीमोचन स्तोत्र: बंधन मुक्ति के लिए बंदीमोचन स्तोत्र के सवा लाख पाठों का प्रभाव तत्काल होता है। अकारण हुई जेल यात्रा से तो अति शीघ्र मुक्ति मिल जाती है। विकट बंधन टूट जाते हैं।
बगलामुखी वंदना: जब व्यक्ति शत्रुओं से घिर जाता है, अभाव अभियोगों से ग्रस्त होकर बेचैन हो जाता है, सर्वत्र असफलता का अनुभव करता है, तो शत्रुओं का दमन करने वाली मां पीतांबरा बगलामुखी की वंदना संबल प्रदान करती है। आद्यशक्ति मां बगलामुखी के सबलता मंत्र और स्तोत्र का जप और पाठ करने से अनायास सिर पर आई विपत्ति टल जाती है।
ऋणमोचन विनायक मंत्र: ऋण, रोग और रिपु से मुक्ति तथा विघ्नों के निवारण और ऋद्धि-सिद्धि की वृद्धि के लिए विघ्न विनायक भगवान गणपति की आराधना करनी चाहिए। इससे सफलताएं स्वतः प्राप्त हो जाती हैं।
गायत्री महामंत्र: मां गायत्री वेद जननी और धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष प्रदायिनी हंै। वह महापापों का नाश करने वाली ब्रह्म शक्ति हैं। इनकी दैनिक उपासना से सभी पापों का नाश हो जाता है। आत्मा में अध्यात्म का उदय होता है। जीवन में ईश्वर के प्रति आस्था तथा मरणोपरांत महामोक्ष देने वाली मां गायत्री की महिमा अपरंपार है। मंत्रों की उपासना अमृतमय फल प्रदान करती है। इनका संयम, नियम, श्रद्धा और समर्पण भाव से विधिवत जप करना कल्याणकारी है।